सांड तो लड अलग भये .: .चाईनीज चर्चा
लो जी आगये चच्चा टिप्पू सिंह आपसे टिप टिप करने के लिये…..आजकल मौसम बडा खराब हुई गवा है….अऊर सर्दी तो वैसन भी बुढे लोगन की दुश्मन होत है. सो भैया का बताये? अब शुरु करते हैं आज की टिप्पणी चर्चा.
"ब्लॉगिंग की 'काला पत्थर'...खुशदीप" पर देखिये कुछ दिखाई देरहा हो तो? बडी दूरदृष्टि चाहिये.
खुशदीप भाई-प्रत्येक मनुष्य के जीवन मे ही इतने झंझावात हैं जिससे उसके जीवन से हंसी उल्लास लगभग गायब हो गया है, जब वह ब्लाग पर आता है तो यहां पर भी वही गंभीर-गंभीर बातें और मगज खपाऊ काम। इसलिए मै तो आपके स्लागओवर के साथ ही जीना पसंद करुगा, बाकि .मैं भी खुश और पत्नी भी खुश...मैं मंगलवार को जाता हूं और वो शनिवार को. ये बहुत बढिया रहा "मध्यम मार्ग" बधाई-आभार |
अनूप शुक्ल said... आपकी अगली पोस्ट का इंतजार है। |
चलो, अच्छा किया तुमने ही यह मुद्दा उठा लिया जो शायद बहुतों के मन में काफी दिनों से हलचल मचा रहा है.
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अऊर इस नूरा कुश्ती पर चच्चा कोह रहे हैं कि सांड तो लड के अलग भये अऊर सत्यानाश भया किसी अऊर का..का समझे भैये? अब भी नाही समझे का? |
विज्ञान कथा कांफ्रेंस चालू आहे !
गिरिजेश राव said... हिन्दी का झण्डा बुलन्द रखने के लिए आप लोग साधुवाद के पात्र हैं।
मैं आप को विशेष धन्यवाद दूँगा कि आप ने अन्य राष्ट्रीय भाषाओं (मुझे इस मामले में क्षेत्रीय प्रयोग से असहमति है) की समृद्धि का संकेत दिया। वास्तव में कई क्षेत्रों में बंगला, तमिल, मराठी भाषाभासी काम करके इन भाषाओं को बहुत आगे पहुँचा चुके हैं। हम हिन्दी वालों को उनसे सीखने की आवश्यकता है।
पूर्ण रिपोर्ट की प्रतीक्षा रहेगी।15 November 2009 08:00
मसलन पहली बात तो यह कि हमारे प्रवर्तन निदेशालय और अन्य जांच अजेंसियों द्वारा उसके पास से जुटाये गये इतने बडे हेर-फ़ेर की सामग्री और अन्य बडे-बडे दावों के वावजूद, मधु कोडा को पूरा भरोशा है कि ये ऐजेंसियां और सरकार उन पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध नही कर पायेंगी। दूसरी बात यह कि मधु कोडा इस बात से भी आस्वस्थ हैं कि जहां तक राजनीतिज्ञ विरादरी की भ्रष्ठता का मुद्दा है, हमारा न्यायतंत्र और कानून, खास कुछ नही कर पाते । तीसरी महत्वपूर्ण बात उनके बयान से यह निकलती है कि जैसा कि उन्होने कहा कि वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे, इसका सीधा मतलब यह निकलता है कि इस देश मे आरोप सिद्ध हो जाने के बाद भी भ्रष्ठ लोग राजनीति से जुडे रहते है।
शत प्रतिशत सहमत हूँ...
लत तो लग ही गई क्या घर क्या बाहर . नशा ऎसे ही फ़ैलाया जाता है . पहले फ़्री फ़िर ...
'अदा' says:
November 15, 2009 10:05 PMआपकी कविता...!!
निशब्द हूँ..
प्रेम के आगाज़ से अंजाम तक सफ़र....वाह क्या बात है...!!
"बाल-दिवस पर कुल कितनी पोस्ट" (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की
Dipak 'Mashal' said... @ November 15, 2009 6:05 AM वाकई बहुत ही मनमोहक विशेषांक बनाया है आज का तो आपने... और चित्रों ने तो इसमें रंग भरने जैसा काम किया... दिल से..... आप की मेहनत और लगन को सलाम..
जय हिंद..
ऐसा क्या है, इसे खेलने में जो हमें देखना चाहिए? वह हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं ?
अभिषेक ओझा, 15 November, 2009 4:00:00 PM IST आज से नौ साल पहले हाईस्कूल की परीक्षा के बाद मैं अपनी आँखें दिखाने डॉक्टर के पास गया था तो उसने एक बड़ा ही साधारण सा सवाल किया था 'पढ़ने के लिए दिन की रौशनी है... पूरे १२ घंटे हैं. फिर रात को क्यों पढ़ते हो?' आज वो बात याद आ गयी !
जी.के. अवधिया said... गोदियाल जी, अपनी टिप्पणी में एक छोटी सी कथा का बताना चाहूँगा, जिसका उल्लेख वनवास के समय माता सीता ने राम से किया था, कथा इस प्रकार हैः
"पूर्व काल में किसी पवित्र वन में ईश्वर की आराधना में तल्लीन रहने वाले एक सत्यवादी एवं पवित्र ऋषि निवास करते थे। उनकी कठोर तपस्या से इन्द्र भयभीत हो गये और उनकी तपस्या को भंग करना चाहा। एक दिन योद्धा का रूप धारण कर इन्द्र ऋषि के आश्रम में पहुँचे और विनयपूर्वक अपना खड्ग उस ऋषि के पास धरोहर के रूप में रख दिया। ऋषि ने उस खड्ग को लेकर अपनी कमर में बाँध लिया जिससे वह खो न जाय। कमर में बँधे खड्ग के प्रभाव से उनकी प्रवृति में रौद्रता आने लगी। परिणामस्वरूप वे तपस्या कम और रौद्र कर्म अधिक करने लगे। शस्त्र और अग्नि की संगति एक सा प्रभाव दिखाने वाली होती है।"
देखें http://vramayan.blogspot.com/2009/11/3.htmlNovember 14, 2009 11:04 PM
अऊर अब हमरी ही पिछली पोस्ट से एक ठो टिप्पणी देखा जाये…
डा० अमर कुमार on November 15, 2009 1:03 AM said...
चच्चा हो,
अबहिन हमहूँ हाँगकाँगै से लउट के आवत अही ।
ऊहाँ जगह जगह पर पीयरका बोर्ड पर करिया रँग से न जानि ई का लिखा रहा,
保持市容整洁。अउर 如果土地是你的,你的工作是你们的,让她的心,别人不担心
पँडिताइन पूछिन, ई का आय ? हम कहा इंडिया चलो, हमरे चच्चा बहुतै ऊँची चीज हैं, जौन रस्ते निकरैं ज्ञान छलकावत जात हैं, उन्हिन ते पूछ लीन जाई ।
सो, चच्चा एहिका खुलासा कीन जाय, मुला आज केर चर्चा अच्छी ठोंकै पड़े हो । राम राम !
अरे डाक्टर साहब परणाम करता हूं आपको…हम तो आपका लोहा तो टेंपलेटवा के समय ही मान गया था. काहे से कि ऊ काम किसी ऐरे गैरे का बस का नाही था. अब आपने जो बात इस चाईनीज भाषा मा हमको कही है त हम आपकी समझदारी से बहुते खुश हुआ हूं. अऊर आप हमार ज्ञान को ऊंचा बतावत हैं अऊर हम तो आपका ज्ञान का आगे नतमस्तक हुं. आपका लिये हमार मन मा इज्जत अऊर बढि गवा है डाक्टर साहब.
ऊ का है कि हांगकांग एयरपोरटवा पर हम आपका देखिन रहे अऊर आपको केतना आवाज लगाये रहिन कि अब का बतायें? आप जल्दी जल्दी मा ऊहां से निकल गये…वर्ना आपकी हमारी मुलाकात तो हांगकांगे ई मा हो जाती. खैर..डाक्टर साहब आप जौन बात हमका कूट भाषा मा समझाये हैं हम उसका जवाब भी कूट भाषा मा ही लिख देत हूं. हमका आपने कूट चाईनीज भाषा मा लिखा है त जवाब भी हम कूट चाईनीज भाषा मा ही दूंगा ना. हमरा जवाब नीचे चाईनीज मा ही दे रहे हैं… ओके पहले आपने जो कूट भाषा मा लिखा है ओका मतबल पूछे हैं त उसका मतबल ई है कि... .
शहर को स्वच्छ और व्यवस्थित रखें. अउर चलो, यदि देश तुम्हारा है,
तुम्हारा काम तुम्हारा है उसके दिल, दूसरों के बारे में चिंता मत करो
ऊ का है ना कि हम हांगकांग बहुते जाता ही रहता हूं त ई भाषा हमका अच्छे से आवत है. अब आपका जवाब भी इसी भाषा मा लेलो डाक्टर साहब.
ऊ का है ना कि हम बेइज्जती तो सहन नही कर सकता.
आपका यह शुभ संदेश हमको अच्छा लगा इस लिये जवाब दे रहा हूं. हमको इनसे कोई खानदानी लडाई
नही है. ये टिप्पणी हटाले..और कह दें कि वो टिप्पणी हटाली गई है. हम बात अपनी तरफ़ से खत्म कर दूंगा.
आप हमको उंची चीज बता रहे हैं तो डाक्टर साहब अगर अपना इज्जत की खातिर लडने वाले को आप
ऊंची चीज समझते हैं तो हम ऊंची चीज ही सही.
डाक्टर साहब झगडा तो कुच्छौ भी नाही...पर पता नही ईनको का मजा आवत है..जरासी बात का यानि राई का पहाड बना रखे हैं...और जगह जगह हमारे नाम को रोते फ़िरते हैं..केतना लोगों से कहते फ़िरत हैं कि चच्चा का इहां मत जावो..मत जावो..अऊर मजा का बात वो ही लोग हमको बता जात हैं कि कौन कौन उनको क्या कहा है?
डाकटर साहब अगर आपको लगत है कि चच्चा टिप्पू का गलती है तो आप हमको आडरवा मारिये हम माफ़ी मांगूगा...नही तो ई लोग मांगे...आप बहुते समझदार इंसान है..जरा आपई इन लोगन को समझाइये अऊर ई मामला खत्म करवाईये.... हमको भी फ़ोकट का बात अच्छा नाही लगत है..ऊ का है कि हम बेइज्जती तो सहन नाही कर सकता हूं..तो सब बात आपको बता दिया..अऊर वैसे भी अब हम ई उम्र मा ईहां सब छोड छाड कर लरिका का पास हांगकांग जारहा हूं...ऊहां से ई सब पंगाबाजी करने का समय नाही मिलता...तो हम जब तक इहां हैं तब तक तो इनको नाही चैन लेने दूंगा...
और डाकटर साहब अगली बार जब भी आपका हांगकांग आये का हो त हमको मिलियेगा जरुर...उहां हम आपको सब जगह घुमाऊंगा..
त आज का ई टिप्पनी चर्चा यहीं स्माप्त करे का इजाजत चाही अऊर अब आपसे टिप टिप करता हुं बच्चा लोग…..जल्दी ही शुकुल जी का जवाब बाकी है ऊ भी एक दिन देता हूं.
वाह ! शानदार चर्चा !
गजब की चर्चा । स्टाइल ही गजब है आपका ।
मस्त चर्चा चच्चा!! हमें भी घूमा देना हांगकांग...और चच्चा, इ नूरा कुश्ति के सांड कौन?? :)
चच्चा की जय हो. सांडों को लडने मे बछडों का ध्यान तो रखना ही चाहिये था.:)
रामराम
अच्छी चर्चा।
चच्चा गोड़ लागी,बाकी सब ठीक है,किरपा है तोहार,हम चक्कर मा पड़ गये हैं ई चार दिन मे आपको कऊन सा मास्टर मिल गया जौउन चीनी सीखा दिया औउर हम आपके डिमाग के भी बलिहारी हैं जो बुढ़ौती मे एतना काम कर रहा है के आप सीख भी लिए। बढ़िया चर्चा रहा-आनंद आया, जल्दी जल्दी आते रहीए। आभार
bahut khoob.......
bahut hi shandaar.....
waah !
चच्चा आप वाकई कमाल के बन्दे हो ! आप के पास तो हर चीज का तोड मौजूद है :)
बढ़िया रही टिपण्णी चर्चा ...!!
चलिये चर्चा भी "चायनीज़" हो गया । चल गया तो साल भर नही तो शाम तक । आप भी कह देजिये ...दुकान से बाहर जाने के बाद हमारी कोई गारंटी नही
आकाश साफ़ करती सार्थक चर्चा
मान गये चच्चा, कूटभाषा के पूरा कूटपीस कर धरि दिहौ
आख़िर चच्चा अईसने थोड़े बने हुईहौ,
मुला हमका ज्ञानी और समझदार करार देईकै विद्वानन का अपमान न करौ
अब बात चली है, त हमका एकु विद्वान बताइस रहा कि..
असहमति का बना रहना जीवन के बने रहने से भी ज्यादा जरूरी है !
एहि पर हमरी घरैतिन पँडिताइन समझाइस कि..
लड़ो मत संघर्ष का अपना एक तेवर होना चाहिए जो कि रचनात्मक होना चाहिए !
बाहर निकरै त दोस्त यार धमकाइन कि..
परेशान कर देगा आपका यही तेवर क्योंकि ......दुनिया हर जगह एक सी है !
तौन हमरे मन मॉ प्रश्न उठा कि..
कहां जाएगा एक विरोधी मन आखिर विरोध भी जीवन का एक जरूरी शेड है !
त पिच्छै से आवै वाली भीड़ मॉ से एकु आवाज़ आयी कि..
बस अब बहुत हुआ आगे बढो भी ....
त चच्चा.. जेतना बाम्हन ओतना मत ! केहिका माना जाय ?
सो चच्चा आप ई जानो के.. हमहूँ कन्फ़ूज़ियाये भये आगे को बढ़े चले जा रहें हैं ।
हाँगकाँग मॉ आपसे मार्च के बादै मुलाकात होई ।
अब चलै देयो, जय सियाराम !
Is balak ki tippani shamil karne ke liye aabhar bhaai ji...
Jai Hind...
बहुत अच्छी चर्चा। कई बार ब्लोग पर आ कर चली गयी मगर समझ नहीं पाई कि नई चर्चा कहाँ है । धन्यवाद्
bahut jaabar hai charcha bhai..jaabar bolein to jaabar logon ka charcha jo hua hai...
maane i hua ki KAALA PATTHAR flop ho gaya ka ?? are sablog to Sunami ka intezaar kar raha tha aur i mein se chuhaa nikla ka....
hamko maloom tha ..Na aag na dhunwaan aur log polao pakayenge..
dhatt tere ki..!!!
@Sameer ji pranaam karte hain aapko..
bahut badhiyan se salta diye aap sabko...
Jai Hind..
shandaar charcha aabhaar!
aajay jee aaj blaagavaaNee kee bajaaye sabhee kamenT aapake blog se hee diye dhanyavaad acchee carcaa hai ih dekhaa hee naheeM ki english me likh rahee hooMM aap abhee abhee ek sadhan jo ko salaah de kar aaye the ki word verification hata leM bas usee kaa nateejaa hai ye dhanyavaad