नंगई की हदें पार : आईला भईल कायला
चच्चा टिप्पू सिंह की टिप टिप…आज रोहित बचूआ आ धमके सुबह सुबह…कहिन लगे ..चच्चा हम अपना नाम का आगे बेशर्म लगा लूं क्या? हम कहा..तुहार दिमाग का कोनू पेंच ढीला हुई गवा का?
त ऊ बोला नाही..चच्चा ऊ क्या है कि आज कुश खुद से ही कुश “मगरुरवा“ बन गईल है….हम कहा – अरे ऊ त दूसर लोगों का इज्जत खराब करने वाला बेशर्म जाहिल है…कभी कुंवारे बन कर लोगों को बेवकूफ़ियाता है..त कभी कुछ…रोज त जी टाक मा नया नया ऊल जलूल नाम धरकर आपन बची खुची इज्जत भी खराब करवाय लिया.. पर तू क्यों बेशर्म की पदवी ले रहा है खुद से ही? त रोहित बोला – चच्चा आजकल त ई फ़ैशन हुइ गवा…बेशर्म…मगरुरवा…नालायक… कुंवारा…और भिखारी…यानि जी टाकवा मा टांक दो…जो भी बनना हो..इससे बडा इंप्रेशन बढत है…
हम कहा…. अरे ससुर का नाती…तुहार खुपडिया घूम गईल का? दू चपियायेंगे कान के नीचे और गिनती भी नाही गिनेगे…ई कोनू भला घर वाला लरिका लोगन का काम है का? अरे ऊ तो कभी का आईला आईला करता कायला कायला करने लगा है.. चल सीधे से टिप्पणिया बता अऊर आज का चर्चा शुरु कर….फ़िर हम तोहरे को सलमान खानवा का पिक्चर लंडन ड्रीम्स दिखाने ले चलूंगा… चल शुरु होजा अब….
दान पर देखिये …..
शरद कोकास said... भाटिया जी इस सद्विचार पर मेरी एक पूरी कविता है प्रस्तुत कर रहा हूँ
| said...
25 October, 2009 6:51 AM @ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
बाद वाले तो ले उड़े |
अब आगे चलिये जरा…
राष्ट्रीय संगोष्टी : हिन्दी ब्लागिरी के इतिहास का सब से बड़ा आयोजन
इलाहाबाद से 'इ' गायब (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की ) चिट्ठाचर्चा के अलावा अतीत के झरोखे से और नजरें इनायत पढना आपको बहुते अच्छा लगेगा. जरुर पढियेगा.
अब फिकर नॉट, ब्लॉगिंग पर कब्जा रहेगा चिरकुटों का….पर देखिये..
विवेक सिंह Says:
एक चिरकुट खेत में लैपटॉप लेकर खेत में शौच के लिए गया । जब तालाब पर पहुँचा तो जैसे ही पानी के लिए हाथ बढ़ाता मेंढक बोलता टर्र.., चिरकुट तुरंत लैपटॉप खोलकर बैठ गया, ब्लॉग पर लिखा : टर्र टर्र क्यों कर रहा, |
रवि Says: इ बात तो हमहूं पिछले सौ सालों से कहते आ रहे हैं. पण जब चाहे कोई अज्ञानी “मठाधीश मठाधीश” चिल्लाता चला आता है और आधी जनता हुआँ हुआँ करने लग जाती है…:) |
लो बोलो रतलामी साहब सौ साल से तो ई बात ही कह रहे हैं त इनकी उम्र बताई जाये…ये आज की पहेली है.
अब तनि अऊर बढा जाये… इनको टिप्पू चच्चा की अदालत में अब साधू होने का मन है….
बुलावा तो आपको मिला था विवेक मगर आप कोई |
विवेक भाई, |
ब्लागर उवाच -प्रयाग की चिट्ठाकारिता संगोष्ठी
कोटिश: धन्यवाद अरविन्द जी. बहुत अच्छी रिपोर्टिंग है.आपने मेरी प्रस्तुति के कंटेंट को हूबहू कोट किया है इसके लिए भी आभारी हूँ वर्ना एक ब्लॉग (गाहे-बगाहे) पर न सिर्फ मेरी प्रस्तुति के कंटेंट को मिसकोट किया गया बल्कि मेरे नाम के आगे वो टॉपिक लिख कर मेरी बाक़ायदा आलोचना भी की गई जिस टॉपिक पर मैं बोली ही नहीं. मैने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर प्रस्तुति की थी परंतु इस स्वतंत्रता के दुरुपयोग का शिकार सेमिनार से लौटते ही मैं स्वयँ हो जाऊँगी इसकी आशा नही थी. |
@ ब्लागरों ने बेलौस कई बातें ऐसी कीं जो आगे के विमर्शों की पूर्व पीठिका बन गए हैं ! - अमृत वचन। |
इसी पोस्टवा पर दू ठो कमेंटवा अऊर देखा जाये तनि….
बड़ी पैनी निगाह रखने का विचार था इस आयोजन पर...लगता है मोतिया बिन्द उतर आया है मुझे...धुंधलका छा गया है इतनी बातें साफ साफ जानकर...वरना तो काला चश्मा पहनना समझाईश है ऐसी हालातों में. :) |
ब्लागवाणी का कोड लिखते समय विश्वसनीय कोड ही लिखा था मैंने. बहरहाल रवि जी ने समझ और रिसर्च करके ही कहा होगा. अगर वो बतायेंगे तो यह भी जान लेंगे कि विश्वसनीय क्यों नहीं है. |
नीरज जी आपने इस पुस्तक की जानकारी दे कर हम पर बहुत बडा उपकार किया है मंगवाती हू इसे उनकी शायरी के बारे मे मैं तो क्या कह सकती हूँ सूरज को दीपक कैन दिखाये? मगर उनकी एक बात मैं बहुत अच्छी तरह जानती हूँ कि वो एक नेक दिल सुहृदय और बहुत ही अच्छे इन्सान हैं और मैं उन जैसा बडा भाई पा कर दुनिया की सब से खुशनसीब् बहन बन गयी हू। दूसरों को प्रोत्साहित करना और बहुत सहनशीलता से सिखाना कोई उन से सीखे।सब से बडी बात उनका बडप्पन हैकि वो श्रेय खुद को नहीं देने देते मुझ जैसी अल्पग्य को भी बडी मेहनत से सिखाते हैं। वो गज़ल ही नहीं कविता कहानी भी बहुत अच्छी लिखते हैं। उनकी कलम को और उन की इन्सानियत को मेरा सलाम है। अभिभूत हूँ उनकी काबलियत पर । भगवान उनको चिरायू और सुख समृद्धि दे ।उनको किताब के लिये बहुत बहुत बधाई और आपका धन्यवाद। |
अब वह मरीज कभी दरवाजा खटखटाने नहीं आएगा।
ये क्या पढ़ाया सुशील जी आज....! आँखें नम हो गईं...! बहुत नज़दीक थी ये मेरे अपने दिल के...!! |
कार्टून:- बाम्बे की बिल्ली उड़ीसा पहुंची
कार्टून बहुत सुंदर लगा, लेकिन हमारे नताओ कोऎसी बेकार की बातो के अलावा कोई ओर काम नही, जिस से जनता का भला हो... |
बहुत भावुक कर देने वाली पोस्ट. रचना काफी दिनों बाद पढ़ने मिली . आभार. |
कायलियत के कायल- कैसे कैसे घायल?!!
अरे भाई साहब ! आपने समीर जी के लेखन और उनके द्वारा दिलखोलकर टिप्पणियाँ बाँटने के बारे तो सुना होगा | |
जी हा! कभी कभी हम जिससे घायल होते है, उसी के कायल हो जाते हैं. काबिलियत और कायिलियत समानांतर नहीं हैं. |
सही कहा आपने , कायल तो लोग इतने हो जाते है कि भरे बाज़ार किसी बेसुरे गाने वाले को भी बहुत बड़ा गायक बता देते है ....कायल होना और कायल करवाना एक कला है भाई | कायल होने के चक्कत में आप घायल भी हो सकते है जिनके आप कायल है उनसे थोड़ा दूर ही रहे :) |
मैं तो आपके ब्लागिरी -दादागिरी बनाम गांधीगीरी का पहले से मुरीद ही था अब इस पोस्ट को पढने के बाद पूरी तौर पर कायल हो गया हूँ और हाँ आपकी फरमाईश तो कब की पूरी हो गयी और आपने न तो देखा भाला है और न ही शुक्रिया मिली अब तक ! |
वाह क्या खूब लिखा है आज तो. कायलियत कभी कभी घायलियत मे भी तब्दील होती देखी गई है.:) |
ये बेहिसाब कायल तो दंडवत ही हो गये. हम समझ गये आपका इशारा किस पंडित को नाप रहा है इस फोटो से. |
वाह, शब्द तो फुदक रहे हैं - कायल, कायलता, कायलमान, कायलीय, कायलत्व, कायला (आयला की तर्ज पर)...! |
इलाहाबाद से 'इ' गायब (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )
अब तक यहाँ हुई चर्चाओं में से एक अविस्मरणीय चर्चा, |
घट घट में पंछी बोलता-वीणा सहस्रबुधे-येसुदास
ज़िन्दगी को सवारना होगा दिल में सूरज उतरना होगा . वाह .. पारुल सुखद है येसुदास को सुनना |
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शकुनी और कैकेयी का प्रेम व् निष्ठा जरुर एक उदहारण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है ...मगर ये दोनों चरित्र आदर्श के रूप स्वीकारे जाने योग्य तो बिलकुल भी नहीं है .... |
बधाई भेजे देते हैं |
नंगई की हदें पार करते सीरियल और बेशर्मी से उन्हे प्रमोट करते न्यूज़ चैनल
दूसरों की उतारने में तो बहुत मज़ा आता है खी खी भी दिखाई जाती है। |
बहुत ही सुन्दर एवं निर्मल हास्य! |
आपने सही कहा...अर्थ का अनर्थ होने में देर नहीं लगती ... |
इलाहाबाद से 'इ' गायब, भाग –1 पर आप पढ सकते हैं असली असलियत ..सारी बात समझ आ जायेगी.
लाहाबाद (इ गायब कर) के आयोजन पर बहुत कुछ पढ़ा. बैठे ठाले समझने की कोशिश की. आपके आलेख ने मस्त कर दिया. आभार. |
कमाल है! हमें तो यही समझ नहीं आ रहा है कि ससुरा ये कैसा ब्लागर सम्मेलन था...जिसमें सम्मिलित होने वाला भी दुखी ओर जो सम्मिलित नहीं हो पाए या नहीं किए गए..वो भी दुखी !! |
त अब आज का चर्चा पूरी भईल…आजकल टिप्पणि ज्यादा दिखत नाही सो रोज टिप्पणी चर्चा कहां से करें? अऊर हमको जो मेल आप लोग भेजत हैं ऊ मा सही लिंक दिया किजिये जिससे हम तुरंते ई वहां पहुंचूंगा..एक तो ब्लागर प्रोफ़ाईल लिंक आया है अऊर ऊ भी गलत…आप बेफ़िक्र रहीये..आपका मेल..का हम किसी हालत मे जिक्र नाही करुंगा…चच्चा का अदालत मा गलत काम नाही होगा…चच्चा को आप बेखौफ़ होकर मेल भेजिये…
अब चच्चा खी टिप टिप लिजिये..अऊर हम अऊर रोहितवा अब लंडन ड्रीम्स देखबे जा रहे हैं..नाही त ऊ सलमानवा नाराज हो जायेगा भाई..समझा किजिये ना.
चच्चा टिपणी चर्चा का यही जवाब है
आपका कोई जवाब नही,लाजवाब है
जय होवे तोहार
बड़ी ही मस्त रही आपकी टिप्पणी चर्चा
टिप्पू चच्चा की जय ....चच्चा आपने बड़ा उपकार किया ये बताकर इलाहाबाद से 'इ' गायब (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की ) चिट्ठाचर्चा के अलावा अतीत के झरोखे से और नजरें इनायत पढना आपको बहुते अच्छा लगेगा. जरुर पढियेगा.
का बात है चच्चा इतनी अन्दर की खबर कहा से लाते है कि कौन कहा किस नाम से कमेन्ट किया है ?
हमारी टिप्पणी छाप कर बड़ी धीरज बँधाई चच्चा आपने वर्ना गाहे-बगाहे ने हमारा ऐसा यशोगान किया था जो हमें आज तक नसीब नहीं हुआ.आशा है सदी के महान रिपोर्टर इस पोस्ट को ज़रूर पढ लेंगे.और हाँ आपके साथ अरविन्द जी को भी धन्यवाद जो इतने सीनियर होकर भी हर शब्द को ध्यान से सुन/समझ कर ही लिखने की हिम्मत कर पाते हैं.
चच्चा लौटे पर फिलमवा का जीकर जरूर करिह नाही ता हम नाराज होई जाइब
चच्चा लौटे पर फिलमवा का जीकर जरूर करिह नाही ता हम नाराज होई जाइब
लगता है कि आपने जरूर गुप्तचर विधा सीखी हुई है...तभी तो झट से पता लग जाता है कि कौन कहाँ किस नाम से कमेंट कर रहा है,कौन कुँवारा बनकर किसी को बेवकूफ बना रहा है,कौन क्या कर रहा है...इत्यादि इत्यादि :)
पूरे ब्लॉगजगत की छंटी छंटाई टिप्पणियाँ ले आये, चच्चा! बड़ा लम्बा फेरा लिये हो..जय हो!! मजा आ गया...मेहनत को सलाम!!
चाचा का गुप्तचर एजेंसी है :)
बहुत मिहनत कर रहे चच्चा .. लगे रहो। जय जय ।
कवन तकनीक अपनाते हैं चाचा की वही नजरिया पहुँचती है जहाँ पहुंचनी चाहिए ! अब ई टिप्पणी का अगली टिप टिप में नहीं दे सकते का ? आखिर इहौ त एक टिप्पणी है !
चाचा कब्बो ना बुढाबा तू...
चच्चा का इकबाल बुलंद रहे. गजब का काम करते हो चच्चा. सारा निचोड ला कर धर देते हैं चच्चा आप तो. जय हो चच्चा टिप्पू सिंह की.
रामराम.
चच्चा जी नमस्ते, आपको मैने मेल भेजी थी पर आप तो ताऊजी डाट काम पर आये ही नही. प्लिज चच्चा आप वहां से भी टिप्पणियां उटाने की कृपा करें. आपको मेल मे लिंक दे दिया है. यहां नीचे भी दे रही हूं.
राम की प्यारी रामप्यारी.
http://www.taauji.com
बढ़िया टिप्पणियां समेटी है चच्चा !
wow..........
hum jaante hain bhai ki kitni mehnat ka kaam hai ye.....
..lage rahiye !!
Aapke saath hamesha hain !!
Kai baat tippaniya apne aap main kriti hoti hain....
aur unka samman aapke blog se hote dekhkar accha lag raha hai...
aapka templetiya satyagarha....
...ek vote hamara bhi !!
100%
आपकी यह चर्चा तो नितांत रोचकता पुर्ण होती जा जारही है। कमाल का सम्कलन है। असल मे लंबी उबाऊ पोस्ट पढने की बजाये आपकी संकलित चंद टिप्पणियां पढकर ही सारा सार समझ आजाता है और रोचकता भी बनी रहती।
और चच्चा आपके सत्याग्रह के समर्थन मे एक वोट हमारा भी अर्पण है १०० % वाला। लगे रहिये चच्चाजी।
चच्चा टिप्पू सिंह जि की जय हो।
ब्लॉगिंग में बदमाशी करने वाले अब शरीफ बच्चे बन कर रहेंगे...क्यों...क्यों ताऊ के लठ्ठ की मदद करने के लिए चच्चा टिप्पू भी लठिया लेकर जो आ गया है...
जय हिंद...
चच्चा हम ता ओटवा पाहिले हे दे दिहले बानी अब का देई? चच्चा एक काम करी ना .......चली बाद में बताइब
चच्चा ये बताइये आपको कहा से पता चला की कुशवा अब मगरूर लिखे है ?.कही फिरासतिया के यहाँ तो नहीं ना शेखी बघारत रहा ?
मेरे तरफ से भी १००% सत्याग्रह सफल है
जय हो टिप्पू चच्चा की
Nice, tipu चच्चा
chchaa ki jai ho...
चच्चा आजकल त ई फ़ैशन हुइ गवा…बेशर्म…मगरुरवा…नालायक… कुंवारा…और भिखारी…यानि जी टाकवा मा टांक दो…जो भी बनना हो..इससे बडा इंप्रेशन बढत है…
हाहा.....इम्प्रेस्सेड चच्चा ..सौ फीसदी...:))
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