द शो मस्ट गो आन....चच्चा टिप्पू सिंह
10/20/2009
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लो जी लो ई आगये चच्चा टिप्पूसिंह अऊर साथ मा हमार रोहित बचुआ भी आगये। बचुआ का शिमला का स्कूळ ट्रीप बहुते शानदार रहा... बचूआ बहुते बढिया फ़ोटो मोटो निकाल के लाये हैं....
अब आज का टिप्पणी चर्चा को टिप टिप करते हुये बढते हैं...
ऊँड़स ली तू ने जब साड़ी में गुच्छी चाभियों वाली
'अदा' said...
मेजर साहिब,
सैलूट,
ऊँड़स ली तू ने जब साड़ी में गुच्छी चाभियों वाली
हुई ये जिंदगी इक चाय ताजी चुस्कियों वाली
बहुत खूब...और ये हाँ ऊँड़स ली....में ग़ज़ब कि खुमारी लगी है...भाई जब चाभी वाली आती है तभी तो ढंग कि चाय नसीब होती हैं न..
कहाँ वो लुत्फ़ शहरों में भला डामर की सड़कों पर
मजा देती है जो घाटी कोई पगडंडियों वाली
एक दम सही.....जो मज़ा लहरा के चलने में है वो लुत्फ़ सीधी चाल में कहाँ है हजूर...
भरे-पूरे से घर में तब से ही तन्हा हुआ हूँ मैं
गुमी है पोटली जब से पुरानी चिट्ठियों वाली
क्या बात कह दी आपने.....पुरानी चिट्ठियां यादों का मजमा जो लगा जातीं हैं..
खिली-सी धूप में भी बज उठी बरसात की रुन-झुन
उड़ी जब ओढ़नी वो छोटी-छोटी घंटियों वाली
अब इस बात पर हम का कहें भाई ....इ तो आप दोनों का मामला है.....वैसे हम भी वेदर रिपोर्ट पर ज्यादा यकीन नहीं करते हैं......
दुआओं का हमारे हाल होता है सदा ऐसा
कि जैसे लापता फाइल हो कोई अर्जियों वाली
अपनी भी दुआओं का यही हाल है जी.....लगता है साइबर स्पेस में गुम ही हो जाती है..ठिकाने तक पहुँचती ही नहीं..
बहुत दिन हो चुके रंगीनियों में शह्र की ’गौतम’
चलो चल कर चखें फिर धूल वो रणभूमियों वाली
रणभूमि में अभी जाने कि ज़रुरत नहीं...हाँ दौड़ना शुरू कीजिये नहीं तो आपके क्षेत्रफल पर असर पड़ेगा.....हा हा हा हा
19 OCTOBER, 2009 5:13 PM
कार्टून:- रे इक दे घुमा के...
अल्पना वर्मा, October 19, 2009 9:13 AM
नियति का खेल या prashasan की durvyvstha..mara तो ये bechara ही जाता है.
मारो...मारो!!!!
बी एस पाबला ने कहा…
हा हा हा!
मैं तो आपकी मुख-मुद्रा की कल्पना किए मौज़ ले रहा हूँ। :-)
बुरा ना मानो दीवाली है!!
बी एस पाबला
10/19/2009 08:25:00 पूर्वाह्न
ललित शर्मा ने कहा…
बहुत बम मारे समीर भाइ आपने
मारो-मारो रात भर गुन्जता रहा
वो बमा-बम सारे आपके ही थे
जिनका धमाका रात भर सुनता रहा
सुबह फ़िर वही धमा-धम
बहुत एनर्जी है। बधाई हो
10/19/2009 09:38:00 अपराह्न
ताऊ पहेली - 44
अविनाश वाचस्पति
October 17, 2009 11:15 AM
रामप्यारी
हेमा मालिनी तो समझ में आई
जरूर मंदोदरी उसकी बहन रही होगी
हो सकता है धरम पाजी की साली हो
या .... या ........ या .......
हो तो मौसी भी सकती है
बुआ भी हो सकती है
चाची, मामी भी हो सकती है
नानी, दादी भी हो सकती है
कोई क्लू मिले तो सही नतीजे पर पहुंचें।
अजय कुमार झा
October 17, 2009 3:04 PM
बिल्लन मेरे ख्याल से ये बातें हो सकती है हेमा और मंदोदरी के बीच एक जैसी
दोनों ही मालिन थी ।
दोनों को ही पति सेकेंड हैंड मिला हो।
दोनो के ही दो पुत्तर थे..मगर पुत्तर तो धरम पाजी के थे..हेमा की तो दो पुतरियां हैं।
रुक थोडा और सोचता हूं..
और क्या हो सकता है यार......?
अरे हां दोनों के पतियों ने यानि रावण और धरम पाजी ने पराई स्त्री यानि सीता आउर हेमा पर नज़र डाली थी,,जबकि वे खुद शादी शुदा थे..
देख्न इससे ज्यादा मैं नहीं सोच सकता..बिल्लन घर के काम भी करने हैं..तेरी इस पहेली में उलझा रहा न तो मेरी अपनी खुद की हेमा मालिन को मंदोदरी बनते ज्यादा देर नहीं लगेगी।
चलता हूं..ताऊ का जवाब दे ही दिया है..बस देखना है कि नं कित्ते मिलते हैं।
हिन्दू विधि में तलाक यूँ ही केवल चाहने से नहीं हो जाता।
जी.के. अवधिया, 20 October, 2009 12:55 PM
बहुत ही सही और नेक सलाह!
पता नहीं क्यों आजकल कुछ लोग विवाह के महत्व को समझ नहीं पाते और इसे हँसी खेल जैसी चीज समझने लगे हैं।
''ये त्यौहार ही हमारी मुनसिपेलिटी हैं''
Anil Pusadkar ने कहा…
बाकी सब तो ठीक है मैम,वो एल पी ड्ब्ल्यू को एल बी डब्ल्यू कर लेते तो ठीक रहता।क्षमा सहित आपका आज्ञाकारी शिष्य।
Tuesday, October 20, 2009 9:15:00 AM
चिट्ठाकारों को नंगा करने की साजिश!
arvind mishra Says:
October 20th, 2009 at 8:23 am
शास्त्री जी परेशानी की कौनो बात नहीं है -अब यह लुप्तप्राय प्रजाति है !
नारियां क्यों बनाती है यौन सम्बन्ध ? एक ताजातरीन जानकारी !
श्रीश पाठक 'प्रखर' said...
नेति..नेति..
चरैवेति..चरैवेति...
19 October 2009 21:22
बहस में टिप्पणी का जवाब नहीं दिए जाना क्या अशोभनीय माना जाएगा ?
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक on October 20, 2009 7:30 AM
दुनिया रंग-रंगीली!
धरा कभी सूखी,कभी गीली!
सत्यता स्वयं ही प्रमाण है।
दिगम्बर नासवा on October 20, 2009 11:25 AM
बहुत गरमा गर्मी हो गयी .......... शाँति ......... शांति ........... शांति ......... पंकज जी ..... बोदू रामको बुलाओ भाई ........
पाकिस्तान में पप्पी क्यों ली...खुशदीप
राज भाटिय़ा said...
अरे बाबा यह इन्होने जो बोया है अब इन के सामने आ रहा है, तभी तो कहते है कि किसी के लिये गढा नही खोदना चाहिये, उस मे खुद भी गिरते है, ओर यह फ़सल अब पाकिस्तान की पक चुकी है, उसे ही खानी है, बस अब भारत को अपनी सीमाये चोकस कर देनी चाहिये कही यह खरपतावर इधर ना आ जाये,
ओर इस किस पर इतना हंगामा क्यो बरपा है, साले पठान तो इन पकिस्तानियो के छोरो को नही छोडते.......गजब है,हमे क्या जी.
आप ने बहुत ही अच्छा लिखा है,राम राम जी की
October 20, 2009 1:59 PM
अऊर अब अंत मा चच्चा की पसंद की एक टो पोस्टवा देखा जाये....
श्री राज कपूर जी : भारतीय चलचित्र निर्माण , " BOLLYWOOD " एक विशाल व्यवसाय है [ कई सारी दुर्लभ तस्वीरें ]
खुशदीप सहगल said...
लावण्या जी,
राज कपूर जी का तो मैं बचपन से ही बड़ा कायल रहा हूं, लेकिन जिस तरह के दुर्लभ चित्र आपने राज जी और उनके परिवार के सदस्यों के जुटाए हैं, उसके लिए आपको साधुवाद...
राज जी के शब्दों में ही...द शो मस्ट गो ऑन...
जय हिंद...
OCTOBER 19, 2009 9:56 PM
अऊर अब चच्चा की टिप टिप लिजिये...अब हम जात हैं..हमरी मर्जी होगी त मिलेंगे.....!
टिप्पणियों का मज़ा लेना भी बहुत मज़ा देता है ........ जबरदस्त पोस्ट भाई ......
ग़ज़ब कि खुमारी लगी ह भाई जब चाभी वाली आती है तभी तो ढंग कि चाय नसीब होती हैं न..
जो मज़ा लहरा के चलने में है वो लुत्फ़ सीधी चाल में कहाँ है हजूर...
चिट्ठियां यादों का मजमा जो लगा जातीं हैं..
इ तो आप दोनों का मामला है वैसे हम भी वेदर रिपोर्ट पर ज्यादा यकीन नहीं करते हैं......
लगता है साइबर स्पेस में गुम ही हो जाती है..ठिकाने तक पहुँचती ही नहीं..
बहाँ दौड़ना शुरू कीजिये नहीं तो आपके क्षेत्रफल पर असर पड़ेगा.....हा हा हा हा
"चच्चा बहुतै बढिया चरचा है
इसमे कौनो नही खरचा है
हमने सारा हल कर डाला
आपका जो दिया परचा है" बधाई
सुन्दर !
जगह जगह की टिप्पणियाँ जुटा लाना - यह भी एक विचित्र-सी रुचि का काम है ।
टिप्पणियों के सुन्दर संग्रह का आभार ।
बढिया टिप्पणी संकलन....
चच्चा, सुबह सुबह आनन्द आ गया सब टिप्पणियाँ पढ़कर. :)
जमे रहिये चचा !
चच्चा आपके इस पोस्ट में तो एकदम लेटेस्ट खबर है :)
वाह ये बढ़िया चर्चा रही।
राज सा'ब तथा भारतीय फिल्म निर्माण - बोलीवुडवाली पोस्ट पसंद आयी उसकी खुशी है
और
शो मस्ट गो ओंन -- > खुशदीप सहगल said...टिप्पणी भी सही है जी
- लावण्या
बहुत सुन्दर रही टिपण्णी चर्चा ....
आपकी पसन्द की पोस्ट देखकर सबसे ज़्यादा मज़ा आया ।
अब तो टिप्पणी करते वक़्त ई सोचना पड़ता है कि कहीं धर ना लिए जावें, पर फिर भी...मै अपनी बताऊँ, अनूप जी, अरविन्द जी और खुशदीपजी की टिप्पणियाँ देख मै किसी भी तरह की प्रविष्टि हो, पढ़ सकता हूँ....बाकि टिप्पू चचा को बड़ी बधाइयाँ,,,कुछ लोगों को दिक्कत भी हो रही होगी कि अब तो कुछ भी कैसे टीप दें, टिपुआ घूम रहा है...धर लेगा....:)
अरे वाह !! का बात है...
हम हूँ लौक रहे हैं .....चमचम ....
चचा ने इ चर्चा चलायी है
चर्चा में चर्चित हो चमकने लगे हैं....
अरे ज़बरदस्त है....
बस आप तो जल्दी से मुबारकबाद रख लीजिये तकिया के नीचे...
गुमनाम को नाम देने की आपके इस प्रयास को साधुवाद
बहुत सुन्दर
बीमार थी ।आज कई दिन बाद नेट पर आयी हूँ तो आते ही आपकी टिप्पणी देखी। धन्यवाद जो हमे भी इस चर्चा मे शामिल किया। ये आप नेकी भी पूछ पूछ कर करने लगे हैं? मगर ये चच्चा नाम हमे रास नहीं आया अब आप उमर मे इतने छोटे हैं हम से तो चच्चा कैसे कहें?हम तो बच्चा टिप्पू सिंह ही कहेंगे। चर्चा बहुत अच्छी लगी। लगे भी क्यों नहीं अपना नाम जो चमक रहा है उपर ---- धन्यवाद
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