कुंठित ब्लागर, बिगड़ैल साँड़ और टिप्पू चच्चा में से कौन ज्यादा खतरनाक है?
कल ऊ उडनतश्तरी पूछे रहिन कि चच्चा कौन सिलेमा देखा....कल बता जरुर देना... त भैया ई मा छुपाये की कोनू बात नही है ना. हम कोई मगरुरवा त हैं नही की बिल मा घुस के बैठ जायेंगे. चच्चा अगर गलती कर देत हैं त माफ़ी मांग लेत है पर मुंह जोरी अऊर किसी का इज्जत नाही खराब करत हैं.
हां त.. हम कल कहिन रहे कि पिक्चर देखे के जावत हैं...सो भैया हम अऊर चच्ची तो पहुंच गये मैं अऊर मिसेज टिप्पु सिंह देखे के वास्ते....का कहा? ..ई कोनू पिक्चर ही नाही है? अरे भैया ठहरा जरा ठहरा ..ऊ का है कि ई ससुरा की बोर्डवा भी हमार जबानवां की तरह फ़िसल गया रहा... असल मे हम देखे रहे "मैं और मिसेज खन्ना" ....त अब टिप्पणी बांचे का काम कर लेत हैं..फ़िल्मवा त हम आपको रोज ही दिखाबे करते हैं...का है कि जब तक मगरुरवा माफ़ी नाही मांगेगा तब तक ई फ़िल्म चलेगी...तब तलक ई बंद नाही हो सकत....पक्का..सौ टक्का पक्का.........
तो अब आया जाये सीधी बात पर..... अरे भाई ई कोनू प्रभु चावला जी का सीधी बात नाही ना है...ई तो चच्चा टिप्पू सिंह का खरा खरा बात है. तो अब तैयार होके सुन लिजिये..............
माया, नज़रिया और ज्ञान
रंजना [रंजू भाटिया] ने कहा…माया नजरिया और ज्ञान यह सिर्फ हमारे ही बनाए हुए होते हैं और अक्सर हम इसी को सच मान लेते हैं आपने मुकेश जी इसी सच्चाई को बखूबी अपनी इस रचना में उतार दिया है ...सबसे अधिल पंक्तियाँ ज्ञान के ऊपर भायी क्यों की यह दूसरों को देना बहुत सरल लगता है ..और सही भी क्यों की हम सिर्फ उतने ही सच से वाकिफ होते हैं जितना सच हम समझना चाहते हैं ...एक और सुन्दर मोती आपकी कलम से ... October 21, 2009 4:20 AM
विकृत धर्म और बिगड़ैल साँड़ में से कौन ज्यादा खतरनाक है?
ghughutibasuti 22 hours ago
2 people liked this. असहमत होने का प्रश्न ही नहीं उठता। जिसे धर्म कहा जाना चाहिए वह सड़कों पर या चिल्लाते हुए लाउडस्पीकर्स, या ढोल नगाड़ों के बीच नहीं पाया जा सकता। यदि वह कहीं है तो उस व्यक्ति के पास जो दिन रात उसे शान्ति से जीता है। एक कहावत है, 'थोथा चना, बाजे घना'।
घुघूती बासूती
पाँच मीटर दूरी से इस फ़ोटो को देखिये, पास से कुछ और ओर दूर से कुछ और
ताऊ रामपुरिया said... भाई हमारी कुर्सी एक मीटर से ज्यदा पीछे नही कर सकते. यह हमारे हरयाणवी ताऊओं का घोषित नियम है. उल्लंघन किया कि कुर्सी गई. इसलिये हम रिस्क नही लेंगे
रामराम. WEDNESDAY, OCTOBER 21, 2009 4:43:00 PM
एक और टिप्पणी इसी पोस्ट से….
M VERMA said...
ताऊ तो मार्लिन मुनरो के नाम से बिदक गये. वाकई बहुत खूबसूरत और अद्भुत चित्र है.WEDNESDAY, OCTOBER 21, 2009 5:24:00 PM
सदविचार : नियमितता का अभ्यास एक श्रेष्ठ गुण है ..
दर्पण साह "दर्शन" ने कहा…
परिपक्वता कालांतर में इतनी गहरी जड़े जमा लेती है की उसे उखाड़ने के असामान्य उपाय ही भले ही सफल होते हो.
Prabhavshali lekh !!
"Aadat ko lat banne main der nahi lagti aur acchi aadetin lat ban jaiye jo jeevan safal hai sir.">21/10/09
मनुष्य के मष्तिष्क का कार्यात्मक रूप - मन.
अल्पना वर्मा
October 21, 2009 9:10 PM
'ईश्वर दर्शन..devine आवाजें सुनना..आदि..इस तरह के भ्रम [hallucination ]पाले हुए लोग इसे मानसिक रोग मानने से इनकार करते हैं.
आज भी हिंदुस्तान में लोग इन बिमारिओं का इलाज कराने से कतराते हैं.एक स्टिग्मा है.
आप ने इस विषय पर खुल कर लिखा है..अच्छा लगा पढ़ कर.
ओलंपिक और एथेलेटिक्स अमरत्व
अभिषेक ओझा said...
'आप पढ़ना चाहेंगे कि ये न्यूजपेपर कटिंग्स में क्या लिखा हुआ था?' कुछ त्रुटी है भाई वो विदेशी एजेंट तो पिछले साल गिरफ्तार हुआ था. मैं खुद उस समय वहां मौजूद था. पिछले साल की कटिंग्स में २००९ का अखबार तो नहीं था :)
अब राजू श्रीवास्तव की तरह जवाब मत दीजियेगा कि अगर दुस्शासन की जगह कुम्भकरण चीर खीचेगा तो ... ! हा हा !
सुरेश कलमाडी को भगवान् दीर्घायु करे. आने वाली पीढियों को उनकी जरुरत है.
October 21, 2009 4:38 PM
बादशाह अकबर के सवाल और ताऊ के जवाब !
Udan Tashtari
October 22, 2009 5:13 AM
बहुत चटक जबाबी है ताऊ..श्रेष्ट और निकृष्ट...दोनों एक साथ एक ही में..सही है..दिया हाथ में आया है...चाहो तो घर रोशन कर लो और चाहो तो आग लगा दो.
खूंटे से मस्त रहा!!
अऊर एक ठो टिप्पणी इसी पोस्ट का देखा जाये
वाणी गीत
October 22, 2009 4:20 AM
आधुनिक अकबर को ताऊ ही ढंग सा जवाब दे सके है ...
पर ताऊ ...ये क्या....गर्ल फ्रेंड भिखारी बना देती है ...आगे ये भी जोडो ...अगर घर में पत्नी होते हुए भी गर्ल फ्रेंड बनाई तो ...!!
बोदूराम हाजीर है ,लेकर अपनी शेरो -शायरी की रिपोर्ट
पी.सी.गोदियाल on October 21, 2009 3:53 PM
अबे तू तो पहले से ही बेवकूफ था , तेरी बातो में कहा दम था .
वहा क्या करने गया था , जहां पानी कम था ....
बहुत खूब,
चलो इसी खुशी में एक घिसा पिटा शेर मैं भी मार देता हूँ ;
दूर से देखा तो संतरा था
पास जाके देखा तो भी संतरा था
खाके देखा, तो भी संतरा ही था
वाह-वाह क्या संतरा था !!
भ्रूण हत्या पर आधारित...मिस इंडिया की पहल से उपजे प्रश्न
समयचक्र said...
" देश में लड़कियों की घटती संख्या के प्रश्न का हल साधन जुटाने से नहीं सामाजिक सोच में बदलाव से होगा "
आपके विचारो से सहमत हूँ . इस दिशा में लोगो की सोच बदलने हेतु काफी कार्य करने की जरुरत है . आभार.
October 21, 2009 8:41 AM
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे के जैसे युगों से तुम्हें जानती हूँ
खुशदीप सहगल said...
अदा जी,
ये गीत तो बेमिसाल है ही...
एक गीत कल के लिए सुझाता हूं...आप यूं फासलों से गुजरते रहे...कदमों की आहट होती रही...कतरा-कतरा पिघलता रहा आसमान...एक नदी...आगे भूल गया...
जय हिंद...
October 21, 2009 8:26 PM
एक ठो अऊर टिपणीयां देखी जाये इसी पोस्टवा से....
वाणी गीत said...
मोटी...तू तो मेरी लिए वो जादू की छड़ी बन गयी है जो पलक झपकते ही मेरी सारी इच्छाएं पूरी कर दे ...कल जब इस गीत के बारे में तुझे बताया तो एक सेकंड में सर्च कर इतने सारे लिंक भेज दिए ...कल से कई बार सुन चुकी हूँ ...पर तेरे ब्लॉग पर इस तस्वीर के साथ इसे सुनने का मजा ही और है ....
अच्छा ही हुआ जो तुने इसे पोस्ट किया वर्ना मेरे आलस में तो जाने कितने समय तक रह जाता ....शुक्रिया बिलकुल नहीं बोलूंगी ....
तू गीत सुन कर रो रही होगी ...मैं तेरी भूमिका पढ़कर ....
और इस गीत के बारे में क्या कहूँ ...ये गीत स्वयं ही बहुत कुछ कह जाता है ..
भावः विभोर हूँ ...अभिभूत हूँ ....
निशब्द हूँ ...!!
October 21, 2009 2:22 PM
अथ श्री राम उजागिर कथा !
Meenu Khare said...
आश्चर्यजनक किंतु सत्य श्रेणी की रही राम उजागिर की यह कथा. रोचकता के लिए बधाई के पात्र आप है अरविन्द जी.
21 October 2009 22:31
ब्लोगजगत का आईना : चर्चा दो लाईना (चिट्ठी चर्चा )
'अदा' ने कहा…
शीर्षक पढ़े तो लगा झा जी सबको हड़का रहे हैं..
हम का गलती किये की हमको आईना देखा रहे हैं ...
बाद में समझ में आया इ तो आप चर्चिया रहे हैं....
रंग-बिरंगी चर्चा को दो लाइना में सजा रहे हैं
जय हिंद....
October 22, 2009 5:22 AM
सुख और दुख का फर्क...खुशदीप
शिवम् मिश्रा said...
अरे भाई, अपुन भी ठीक पीछेइच है बोले तो टाइम पे क्या ?? सटीक बात बोला भाऊ ! एक दम बोले तो झकास ज्ञान दिया है !! १ रुपये का कीमत समझा दिया सब को !
और स्लोग ओवर भी मस्त था !
October 22, 2009 1:12 AM
तुम तक पहुँचने से पहले लड़खड़ा कर गिर गए(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )
हिमांशु । Himanshu said... @ October 22, 2009 9:26 AM
चर्चा की स्वीकार्यता बहुत से संकेत देती है- समरसता के, सामंजस्य के । "वृक्ष कंटक बबूल लगता है अब मरणासन्न हो गये ।"
पंकज का आभार । चर्चा बेहद संतुलित और सर्वग्राही है ।
वो झिलमिलाती यादें: विल्स कार्ड भाग ६
मानसी ने कहा…
पहाड़ सी ऊँचाई से
नीचे देख
डर जाता हूँ मैं...
वहीं से आया
हूँ मैं..
कैसे भूल जाता हूँ मैं!!
ये तो बहुत अच्छा है। कहीं विल्स के नाम पर अभी की रचनायें तो नहीं हैं ये सब?
10/22/2009 08:00:00 पूर्वाह्न
सिब्बल जी फॉर्म भरना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है ,और हम इसे लेकर रहेंगे .
अजय कुमार झा ने कहा…
अरे मा साब .तनी ई तो बताईये कि ई लव गुरु का कौनो ट्यूशन सेंटर भी है का ...काहे से कि उनके बहुते चेला सब अक्सर टकरा जाते थे हमको भी...और फ़िर फ़ारम तो चाहे राशन कार्ड भरने के लिये हो चाहे ..चुनाव में खडे होने के लिये ..एक दमे भरना चाहिये....सिब्बल साहब को चाहिये कि अपने बचवा सब को भी इहे लव गुरू से टयूशनिया दिलवायें।
Thursday, October 22, 2009 8:36:00 AM
सार्वजनिक नलों पर लड़ते-झगड़ते लोग भी ऐसी नंगई नही करते
ललित शर्मा said...
एक आहssssssssssssssssssssssss
sssssssssssssssss इसके अतिरिक्त कुछ नही,
OCTOBER 22, 2009 10:29 AM
उन्मुक्त, सुरेश चिपलूनकर: अनुमोदन तथा कुछ और बातें!!
संगीता पुरी Says:
October 22nd, 2009 at 10:26 am
मैने सुरेश चिपलूनकर जी के चिट्ठे पर इसे पढा था .. पर क्रियेटिव कामन्स का मतलब समझ में नहीं आया .. हमारे आलेखों को कोई छापे .. इसमें तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए .. पर सबकी अपनी अलग तरह की सोंच होती है .. इसलिए उसका उल्लेख तो होना ही चाहिए .. जैसे कि मैं अपने आलेखों में ज्योतिष के क्षेत्र में अपने पिताजी के विचारधारा की चर्चा करती हूं .. इसे ज्योतिष में और कहीं मिक्स नहीं किया जा सकता है !!
पिताजी की रामायण
Arvind Mishra ने कहा…
अधूराकाम अनुचित है -हमारे धैर्य की परीक्षा मत लें !
October 22, 2009 2:42 PM
अब चच्चा टिप्पू सिंह की टिप टिप..टिप टिप लिजिये ..अऊर मजा आया हो त चच्चा कॊ बताईये अऊर नाही मजा आया हो त हम का कह सकत हैं? आपई जानो...पर एक बात पक्का है सो नीचे बांच लिजिये. ई मा कोनू फ़र्क लगे त चच्चा को बताईये.
"भाग्य के बारे मे एक ही पक्की शर्त है कि वह कभी भी बदल सकता है"
यह ध्यान रखना बच्चा लोग! अऊर ज्यादा इतराना नाही, किसी का कभी बेइज्जती नाही करना. क्या पता ? कब चच्चा टिप्पू सिंह मिल जाये?
यह टिप्पणी चर्चा अच्छी लगी।
घुघूती बासूती
चच्चा टिप्पू सिंह की जय हो !!!
चच्चा फिलमवा त हमहू देखइ चाहत बाटी , पायरेसी करवाई के भेजी दे .....
और हां चच्ची के कहियेगा कि .....happy diwaalee
कुंठित ब्लागर, बिगड़ैल साँड़ और टिप्पू चच्चा में से कौन ज्यादा खतरनाक है?मेरे हिसाब से आप ज्यादा खतरनाक हो
’मैं और मिसेज खन्ना’-चच्चा, कैसी पिक्चर देखते हो?? हम तो नामे नहीं सुने.. :)
टिप्पणी चर्चा बहुते मस्त कर जाती है..टिप टिप!!
"भाग्य के बारे मे एक ही पक्की शर्त है कि वह कभी भी बदल सकता है" -इस बात पर न्यौछावर हो लिए.
शीर्षक पहेली का सही जबाब: टिप्पू चच्चा!!
Oh!
ab tippani bhi bahut soch samajh kar karni padegi.
Tippu chachcha ka NEtwork achchha khasa faila hua hai..
ek nayi tarah ki charcha.badhiya hai.
चच्चा ई कहां-कहां से आप टिपणी ढुंढ लेत हैं, हम तो समझे रहे हम ही जानत हैं,
आपौ जान गये, जेलर के जासूस सब जगा फ़िट किये हैं, नीक है-बधाई, उ फ़िलम का सी डी हमे भी भिजवा दिजिएगा"मिसेज खन्ना वाला"
बढ़िया है जी शुक्रिया
बडी पैनी नजर रखते हैं चच्चा आप !!
अच्छी चर्चा, आनंद आया।
आज का पहेली :
कुंठित ब्लागर, बिगड़ैल साँड़ और टिप्पू चच्चा में से कौन ज्यादा खतरनाक है?
अरे भाई टिप्पू चचा के होते इ पदवी कोई और काहे ले सकत है..
काहे की आप मारत हो पांच और गिनत हो एक....
बाकि रही बात टिपण्णी चर्चा की तो:
मंगल है इ दंगल तुम्हारीईईई
कृपा होई टिपण्णी पे हमारीईईईइ
सलाम सलाम सलाम टिप्पू चाचा
(धुन मंगल भवन अमंगल हारी...)
चच्चा जी परणाम. आपकी पहेली का जवाब सभी दे रहे हैं वही ठीक और सही लगता है. काहे से की आपकी जो लगन है वैसी लगन और मेहनत सबके पास नही है.
बहुत ही शानदार टिप्पणी और शानदार तरीके से आप इसको पेश करते हैं. बहुत धन्यवाद आपको.
मैं और मिसेज खन्ना के बाद अब कौन सी पिक्चर देखने जायेंगे? जरा हमे भी बताईयेगा,
रामराम.
टिप्पू चच्चा को मेरा भी सलाम तो लिख ही लीजिए. "सलाम करके ही खतरनाक लोगो से बचा जा सकता है." यह केवल एक अव्यक्त व्यक्तव्य है आपको सभी खतरनाक कहे पर मै नही कह रहा.
@ उड़न तस्तरी जी.
’मैं और मिसेज खन्ना’- चच्चा, कैसी पिक्चर देखते हो?? हम तो नामे नहीं सुने.. :)
आप भी न समीर जी...
गजब बात करते हैं..
इ फिल्म अभी कहाँ बना है.......अभी बन रहा है......
’मैं और मिसेज खन्ना’
मै तो पहेली देखने आई थी। देखा तो समझा कि टिप्पणियों की चर्चा चल रही हैं। बहुत सुंदर टिप्पणी रचना। धन्यवाद।
ये तो बड़ा फास्ट चैनेल अर्ररर ब्लॉग निकला -टिप्पणियों का अपडेट -अगर यही तेजी रही चचा तो आप जल्दी ही भावी टिप्पणियों को आने से पहले यहीं लपक लेगें !
छांट छांट कर लाये हो और बधाई के पात्र हो, पर ये इन टिप्पणीकारों को समझा दिया जाये कि ये कोई पहेली नहीं है कि यहाँ पर भी जबाब दे जायें :)
चच्चा अब कोई कुंठित ब्लोगर हो या बिगडेल सांड , चच्चा का क्या बिगाड सकता है ? इसलिए इनसे खतरनाक तो चच्चा ही हुआ ना ! :)
बढिया टिप्पणी चर्चा
अरे अरे इ का तू कइल सवारिया :)
@ समीर जी , अदा जी
इ फिलामिया तो रिलीज हो चुकी है इ देखी फोटो ,,,
चच्चा कभी झूठ नाही बोलते :)
अरे बाप रे !!
इ का भइल हमरा से...
हमसे भूल हो गई हमका माफ़ी दै दो....चाचा...
हम तो खुद को लात मार रहे हैं अब...
माफ़ी माफ़ी....
अरे चच्चा ....गज़ब की नज़र है आपकी तो
maine kaha tha na chacha sab ko dekh rahe hain...
अब आए हैं बिगड़ैल सांड पहाड़ के नीचे...टिप्पू चच्चा फूंक भी मार दे तो जलजला आ जाए...फिर चूहों की औकात ही क्या...इनके लिए बेहतर यही है कि बिलों में ही दुबके रहें...
जय हिंद...
चच्चा जी,
जय हो!
आज पहली बार हमुहं शामिल भये हं।
बहुत नीक लागा।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
तरह तरह की चुनिन्दा टिप्पणियों को एक ही जगह पढने का भी एक अलग ही आनन्द है !!
जय हो टिप्पू चच्चा की !
भई असली मजा तो इस टिप्पणी पुराण में ही है.....वाह...
चर्चा अच्छी लगी
ओहो अब ताऊ कहाँ भेज दिया मुझे ......?? :)
पर्दा उठते ही....सामने लिखा है ....
कुंठित ब्लागर, बिगड़ैल साँड़ और टिप्पू चच्चा में से कौन ज्यादा खतरनाक है?
खतरनाक ....सच का सामान ....बोलती बंद !!!अगली बार ...:)))))
अब आज पहली बार आना हुआ इधर ....सो केवल राम राम स्वीकारें चच्चा !!
मज़ा आ गया!
चर्चा द्वारा समां बांध रहे हो भईया टिप्पू सिंह!!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
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