मैं और मेरा नाथा दूसरे का फ़ोड माथा : शुकुल जी -इसका जबाब दिजियेगा
चच्चा टिप्पू सिंह की टिप टिप बच्चा लोगन को….. अऊर बच्चा लोग अब जल्दी से ताली बजाओ अऊर चच्चा को हैप्पी हैप्पी वाला बड्डे बोलो…. काहे से कि आज चच्चा का बड्डे है ६४ वां। तो आज शाम को हम मना रहा हूं अपना बड्डे। दू ब्लागरवा त आ चुका है अऊर दू तीन जन आ सकत हैं।
हमरा जन्मदिन पर ई फ़ोटुआ हमका बडा पसंद आया। ई हमका प्रेजंट कर दे ताऊऊऊऊऊऊ….नाही त…?
तो आज हम होगवा हूं ६४ का…अऊर हमका बडा मजा आवा जब शुकुल की महराज ने हमको अजय झा बता दिया…हमरा लिये तो इ झुश होने का बात रहा..कारण हम तो बुडौती मा जवान हुई गवा..पर झा जी कहिन कि चच्चा ई तो हमारे लिये गाली है…हमका ऊ बुड्ढा बताय रहे हैं भरी जवानी मा…त शुकुल जी महराज..अजय झा से हमरी उम्र दोगुनी है आप कोनू चिंता नाही करो।
अब आगे ….टेंपलेट चर्चा का करें? हमको बार बार रोहितवा का मुंह देखना पडत है….तो ऊंही से ई चर्चा का शुरुआत करुंगा आज….ऊ प्राईवेट लिमिटेड चर्चा पुरातन मंच पर एक टिप्पणि है हिमांशु की ………….
हिमांशु । Himanshu ने "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर कहा….इस पर चच्चा कहिन कि …हिमांशु जी..आप काहे नाहक ई लोग की गलती बतावत हो? ई लोग छोटी मात्रा बडी करने की हैसियत रखते हैं. अब ई कोह रहे हैं तो उही सही हौबे करेगा ना? आखिर मौलिकनंदन जो ठहरे. अऊर एक ठॊ टिप्पणियां यहीं से …
’वन्दे मातरम्” से आहत होना विचित्र है । सब कुछ सियासी है ।
ब्लॉग डिस्क्रिप्शन में ’सक्रीय सामुदायिक मंच’ दिख रहा है । इसे सुधार लें - ’सक्रिय सामुदायिक मंच’ ।
सतत् टेम्पलेट परिवर्तन ने उदासीन कर दिया है मुझे । पता नहीं क्या सोच/कर रहे हैं आप सब !
राजेश स्वार्थी ने "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर कहा…
स्पष्टतः व्यक्तिगत चर्चा। एकदम बकवास। जब समीर लाल जैसे नामी गिरामी को छोड़ दिया अपनी व्यक्तिगर खुन्नस के तहत तो अरविन्द मिश्रा की आशा करना ही बेकार है। मगन रहें आपसी भजन में। मैं हमेशा गलत के खिलाफ बोलता रहूँगा। यहाँ से मिटाओगे तो मेरे ब्लॉग पर पाओगे। कैसी साजिश करते हो।
अऊर आगे चलिये इसी पोस्ट पर
सुन्दर लाल ने "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर कहा….
@ पाबला जी
अरे साहब जी ये तो कुश का टिप्पू चच्चा को जवाब था .चर्चा नहीं :)
Udan Tashtari ने "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर कहा ….
घर छोडने की भी तो कुछ मजबूरियाँ रही होंगी..
किसी व्यवस्था की कुछ कारगुजारियाँ रही होंगी...-वरना यूँ ही बेवजह, पत्ते शाख से जुदा नहीं होते!!
-समीर लाल 'समीर'
ये उतना ही सत्य है जितना बेवजह पत्ते जुड़े नहीं रहते वाली बात!!
--रचना जी, आज आपने मुझे ही नहीं, एक बहुत बड़े वर्ग को अपनी कथनी से ऐसा कहने को मजबूर किया है और आहत किया है. क्षमा चाहूँगा ऐसा कहने को. आप तो माफ कर ही दोगी, जानता हूँ."जिन्दगी मे कभी भी उनलोगों की चिंता नहीं करनी चाहिये जो "घर " को छोड़ कर दूसरी जगह इस लिये जा बसते हैं क्युकी उनको घर मे तकलीफ हैं ।"
घर की तकलीफों को दूर करने लोग ज्यादा दूर जाते हैं, यह जान लिजियेगा.
तकलीफ और मजबूरी में अन्दर करियेगा, दी!! वजहें आप नहीं जान पायेंगी बिना घर छोड़े तो हम आप अलग अलग बोट में सवार है अतः बहस निरर्थक..आप अपना कह गई..मैने अपना कहा. अब आगे आप बात बढ़ायेंगी भी तो आपके सम्मान में मेरा उत्तर कुछ भी न आयेगा, कम से कम यहाँ इस सो कॉल्ड पावन भूमि पर. तो कृप्या बस इसे हजम कर लें. सत्य निगलना कठीन होता है, फिर भी.
अऊर आगे बढिये तनि….
सुन्दर लाल ने "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर कहा…..
@रचनामुझे असहमति होगी तो मै यही तुमको आकर सही करुगी ना की कहीं दूसरा मंच बना कर अपनी काबलियत तुमको कोपी करके प्रूव करुगी ।
शायद आप भूल रही है अगर आप यहाँ सही करने आओगी तो आपकी टिप्पणी भी मिटा दी जायेगी राजेश स्वार्थी के टिप्पणी की तरह .
अऊर देखा जाये तनि
राजेश स्वार्थी ने "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर कहा….
लगता है कि जैसा ढेरों लोगों को प्रलोभन दिया गया है कि उन लोगों का विरोध करो तो ही चिठठा चर्चा में शामिल किया जायेगा, उसी प्रलोभन में रचना भी आ गई हैं। चलो, इस सपोर्ट से उनकी चर्चा होने लगेगी. बाकी लोग जायें भाड़ में। सही गलत की किसे पड़ी है।
रचना, इनसे बचना, ये सब भाड़े के टट्टू हैं।
अऊर इसका बाद टिप्पणी मिटाऊ कंपनी प्राईवेट लिमिटेड के चपट चेलवा की ये चेतावनी …
कुश ने खुद की पोस्ट "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर यह धमकी दी।
चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।
आगे देखिये..इस पुरातन मजाक मंच की एक ठॊ अऊर टिप्पणी…
राजेश स्वार्थी ने "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर पूछा है…..
चिठठामंडल मतलब कौन? तुम, अनुप और विवेक या कोई और भी है?
कल शुकुल जी महराज ने चिठ्ठा चर्चा से राजेश स्वार्थी की और एक शुभचिंतक की टिप्पणियां हटा ली थी….तुनक मिजाजी मा….ऊ से नाराज होकर…राजेश स्वार्थी जी ने एक ठॊ पोस्ट्वा लिखी….उस पोस्ट का आपरेशन हम बाद मे करुंगा…काहे से कि आज हमरा जन्म दिन है तो ऊ सबकी तैयारी भी करने हैं ना….क्यों ठीक है ना बच्चा लोग….?
अऊर चलते चलते ई भी देख ल्यो….
गधा सम्मेलन स्थल से प्रथम अनोपचारिक रिपोर्ट पर…ताऊ के साथ ट्रेजडी हो गई अऊर ताऊ कहिन…
भाईयो, रात को सपने मे आपको तो भले आदमी मिल गये और भोले नाथ के दर्शन करवा दिये और मेरे सपने मे ब्लाग सुर्पणखां आगयी. और क्या बताऊं? आते ही लाल आंखे निकाल कर मेरी छाती पर सवार होगई.”
अऊर इंहा पर जिज्ञासा प्रकट की गई है…देखिये जरा……
पं.डी.के.शर्मा"वत्स"" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkjuj5rol9D0Vcy-RBoVzcMd4qnVK5zIEhvyzSeooDOPzOqKQbopfrmUqmDSLGl_zJ4-g7pZH_wqmAciZ-a9sFok9P8z_ozELYCNUDDFx866uv9hY7tz5ZKDONwvbdfSM7pNWgh5UHq4A/s220/panditastro.jpg" width="60" height="60"> पं.डी.के.शर्मा"वत्स" said...
ताऊ ये बडी गलत बात है । आप इशारे इशारे में किसे ब्लाग सूर्पनखा के खिताब से नवाज रहे हैं । ब्लाग सूर्पनखा नाम के बारे में कृ्पया स्पष्ट करें....साथ ही ये भी स्पष्ट किया जाए कि आपने किस आधार पर उन्हे सूर्पनखा जैसे शब्द से संबोधित किया । अन्यथा "ब्लाग नारी मुक्ति संस्थान" आपके खिलाफ मोर्चा निकालने को विवश होगा ।
November 5, 2009 3:34 PM
चेतना पर…
-
- वाणी गीत said...
-
अलग होते सुमन लेकिन सभी का एक उपवन है,
कई मजहब की ये दुनिया अलग क्यारी सी लगती है...
सुन्दर भाव ...!! - November 5, 2009 8:15 PM
"मैं शर्मसार हुआ, क्या आप नहीं हुए...खुशदीप": पर….
अजय कुमार झा ने कहा……
खुशदीप भाई ..
बात बस इतनी सी है कि हर किसी को एक सीमा रेखा खुद ही तय करनी चाहिये .."और ये सीमा रेखा कैसी , कितनी हो , यही तय करेगा आपकी लेखनी का भविष्य और शायद खुद आपका भी "
ये बात कुछ समझ जाते हैम कुछ नहीं , कुछ समझाने के लिये नासमझ बन जाते हैं कुछ शायद वाकई नासमझ होते हैं ।
खैर आपने बात को यहां रखा ..उससे भी तरीके की बात है कि बिल्कुल सही और सलीके से रखा ॥
रात चाँद की कोशिशें नाकाम हुई क्यों, होता है ये सब!(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )
राजकुमार ग्वालानी said... @ November 6, 2009 8:07 AM
हर ब्लाग से चुना आपने गुलाब
आपकी चर्चा है लाजवाब
चारसौबीसी के पहले जानिए कि छल क्या है? पर राज भाटिया फ़रमाते हैं..पर फ़िर भी ताऊ के हाथों हमेशा लुटते पिटते आये हैं. ( दोनों से क्षमा पूर्वक चुटकी.:) ली है। काहे से की ई दोनों ही जन बडी शान से अपने आप गधे पर बैठे हैं..त ह्युमर का असली जानकार लोग हैं..आप दोनों को आपत्ति हो तो बताईयेगा..ई सेंसर कर दूंगा…हम चुटकी उसी का लेत हूं जो चुटकी का जानकार दिखता है..जबरिया किसी का दिल दुखाना हमरा आदत नाही बा)
राज भाटिय़ा, 5 November, 2009 11:49 PM दिनेश जी हम से तो कई बार छल हुया है, इस लिये इस छल को ओर छलिये को अब हम पहले से पहचान जाते है, आप का धन्यवाद इसे यु बारीकी से समझाने के लिये
पूरा पोस्ट को पढते हैं , दू लाईन में आपके सामने धरते हैं (चिट्ठी चर्चा ) पर झा जी की भाषा मे ही एक ठो टिप्पणी देखा जाये तनि….
Meenu Khare ने कहा… ब्लॉग जगत का उम्दा पर्चा
दो लाइन में सबकी चर्चा.
फ़र्क़ पर
शिवम् मिश्रा said... दीदी प्रणाम !
बहुत बढ़िया कविता है .... एक लड़की ही क्यों रहे हमेशा सेलेक्ट होने वालो की लाइन में ??
बहुत ही सटीक प्रश्न है यह, समाज से उम्मीद की जाती है कि जवाब दे !! मेरा भी यही मानना है कि इस मामले में दोनों को सामान अधिकार मिलने ही चाहिए !
एक बेहद उम्दा पोस्ट कि बहुत बहुत बधाई !November 05, 2009 10:17 PM
Dr. Smt. ajit gupta said... आपने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है। कुछ लोग तो अधिकार पूर्वक क्षमा मांगते हैं। कहते हैं कि आप तो बड़े है आपको तो क्षमा ही करना है और मैं छोटा हूँ तो उत्पात ही करूंगा। मैंने देखा है कि हम प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों का दुरुपयोग करते हैं। ऐसे कई प्रकरण हैं, जिनका हम खुलकर दुरुपयोग करते हैं और सज्जन व्यक्ति को ही शर्मिन्दा करते हैं।
November 5, 2009 10:34 PM
आईये मिलिए पहली नायिका से .....(नायिका भेद )
cmpershad said... "मोहक और यौवन प्राप्त रमणी ही नायिका कहलाती है "
डॉक्टर साहब, इस परिभाषा में तो खलनायिका भी आती है जो नायक का ध्यान नायिका से हटाने के लिए अपने मोहक और यौवन शरीर का उपयोग करती है:)05 November 2009 07:54
राजस्थान पत्रिका में प्यारे चूहे साथियो ...जागो की चर्चा
पी.सी.गोदियाल on November 6, 2009 9:42 AM
एक बार पुनः बधाई पंकज जी, मुझे उसी दिन पाबला जी की पोस्ट से यह यह मालूम पड़ गया था !
नीरज गोस्वामी says:
November 5, 2009 6:59 PMभाव का अभाव घुल गया
भावना तल्लीन हो गयी ।
लाजवाब...क्या शब्द प्रयुक्त किये हैं आपने...बधाई...
नीरज
आसमानी रिश्ते भी टूट जाते हैं..
Arvind Mishra ने कहा… बेहतर विकल्प घर से दूर ही होते हैं अक्सर, न जाने क्यूँ.
हाँ यह एक अनुत्तरित प्रश्न रहा है मेरे लिए भी -लेकिन तभी शायद हरिऔध की वह कविता
याद आ जाती है न जो वर्षा के एक बूँद के मोती बन जाने की इसी उधेड़बुन को बयाँ करती है.
बिखरे मोती की भी कुछ ऐसी ही मार्मिक किन्तु सुखान्त कथा है !11/05/2009 07:13:00 पूर्वाह्न
Babli ने कहा… मैं आपके इस शानदार पोस्ट को पढ़कर निशब्द हो गई! हर इंसान की ज़िन्दगी में कुछ ऐसे पल होते हैं जो वो सिर्फ़ यादें बनकर रह जाती हैं! आपकी लेखनी को सलाम!
11/05/2009 07:52:00 पूर्वाह्न
खुशदीप सहगल ने कहा… सदियों से ऐसा देख कर कि बेहतर विकल्प घर से दूर ही होते हैं अक्सर, न जाने क्यूँ...
गुरुदेव, मेरी ज़िंदगी का भी यही सच है...
वैसे आज आप की ये कलम न जाने कितनी आंखों को छमछम बरसाएंगी...
जय हिंद...11/05/2009 09:03:00 पूर्वाह्न
तीखी बात के छदम नाम से प्राईवेट लिमिटेड कंपनी के चेले चपटवा ने "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर एक टिप्पणी की है:
स्वार्थी जी आप ऐसा करके खुद ही साबित कर रहे है कि हिंदी ब्लॉग जगत में एक गुट है. और वो गुट किसका है ये सब समझते जा रहे है. वो दिन दूर नहीं जब आप लोग मिलकर श्री समीर लाल जी का बंटाधार करवा देंगे. जहा आपके आकाओं की चर्चा नहीं होती तो वहा आते ही क्यों हो. पर क्यों नहीं आवोगे तुमको यहा आये बिना नींद भी तो नहीं आती होगी.
जितना समय यहा सर खपाने में लगा रहे हो उतना कुछ सार्थक काम करने में लगाओ. वरना यु तिलमिलाना छोडो. ऐसे लोगो से घिरे होने के कारण ही कुछ अच्छे लोगो का नुकसान हो रहा है. भगवान इन्हें सद्बुद्धि दे.बाय द वे सोचने वाली बात है कि समीर लाल जी ने रचना जी को तो जवाब दे दिया पर स्वार्थी जी के बारे में कुछ नहीं कह रहे है ऐसा करके वे उन्हें बढावा दे रहे है? कही ऐसा तो नहीं कि उन्होंने स्वार्थी से कहा हो कि तुम मेरे पक्ष में टिपण्णी करो.
इस पर चच्चा कह रहे हैं कि….कुश..जितना गुटबंदी अऊर खेमेबंदी तुमने अऊर तुम्हारा एक ठो दोस्तवा ने किया है जो कि आजकल दिखाई नाही दे रहा है..कारण कि सब समझदार लोग ऐसन समय बिल मा घुस जात हैं….हां तो मैं कोह रहा था कि….बोलो तो एक ठो पोस्टवा लिख कर बता सकत हुं कि किस किस को तुमने क्या क्या कहा?
इतना मत इतरावो…कि आकाश भी तुमको जगह देने से शरमाये….हमारे पास तुम्हारे किये सब कारनामों कि मेल आती है..सब हमको बता देत हैं कि तुमने अऊर तुम्हारे दोस्तवा नें किस किस के बारे मे क्या क्या भडकाया? बेहतर है अपनी नही तो दूसरन की इज्जत का तो ख्याल करो?
अऊर इसका बाद…एक सब से समझदारी भरा टिप्पणी आया है…यह सोच है सकारात्मक सोच….अगर सभी सतीस सक्सेना की सोच के लोग हों तो यहां भाईचारा अऊर सौहाद्र बना रहे…पर अफ़्सोस…सतीस सक्सेना साहब…इहां पर अब सब चेला चपटवा लोगन का राज हुई गवा है…..
सतीश सक्सेना ने "आज की चिठ्ठा चर्चा" पर टिप्पणी की है:
यह अजीब लगता है कि बेहतरीन लिखने वाले और ईमानदार लोग भी घटिया लोगों का बचाव करते सिर्फ इस लिए नज़र आते हैं क्योंकि घटिया होते हुए भी उनके कुछ मज़बूत ब्लागर चेले भी हैं और वक्त पर वे उनका बचाव करने में सक्षम भी है ! अतः आप भी विवश हैं ऐसों का बचाव करने को ...मुझे आप पर तरस आ रहा है !! आशा है आप अपनी कार्यशैली पर पुनर्विचार अवश्य करेंगे ! फिर आपमें और दूसरों में फर्क कहाँ रहा है ?
अगर आज कड़वे लोगो के प्रहार खराब लग रहे हों तो कृपया आप अपने आपको, ऊपर से खूबसूरत मगर बेहद घटिया मनोवृत्ति के लोगों से, अपने को अलग रखें अन्यथा आपमें और दूसरों में कोई फर्क नहीं होगा ! ये गंदी मानसिकता के लोग आपके सम्मान को ले डूबेंगे दोस्त !
अपने मित्र को सादर !
अऊर अंत मा अब आज हमार जन्म दिन है त हम अब जात हैं…अऊर ई केतना घटिया टेम्पलेटवा लगाया जो उन लोगन की घटिया मानसिकता का प्रतीक बा। पर का करि सकत हैं….हम तो मजबूर हैं…देखो भगवान कब सदबुद्धि इनको देत है।
अंत मा शुकुल जी महराज से निवेदन बा कि हमरा खिलाफ़ कुशवा का टिप्पणि तो आप निकाले नही…जबकि उहां से हमारा झगडा खत्म हो जाता..अऊर आपका चेलवा कुश का तारीफ़ मा कल जो कमेंट राजेश स्वार्थी अऊर शुभचिंतक का आया रहा ऊ आप फ़टाक से मिटा दिये? बहुते गलते बात है ना जी ई तो? तो हम उस पोस्टवा को लेकर पूरा पोस्टवा ही छाप रहा हूं…
अऊर एक बात कि ये इतना गंदा संदा टेंपलेटवा काहे लगवाये हैं? कम से कम आपका नाही त चच्चा की इज्जत का तो ख्याल करिये ना जी….लोग क्या कहेंगे कि चच्चा के पास रोहित बचूआ है अऊर इत्ता सब गंदा सा टेंपलेटवा लगाये हैं….
त अब हम अपने आपको भी जन्म दिन की बधाई दे लेत हूं अऊर बच्चा लोग आप लोग भी कहो..हैप्पी बड्डे चच्चा टिप्पू सिंह……….
जल्दी ही वापस आत हैं……टिप टिप…टिप..टिप…… करो अऊर टिपियाओ।
बडी दूर की कौडी खोज के लाते हैं। लगे रहें, मजा आ रहा है।
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परा मनोविज्ञान-अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।
चच्चा बधाई स्वीकार करो जन्मदिन की ........अभी और चौसठ साल जियो और ऐसी गलती करने वाले को ६४ जन्मो तक दंड दो ......यही कामना ..यही सन्देश
और हां केकवा ड्यू मत रखिह आज शाम के ही आवत बाँई तोहरे भवन माँ ...उ गनवा सुने हुवा ना ....तोहरे भवन में ...ज्योति जागे
टीपू चाचा के जन्मदिन मुबारक ...औरी रउवा इ कौन झगडा लफडा में पड़ गईनी है बर्थ डे के दिनवा ...
लडाई झगडा साफ़ करो ...गाँधीजी को माफ़ करो ... !!
आज मुझे अपनी इस कविता को अपने ब्लॉग पर ठेलने का मन नहीं हो रहा था, मेरा मानना है कि यहाँ सुन्दरलाल जी और रचना जी की नोकझोंक में मेरी अयह यह रचना आग में घी का काम कर सकती है अतः टिपण्णी सवरूप ठेल रहा हूँ इसे अन्यथा न ले ;
किसी ने सच ही कहा
कि बड़ी अजीब होती है
इंसानी हसरते!
कुछ भी कर लो मगर
पूरी नहीं होती कभी,
दिल की फितरते !!
यूँ तो,
अपने सुख की खातिर
रुख बदलने वाले
बहुत सी मौजो के
सफीने होते है !
मगर यह भी सच है कि
कुछ मौकापरस्त लोग,
जरुरत से ज्यादा
कमीने होते है !!
सिर्फ और सिर्फ
अपने सुख और
भोगविलासिता के खातिर
नई नवेली दुल्हन मिली
तो घरवासी बने,
कुछ लम्हों बाद,
मन उचट गया,
बोतल पकडी और
गैरवासी हो गए,
हद तो तब हो गई,
जब वीजा हाथ लगा
और जनाव प्रवासी हो गए,
दिखाके सबको ठनठन !
और बन गए खुद,
नौन रिलाएबल इंडियन !!
chachaa happy birthday !
जन्म दिन मुबारक !
हैप्पी बर्थ डॆ टूऊऊऊऊ यूऊऊऊऊ !
जन्मदिन की बधाई !!
जन्म दिन मुबारक हो चच्चा | बहुत बहुत शुभकामनाएँ |
चच्चा, बहुत बवंडर है सब तरफ. आज तो आप सब कुछ छोड़ो और मस्ति में अपना जन्मदिन मनाओ. पार्टी कहाँ रखे हो, बता देते तो चले आते खरामां खरामां हम भी. वैसे ६४ साल में भी नजर बड़ी तेज है, दूर दूर तक देख रहे हो, चच्चा. कहाँ कहाँ से कबाड़ लाते होते टिप्पणियाँ जो हम तो देखे ही नहीं रहते हैं. :)
जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.
चच्चा को जन्मदिन की हार्दिक बधाई. चच्चा हमारा सौभाग्य कि आपको हमारे ब्लाग की फ़ोटो पसंद आई, यह आपको सादर जन्मदिन की भेंट.
रामराम.
चचा को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाऎं......
ऊपर वाले ने आपको जरूर कोई दिव्यदृ्ष्टि बख्शी है....कहीं किसी कोणे में पडी टिप्पणी भी आपकी निगाह से नहीं बच पाती ।
काश ये झगड़े हम ब्लॉगरों के बीच न होते!
चच्चा को जन्मदिन की हार्दिक बधाई. बढ़िया टिप्पणी कलेक्शन नोकझोंक के छौंके के साथ !
चच्चा को जन्मदिन की हार्दिक बधाई.....
हैप्पी बर्थ डॆ टूऊऊऊऊ यूऊऊऊऊ !
हैप्पी बर्थ डॆ टूऊऊऊऊ यूऊऊऊऊ !
हैप्पी बर्थ डॆ टूऊऊऊऊ यूऊऊऊऊ !
हैप्पी बर्थ डॆ टूऊऊऊऊ यूऊऊऊऊ !
चच्चा टिप्पू जुग-जुग जियो...
जलने वालों की छाती पर ऐसे ही मूंग दलो...
जय हिंद...
बधाई हो जी
उम्र कोई मायने थोड़े ही रखती है, बस दिल - दिमाग जवां होना चाहिए
बी एस पाबला
janmdin kee badhaiii
वाह चच्चा ..आपको स्पेशल बधाई तो हम कूरियर से भेजेंगे ....और कौन कहता है कि आप बुढा गये ...आपके टिप्पे पर तो बडे बडे टापू धराशाई हो गये चच्चा ..आपकी जवानी तो तो जग कुर्बान ..आपका स्नेह बना रहे ..यही दुआ है ॥
ग़जब !
टिप्पणी क़ोट के फॉंट इतने बड़े क्यों हैं?
क्योंकि @ गिरिजेश राव
शायद इसलिये कि यह चच्चा नयनसुख द्वारा ब्लॉग अँधों के लिये कोट किया गया लगता रहे !
:)
चच्चा आज यह सब छोड़ कर मनाओ जन्म दिन की पार्टी !!
हैप्पी बर्थ डे !! चच्चा
पूछा जा रहा है टैम्प्लेट चर्चा कब शुरु होगी
Happy b'day
Happy b'day
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