ई चर्चा अऊर टेंपलेटवा कैसन लगा ? चच्चा टिप्पू सिंह
ए ल्यो ..आगये टिप्पू चच्चा. वैसन ही टिप टिप करते करते। चारों तरफ़ लोग हल्कान हुये जा रहे हैं कि कहां मर गये टिप्पू चच्चा? अरे भाई हम आप को बताना भूल गये थे हम दू दिन घूमने गये रहे। अऊर ऊहां हमको नेट मिलबे नही किया…त क्या करते? आज सुबह सुबह आये अऊर इहां आकर देखा कि मार हल्ला मचा है…हमरा मेल सब ठसाठस भरा है मेल से.. दे मेल पे मेल…भतिजा लोग हल्कान हुई गये…कि चच्चा देखो कैसन मौका देख के ई लोग टेंपलेटवा बदल दिहिस…. चच्चा तुम्हारी तो किरकिरी हुई गई….बहुते खराब बात किये चच्चा तुम तो….आदि आदि…सब भतिजा लोगन का इ-मेल आये रहे..
हम सब लोगों को कह रहा हूं कि चिंता का कोनू बात नही है…..ई देखल्यो कि ई चर्चा वोही टेम्पलेटवा मा हुई रही है कि नाही? काहे हल्कान हुये रहे भतिजा लोग? ई कोनू भिक्टोरिया महरानी का ताज है का? जो नाहि मिलेगा? अरे जब हम टेंपलेटवा सत्याग्रह चलाये हैं त ई दू मिनट का काम है…टेंपलेटवा बदलने मे कौन बख्त लगता है? सब बना बनाया मिलत है…..जरासी अक्ल भिडाया अऊर हो गईल काम…रोहित बचूवा का लिये ई सब मिनट दू मिनट का काम है…
हम ऊ लोगन की तरह नाही हैं कि कोनू चीज छुपायें…ई ल्यो अगर आप लोगन मे से किसी को ई टेंपलेटवा चाही त ईहां से डाऊनलोड कर ल्यो…चलो भतिजा लोग अब तो खुश? अऊर एक बात इसमे कोई कापी नकल नाहि होत है..ऊ जो लगाये हैं ना ऊ भी किसी का मार के लगाये हैं..कोनू घर मा नाहि उगाये हैं…आप लोगन को पसंद हो तो लगा लो आप लोग भी।
और वो जो ब्लाग की ताजा हलचल वाला बक्सा बनाय है, वो आप लोग यहां चटका कर देख लो। रोहित बचुवा ने यह ढूंढ़ कर सब बदला-बदली कर दी और लगा दिया टेम्पलेटवा में।
अऊर चिठ्ठा चर्चा मा अनूप शुकुल जी हमका बडा समझाईश दिये हैं कि हम बिना गरियाए काम करके देखें…त उसका जवाब भी हम इस पोस्ट का अंत मे देरहा हूं…काहे से कि ऊ भी तो अंत मा लिखे हैं त हम भी अंते मे ही जवाब देंगे ना….
हां तो अब हम पीछे से कुछ ठो पोस्टवा बांचे हैं अऊर उनसे कुछ कमेंटवा आप लोगन का लिये लाये हैं……
आज बच्चन जी की एक और कविता -तब रोक न पाया मैं आँसू !
मिश्रा जी इतनी सुन्दर कविता पढ्वाने के लिये धन्यवाद । कितनी सही और सुन्दर अभिव्यक्ति है |
मेरा धर्म महान....तुम्हारा धर्म बकवास!!!
बहुत सटीक लिखा वत्स साहब ! मेरा मानना है कि इस धरा पर आदिकाल से दो ही धर्म है, एक मानव धर्म और दूसरा दानव धर्म ! दोनों ही मनुष्य के रूप में मौजूद है, अब ये लोगो के ऊपर है कि वे किसे मानव धर्म मानते है और किसे दानव ! हाँ पौराणिक कथाओं में हम पढ़ते थे कि यहाँ कुछ लुफ्त उठाने वाले स्वर्ग के देवता भी होते थे तो उस संधर्भ में आप अमेरिका और अमेरिकियों को देख सकते है ( हालांकि अब वो बात नहीं रही फिर भी ) अमेरिका स्वर्ग और साधन संपन्न अमेरिकी लोग , देवता !!!! |
देखिये महेंद्र भाई एतना लोग हा हा हा किये हैं...हम ही ही ही कर देते हैं....माने ठिठिया रहे हैं...बहुते खूब दुकान वाला सुपर हिट है .. |
ई धांसु ब्लागर का असली पोज है, |
ई फोटू तो बहुते जबर्दस्त है दीदी, का करियेगा माडर्न जमाना आ गया है । फोटू देखकर पहले लगा की बेचारा कितनी गरीबी में है, पर जब लैपटापवा पर नजर पड़ी तो दिमगवे घूम गया । |
अरे हमको ई पोस्ट और आप लोगन के टिप्पणी पढ के मजा आ गया. आज बिहिनिया जब हमरे मेहरारू नें ई फोटू खींची तब हमें नहीं लगा था कि इसमें कउनो अट्रेक्सनवा है फेर भी पोस्ट में ठेल दिया था. |
पुरानी डायरी से - 5 : धूप बहुत तेज है।
"तेरी शरीर जल जाएगी इन सड़कों पर । " |
इतने विमर्श के बाद भी 'जल जायेगा' नही हुआ जाने दो जब जल जायेगा तब देखेंगे । भैया इस रचना के लिये जून तक नही रुक सकते थे । अभी रुको हम अपनी किताब " गुनगुनी धूप मे बैठकर" से कविता सुनाते है। डायरी मे तो खैर..... । |
कौन सा ब्लौग? कौन सा चिट्ठा? कौन से मठाधीष?
देखो प्रशांत .. |
वो पढ़ा तो इसे भी पढ़ लीजिए...खुशदीप
हम्म्म्म |
आपकी कल की पोस्ट पर जो विमर्श हुआ उसके बारे में मेरा कहना है ..
3. नैतिक मापदंडों को लेकर भी मेरा कोई विशेष आग्रह नहीं है ...क्योंकि नैतिकता की परिभाषा समाज देश काल परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती है ...उम्र के इस फासले को लाँघ कर शादी करना और उसे एक त्याग के रूप में परिभाषित करना ...इसके दुष्प्रभाव ..नारी होने के कारण..जिस तरह हम सोच पा रहे है ...शायद आपकी नजर उधर नहीं है ...आर्थिक दिक्कतों और बहुत सी मजबूरियों के चलते कम उम्र की लड़कियों को उम्रदराज पुरुषों को ब्याह दिए जाने की परंपरा को भी इसी तरह महिमामंडित किया जा सकता है ... 4. माननीय अरविन्दजी ने अपनी टिपण्णी में लिखा की गांवों में स्थितियां अलग प्रकार की होती है ...अगर युवक शादी किये बिना उसकी मदद करता तो उसे बहुत ताने दिए जाते ...मरवा दिया जाता ... 5. एक बात और बार बार कही जा रही है ...टिपण्णी को बदलने की ...मुझे समझ नहीं आया इसमें क्या आपत्ति है ...कई बार किसी घटना को लेकर त्वरित टिपण्णी में और बाद में गहराई से सोचने पर की गयी टिपण्णी में अंतर हो सकता है ...और ये हम स्त्रियों की महानता ही है की ..जब हम कही अपने आप को गलत समझते है तो उसे अपने अभिमान का प्रश्न नहीं बना कर अपनी गलती सुधार लेते हैं ...ये जो आप लोग कॉलर ऊँची कर के अपनी सुखी गृहस्थी का ऐलान करते हैं ना ...उसके पीछे नारियों की इसी भावना का हाथ होता है ...मानते हैं ना आप .. |
.बाबा कायलदास प्रवचनम : खूंटे पै सम्मेलनम(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )
हमतो तबियत से दिल का साज बजाते हैं |
ये तो गलत है भाई. अभी अलाहाबद में भी कुछ ऐसा ही सन्मेलन हुआ था. ताऊ को उसकी भी रिपोर्टिंग करनी चहिये थी. |
पंकज, घोडे बेच के तो लोग सोते हैं मगर क्या गधे बेच कर ताऊ भी सो गए ? उन्हें जगाईए न जल्दी ! |
पंकज जी आपका काम तो इस हफ्ते बहुत ही रहा...पर फिर भी गुणवत्ता पर आंच नहीं आने दी आपने...बधाई... |
पुल के उस पार से: इलाहाबाद दर्शन
समीर भाई जे जो इलाहाबाद वाली गाडी है अब कब तक और चलेगी जी |
पहले तो आपकी लिस्ट के बारे में आप बाल्टी लेना भूल गए हैं !!! और आपके शीर्षक बहुत ही प्यारे हैं प्रतीत होता है उनमे कई मनोरंजक कई ज्ञानवर्धक और कई भावनात्मक लेख हैं !!! |
यहाँ भी इलाहाबाद!! नहीं जी माल कुछ और है, लेबल कुछ और...क्या बात है!! फिर से कायल कर दिया :) |
गुरुदेव, |
अच्छा हुआ मेरा कोई दोस्त ब्लागर नही है वर्ना…………………………
दरअसल, कुछ लोग अपनी संकुचित सोच से ऊपर उठ ही नहीं पाते. समस्या तब होती है. |
अनिल भाई! बहुत प्यार है आप में। बस इस प्यार को जीवित रखें। हर हालत के लिए। इस दुनिया में सब कुछ न हो और प्यार हो तो चल जाएगी। लेकिन सब कुछ हो और प्यार न हो तो एक दिन नहीं चलेगी। |
अनिलभाई, |
जलेबियां खत्म हो गई आते आते : सबसे तेज गधा सम्मेलन रिपोर्टम
के लिये जाते हुये ताऊ को देखकर एक कविता सुनी जाये..बतर्ज एहसान कुरैशी
अब तो गधे भी गधों पर सवारी करने लगे
और गधे गुलाबजामुन छोड जलेबी खाने लगे
इंसान तुझसे तो अच्छा ये गर्दभराज निकला
खुद के सम्मेलन मे तुझे पीठ पे ले निकला
October 30, 2009 11:31 AM ताऊ, हमें इस सम्मेलन लायक भी नहीं समझा? :( |
October 29, 2009 6:25 PM अब ताऊ की बारी है ! हा हा ! गधों का मीनू भी बताईयेगा ! नाश्ता तो हो गया ! |
October 29, 2009 5:58 PM अरे ताऊ, उज्जैन के पास से गुजरे और गधेडे को दाल-बाफ़ला ना खिलाया? पाप पड़ेगो… :) |
October 29, 2009 4:40 PM "गधा सम्मलेन" .... और हमको निमंत्रण नहीं !!!!!!?????? |
इसी पोसटवा पर दू गो कमेंटवा अऊर देखिये तनि…
October 29, 2009 4:43 PM जे सम्मलेन भी कम ना है ...जलेबी नही मिलने पर इस गधेडी प्रेमिका ने इस गधेडे प्रेमी के साथ क्या बर्ताव किया...अब तो बस इसी रिपोर्ट का इन्तजार है ..!! |
October 29, 2009 4:57 PM जलेबियो की कमी खर को खरक गई |
"लिफ़ाफ़ाबाद का ब्लॉगर सम्मेलन और मच्छर":
वह मीनू जी .. ब्लोगर्स कि तो ऐसी तैसी कर दी आपने .. बिचारे इतना बड़ा बौध्धिक सम्मलेन करने गए थे और मेहनताना हम लोगों को दे दिया .. इतनी मनोरंजक समीक्षा करके |
मिस कॉल की भाषा (अमर उजाला के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित)
"प्रेमिका अपने प्रेमी को मिसकॉल करती है, फ़िर प्रेमी भी मिसकॉल देकर अपने प्यार का इजहार करता है।" |
किसी की मिसेज को |
अऊर अब अंत मा अनूप शुकुल जी हमारे लिये उनका चिठ्ठा चर्चा पर फ़रमाये हैं……उन्होने जो फ़रमाया है ऊ लाल स्याही से लिखा हू अऊर उसी का नीचे नीला स्याही मा जवाब लिख रहा हूं. अऊर जो कुछ प्रति टिप्पणियों में शुकुल जी अऊर अऊर उनका चेलवा लोग फ़रमा फ़रमा कर मिटा दिये हैं ऊ भी सब हमारा पास मेल मे भतिजा लोग हमको भिजवा दिया है. उसका जवाब भी समय पर हम दे दूंगा…..
अनूप शुकुल जी के सवाल : चच्चा टिप्पू सिंह के जवाब आज की चर्चा जरा देर से हो पाई। नया टेंपलेटवा बनवा रहे थे क्या? मिसिरजी की तबियत कुछ गड़बड़ा गई। सो हम हाजिर हुये। ईश्वर उनको जल्दी स्वास्थ्य लाभ दे. वैसे हम नही समझा कि ई कौन से मिसिर जी हैं? आज फ़िर चर्चा का टेम्पलेट नया है। मतलब कि आप ई टेंपलेट युद्ध चालू रखियेगा? कोनू हर्ज नाहि. जैसन आपकी इच्छा मालिक। इसको बनाने वाले हैं डा.अमर कुमार। ई त बडी खुशी का बात हुइ गवा कि अब कोई समझदार आदमी को इस काम मे लगाये हैं. बधाई हो। अब आयेगा टेंपलेटवा बदलने का मजा रोहितवा को। इसको नकल करने वालों से अनुरोध है कि वे अपने गरियाने वाले साफ़्टवेयर में नाम संसोधन कर लें।
कश अब इस बदलाव के पीछे नहीं हैं। अब ई कश कहां से आ गवा? कोनू नया चेला रखे हैं का? अऊर अगर आपका इशारा कुश की तरफ़ है त ई तो हमका पहले से ही मालूम रहा कि वो उसका लरिकपना मा आप को भी फ़ंसाय लिया.. ऊ त बच्चा बुद्धि कह के निकल लिया पतली गली से..अब आप भुगतो..अऊर बदलवाओ टेंपलेटवा रोज रोज… हम पूछता हूं कि का जरुरत था ई सब इश्यु खडा करने का? ऊ लौंड बुद्धि ने इस टेंपलेटवा की वजह से ही हमको आपका ब्लाग पर गाली दिया…हम कहता हूं कि अगर हमको पसंद आगया अऊर हमने आपके जैसा टेंपलेटवा लगा भी लिया था तो इस तरह ऊ हमको गाली क्यों दिया? आप हमको शांति से कह देते कि चच्चा आप ई टेंपलेटवा बदल ल्यो..हम आपकी बात को मना करता क्या? हमने तो शुरु में इस करके लगाया था कि शायद चर्चा का टेंपलेटवा ऐसन ही होता होगा..सो इस गलत फ़हमी में हम भी लगा लिये...वैसे हमको ऊ तो क्या …आपका ये कोई भी टेंपलेटवा आज तक पसंद नही आया…आपको चाहिये त चच्चा का पास मा एक से एक धांसू टेंपलेट हैं ऊ आपको दे सकत हैं…अऊर आपके साथ हमारा झगडा खत्म हो जायेगा त देखियेगा हमारा टेंपलेट..कि टेंपलेट कैसन होत है? तब तक तो मालिक आप जैसन टेंपलेट लगायेंगे वैसन ही चच्चा भी लगायेंगे. वैसे कुछ दिन बिना कोसे/गरियाये पोस्ट करके देखें। शायद ज्यादा मजा आये। शुकुल जी, ई तो आप हम पर बीच बाजार मे आरोप लगा रहे हैं. आप एक भी आदमी से ई कहलवा दिजिये कुशवा को छोडकर कि हमने किसी को भी गाली दिया हो? अऊर महराज…ई गाली देने का अऊर बेइज्जती करने का काम तो आपके पुरातन मंच पर ही ज्यादा शोभा देत है। इस कुशवा ने ही कितने लोगों को उहां गाली दिया अऊर नंगा किया? ई सब दुनिया जानती है….आपने ही बंदर के हाथ तलवार दे रखी है मालिक.. आप कहे तो एक ठो पोस्ट लिख दें? अऊर आप ई बताइये कि हम कभी आपका ब्लाग पर आकर कुछ कहा? हम अपना ब्लाग पर कभी कुछ कहा किसी को? आप हम पर ई आरोप लगा रहे हैं सरासर…आपको ई शब्द वापस लेना पडॆगा…भले चच्चा टिप्पू की गलती हो तो आप सब लोग चच्चा को दू गो चपिया सकत हो....पर ई आरोप आपको वापस लेना होगा । बिना बात हमने कभी भी किसी को "अरे" शब्द भी नाही बोला है, आप किसी से कहलवाईये कि हमने किसी को गरियाया है…? अरे शुकुल जी काहे झूंठ बोलते हैं? आपका ई दावा बिल्कुले गलत है? डा.अमर कुमार को हमारा शुक्रिया। हम भी धन्यवाद देता हूं डाक्टर साहब को कि बिल्कुले मेहनत नाही करवाये ई टेंपलेट बदलने में.. बस दू गो मिनट लगा। बहुते शुक्रिया डाक्टर साहब..अगली बार जरा तगडा लाईयेगा तनि। आप को कैसा लगा यह टेम्पलेट बताइयेगा। सही बताऊं क्या? बिल्कुले मजा नाही आया… अऊर वैसे आपको अगर चापलूसी से खुशी मिलती हो तो लिख देता हूं.. वाह ..क्या टेंपलेट है शुकुल जी? छा गये जी आज तो.. ऐसन टेम्पलेट तो आज तक देखबे ही नही किया. अब ठीक है? इसमे कौन हमार टका खर्च हुई गये। आप फ़ील गुड करो। मजा करिये. अब हम कहां से मजा करूं? मजा तो आप अपना चेले चपट्वा लोगन को करात हैं? हमको तो सिर्फ़ गरियात हैं. आप लोग गरियाना अऊर लोगन की इज्जत उतारना चालू रखिये..आखिर बिना इसके पुरातन दुकान कैसन चलेगा जी? पर फ़िर कहता हूं कि चच्चा जैसा लोगन से पंगा मत लिजियेगा। ऊ का है कि हम तो यहुदी धर्म के सख्त मानने वाले हैं। कोई एक गाली देबे करेगा त बदले मे सौ ठो गाली पायेगा अऊर एक कदम दोस्ती का हमरी तरफ़ बढायेगा त हम उसका तरफ़ सौ कदम चलूंगा। |
हां तो शुकुल जी आपके इस अंत मे लिखे पैरे का जवाब तो हम दे दिया हूं। अऊर उम्मीद करता हूं कि आप इससे सहमत होंगे? अब चूंकि आप चिठ्ठा चर्चा के हैड हैं अऊर आपके पास तो पूरी बाबरी फ़ौज है तोपखाना के साथ। अऊर आप शायद सोचते होंगे कि आपका बराबरी कोई नाहि कर सकत. तो आप का मर्जी। पर हम तो राणा प्रताप का फ़ोलोवर हुं घास का रोटी खा लूंगा…पर बेइज्जती सहन नाहि करुंगा….आपकी फ़ौज के सामने हम कुल जमा तीन लोग हैं….एक शेर है अजय कुमार झा..दूसर हैं ई रोहित बचूआ..अऊर तीसरे हैं हम यानि चच्चा टिप्पु सिंह…अऊर ई भी समझ ल्यो कि बात इज्जत की आ पडी है तो हम तीन जन आपके तीस पर भारी पडेंगे…आप एक दिन मा दू पोस्ट लिखेंगे ..हम चार लिखूंगा…अऊर टेंपलेटवा त तुरंते बदलूंगा..
अऊर अगर आपको इस लडाई का अंत करने का मन है त हमारी मांग इहां बता देत हैं..काहे से कि आपने हमको जो सलाह दी है उसका मर्म हम समझ रहे हैं…अऊर इसीलिये ई कदम आपका तरफ़ बढा रहे हैं कि अगर आप लोग सुलह चाहत हैं त हमका क्या पागल कुत्ता ने काटा है जो हम जबरिया लडेंगे? हमरा पास भी टाईम की बडी कमी है . सारा दिन आफ़िस मा खिटिर पिटिर करो..छुट्टी वाले दिन ई आपकी टेंपलेटवा की खिटिर पिटिर...आफ़िस मा कोई पकड लेगा तो अच्छी भली हमरी सरकारी नौकरिया की बार्ह बज जायेगी? इसलिये हमारी शर्तें नीचे लिखी हैं। हों मंजूर तो बोलिये मालिक?
१. कुश से माफ़ी मंगवाई जाये. सार्वजनिक भी नही तो हमरा मेल बाक्स मा। हम वचन देता हूं कि ना तो मेल का जिक्र होगा अऊर ना कोई चर्चा…इसका बदला मा हम ई बिलागवा तुरंते डिलिट कर दूंगा..इधर मेल आया अऊर उधर ई बिलाग डिलीट हुआ…ई एक राजपूत का वचन है। आया समझ मा तो ठीक ..वर्ना दूसरी शर्त सुनिये.
२. आपके बिलागवा पर जो कुश की टिप्पणी हमारे खिलाफ़ है उसको आप तुरंत हटा लिजिये… बदले मे हम टेंपलॆटवा बदलना छोड दूंगा. ..यानि टेंपलेट सत्याग्रह खत्म। पर इस का साथ शर्त यह रहेगी कि जैसे ही कुशवा आपके बिलाग पर चिठ्ठा चर्चा करेगा हम वैसे ही टेंपलेट आपके वाला लगा लूंगा….यानि उसके चर्चा करने तक हम अपना टेंपलेट सत्याग्रह बंद रखूंगा.
३. अगर आपको इनमे से कुछ मंजूर नही है तो जैसा चल रहा है वैसा ही चलेगा..आप चाहे जिससे टेंपलेट बदलवाईये। हमरा टेंपलॆट बदलने वाले से कॊई झगडा नही है। हमने अपना प्रस्ताव यहां इसलिये दिया है कि लोग टिप्पू चच्चा कॊ रिजिड ना समझे। हम झुकना भी जानता हूं। अऊर अगर गलती करुंगा तो माफ़ी मांगना भी जानता हूं।
अब चच्चा की सबको टिप टिप..भतिजे लोगो…हमरी आज की पोस्ट कैसन लगी? जरुर बताना।
बहुत शानदार टेम्पलेस्ट है। और हाँ, चर्चा तो जोरदार है ही।
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स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक
चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया
arey ! apki yeh post bahute badhiya laugi...
चच्चा, बड़ी जल्दी समझौता वार्ता शुरु हो गई। अभी तो सत्याग्रह रंग पर ही नहीं आया।
हमें तो ये टेम्पलेट कम्पीटीशन पसंद आया रोज रोज नई सूरत तो देखने को मिले है।
वाह चचा..पैरी पौणा..हम तो समझा था आप मुंह छिपाकर बैठ गये कहीं। दू दिन होगया लोगन का उछलकूद देखते हुये..आप तो सत्याग्रह बंद नाही करियेगा.
इतना सुंदर टेंपलेटवा और इतनी सुंदर चर्चा किये हो कि आपको परणाम करता हूं। चचा हो तो टिप्पूजी जैसा।
सुनीता शानू का मिस टिप्पणी पर नया व्यंग्य आ रहा है। अखबार खुदै ही तलाशिए। जो तलाश लेगा सुनीता जी उसकी पोस्टों पर नियमित टिप्पणी किया करेंगी। क्योंकि टिप्पणी पर मिस्टर काल की सुविधा नहीं है।
कमाल है! यह सब अभी तक चल ही रहा है!?
हम तो समझे, मामला खतम हो चुका!!
बी एस पाबला
चच्चा जी गोड़ लागी-नीक बा,हम तो आए थे तनी टिपियाने दे्खे तो हिंया कुरुक्षेत्र का मैदान सजा हुआ है रजपूती आन-बान-शान दांव पर लगा है-मुंछ का लड़ाई अईसन ही होता है-हमहु मुछ वाले हैं लगा कि चलो हिंया काम तो आई, नही तो मिलेट्री मा दुस्मन के डरावे के ही काम आई रही थी-जब गोली खतम होई जाए तो बन्दुकवा के काम मुंछे से चलत रहे,भैया बखत पड़ जाए तो बड़ा काम के चीज है, चलिए एक गो पुराना गाना दरभंगा पार्टी के दु लाईन सुना के राम-राम करत हैं,
एक रात को चचा भतीजे पहुंच गए मैखाने
अन्दर से दरवज्जा बन्द था चचा लगे खुलवाने
जोर से धक्का मार भतीजे दरवज्जा खुल जाए
और...............आगे सेंसर है
टीपणी चर्चा के लिए बधाई-सबसे पहले हम ही आए रहे पर ससुरी बिजली ही चली गई रही तब तक देखे पांच टिपनी हो गया था-का करी।"पराधीन सपनेहु सुख नाही............
चच्चा किसी भी कीमत पर झुकने का नहीं | आज भी टिप्पणी चर्चा शानदार रही |
चच्चा, हम तो घबरा गये थे कि कहीं तबीयत तो...? न न!! अच्छा है आये गये.
अब आप तो ऑफर रख दिये हैं. चलिये.
चाचा जी आप भी न कैसा जुलूम इ ढाते हो..
टेम्पलेट का चक्कर में एतना दिन लगाते हो
सूख के ज़ब हम ठठरी भये तब पोस्ट देखाते हो
राग बिहाग का बेला पर भीमपलासी गाते हो....
इ एकदम वाजिब शिकायत है..गुस्सा माने का दरकार नहीं है...हां नहीं तो..!!
बाकि चर्चा रही आपकी एक दम दादरा पर...
धा धिन ना / ता तिन ना
इज्जत पे आँच तो हरगिज न आनी चाहिए......इज्जत गई तो क्या बचा! नया टैम्पलेट बहुत बढिया लगा.....ओर टिप्पणी चर्चा भी :)
टिप्पणी चर्चा अच्छी लगी !!
टिप्पू चच्चा जयराम ........
पाहिले एक बात साफ़ सुनी ली हम कतई नाइ सोचे रहले की आप भाग गए है ........
चच्चा आज की चर्चा तो अच्छी है पर अगर दिल से पुछी त टेम्पलेट पाहिले वाला ही सही रहल /...............
चचा आप आये बहार आई. बस आप तो कृपा बनाए रखिये. आपको क्या कहें? आपकी बात बहुत अच्छी लगी. चर्चा बडी ही शानदार है. इसको ऐसे ही नियमित बनाये रखिये.
आप बडे समझदार इंसान लगते हैं और इसिलिये इतना समझदारी भरी बातें रखी हैं. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
चचा टिप्पू सिंह की जय हो!!
इस ट्रेम्प्लेट मे मजा नही आया.. हाँ चर्चा मे तो बहुत आया ।
बहुत सुन्दर चर्चाएँ रहीं।
मगर टेमप्लेट तो पहले वाला ही अच्छा था।
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आ गया आ गया
टीप्पू चच्चा आ गया..
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जरासी अक्ल भिडाया अऊर हो गईल काम
चिंता का कोनू बात नही है… काहे हल्कान हुये रहे भतिजा लोग? ई कोनू भिक्टोरिया महरानी का ताज है का? नाहि मिलेगा?
चच्चा! हल्कान नही हुऍ हम तो आपको लापता देखे अनाथ होने का डर सता रहा था।
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हे प्रभू यह तेरापन्थ पर पढे
अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी
मुम्बई-टाईगर
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आ गया आ गया टीप्पू चच्चा आ गया
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@Udan Tashtari
अब आप तो ऑफर रख दिये हैं. चलिये.
समीरजी! समीरजी! समीरजी! प्रणाम
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हे प्रभू यह तेरापन्थ पर पढे
अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी
मुम्बई-टाईगर
विस्तॄत और तथ्यपरक ! हमें बचपन में पढे हुए कॉमिक्स चरित "चाचा चौधरी" की याद आ गई । अरे आपके दिमाग को देखकर ।
अपनी टिप्पणी इधर उल्लिखित देखकर हर्षित भए !
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आ गया आ गया टीप्पू चच्चा आ गया
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ताऊ रामपुरिया
चचा आप आये बहार आई. बस आप तो कृपा बनाए रखिये.
आपको क्या कहें? आपकी बात बहुत अच्छी लगी.
इसको ऐसे ही नियमित बनाये रखिये.
ताऊजी! कोनसी बात अच्छी लगी ? टेम्पलेट टेम्पलेट ? या शान्तिवार्ता ऑफर ? और क्या नियमित रखा जाऍ ? सविस्तार अवगत होता तो शुगमता बनी रहती।
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हे प्रभू यह तेरापन्थ पर पढे
अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी
मुम्बई-टाईगर
बहुत ही शानदार विषय चुना आपने ....कम से कम अब टिप्पणीसोच समझ के तो की जायेगी ...वहाँ बच भी गए तो यहाँ नहीं बच सकते ....बधाई आपको टिप्पणी चर्चा की सफलता के लिए ....!!
वाणी गीत की टिप्पणी सबसे असरदार गली ....!!
एक सुन्दर प्रयास आपके द्वारा। मेरा मानना है कि कभी कभी टिप्पणी भी मूल रचना से ज्यादा दमदार हो जाती है।
आपने मेरे ब्लाग पर लिखा है कि - "टिप्पणी चर्चा" में आपकी टिप्पणी को यदि शामिल करें और आपको एतराज हो तो मुझे टिप्पणी के द्वारा सूचित करें।
मेरा स्पष्ट मत है कि रचना हो या टिप्पणी दोनो की निष्पक्ष और निर्मम समीक्षा होनी ही वाहिए। अतः मैं स्वयं को इस महान कार्य के लिए यथा योग्य सहयोग के साथ सहर्ष प्रस्तुत करता हूँ। आप खुशी खुशी मेरी रचना और मेरी टिप्पणियों को शामिल करें, समीक्षा करें, ताकि मुझमे और सलीका का विकास हो।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Jordar TIPPU CHACHCHA Jordar
TIPPU CHACHCHA majedar.
DIL GARDEN GARDEN HO GAYA.
अच्छी चर्चा , और चच्चा जी,
आपने मेरे ब्लाग पर लिखा है कि - "टिप्पणी चर्चा" में आपकी टिप्पणी को यदि शामिल करें और आपको एतराज हो तो मुझे टिप्पणी के द्वारा सूचित करें।
तो सर्वप्रथम इस नाचीज को इतना महत्व देने के लिए हार्दिक शुक्रिया, और कहना चाहूंगा कि ,मेरा ऐसा कोई ऐतराज नहीं !