गई मेरी भैंस पानी में … हाय मै क्या करूं... किस किस को बताऊं?
टिप्पणी चर्चा के इस अंक में आपका स्वागत करते हुये चच्चा की टिप टिप कबूल किजिये। चच्चा को उम्मीद है कि आप लोगन का दिवाली बिल्कुले झक्कास मना होगा। चच्चा ने आपको जो फ़ूलझडी पटाखा दिया था ऊ आप लोगन को काफ़ी पसंद आया इसका लिये एक बार चच्चा आपको फ़िर से टिप टिप करते हुये इस टिप्पणी अंक का शुरुआत करते हैं.
सबसे पहले हमरा पिछला पोस्टवा पर ई वाला टिप्पणी जरा देखा जाये…..
लवली कुमारी / Lovely kumari Says:
Posted on October 17, 2009 8:47 PM
लगता है कोई महिला है ही नही हिंदी ब्लॉग जगत में.
पर अगर ऐसे ही पक्षपात होता रहा महिला ब्लोग्गरों में अपील है टिप्पणी चर्चा का बहिस्कार करें.
:-)
वैधानिक सूचना - इस टिप्पणी को आत्म प्रचार न समझा जाय. :-)
चच्चा टिप्पू सिंह कहिन : -
हम ई कहना चाहुंगा कि चच्चा किसी के साथ पच्छपात नाही करता है ना. ऊ का हुआ ना कि हमने चच्ची को कहा था कि जरा महिला ब्लागरों का फ़ूलझडी पटाका खरीदवा दो त ऊ कही रहिन कि त्योंहार का समय हमका फ़ुरसत नाही….
तो हम ई अनुरोध करता हुं कि कोई महिला आगे आये ब्लाग जगत से और चच्चा को इस काम मा तनि सहयोग करें। हम बहुते आभारी रहुंगा। वैसे हम कोशीश कर रहा हूं..महिला ब्लागर्स का खातिर भी ऐसा एक स्पेशल अंक तैयार करने का लिये। अरे भाई झा जी..आप कहां चले गये? ई काम जरा आप ही करिये ना। और हम घोषणा करता हूं कि हम पच्छपात नाही करता हूं…हां अपना मां, बहन अऊर बेटी लोगन का लिये दिल मा मान सम्मान जरुर राखत हैं…इसको पच्छपात नाही समझा जाये। इ सम्मान हम कायम रखते हुये ही कोनू काम करुंगा।
अब जरा ई बडकी टिप्पणी देखा जाये….. जो देशनामा ..पर विचरण करते समय मिली…
अरे शिवम मिश्रा जी ..मै पिछली पोस्ट के समापन समारोह मे क्या गया आप मुझसे पहले यहाँ पहुंच गये । चलिये कोई बात नही .. मै तो गुरुदत्त को याद कर रहा था । आज खुशदीप और सागर के सम्वाद( जी हाँ सम्वाद , इसे विवाद ना कहें हम ,विवादों से पहले ही ऊब चुके हैं हम ) को पढ़कर बहुत कुछ याद आ रहा है । ब्लोगिंग से शुरू हुई बात अंत में पापुलर सिनेमा और यथार्थवादी सिनेमा या कला सिनेमा तक पहुंच गई । मै प्रवाह के उलट चलना चाहता हूँ इसलिये सबसे पहले गुरुदत्त की बात । गुरुदत्त ने आत्महत्या इसलिये नही की थी कि वे पॉपुलर नही थे , बल्कि इस लिये कि उनके भीतर एक ऐसा कलाकार था जो दुनिया को अपनी तरह से देखना चाहता था
यहाँ मै कलाकार के रूप में लेखक को भी रख रहा हूँ और इस तरह असमय जान देने वाले अर्नेस्त हेमिंग्वे से लेकर गोरख पांडेय तक सभी लोग जिनके भीतर एक छटपटाहट होती है । लेखक दुनिया को अपने लेखन के अनुसार एक बेहतर दुनिया के रूप मे देखना चाहता है लेकिन जब वो ऐसा नही कर पाता या दुनिया उसके अनुसार नही हो पाती तो वह आउट साइडर बन जाता है और जब आउटसाईडर होकर भी चैन नही पाता तो नशे मे डूब जाता है और जब इसमे भी चैन नही मिलता तो अपने आप को खत्म कर देता है ।
आज समय बहुत बदल चुका है । यथार्थ भी लोकप्रियता का बाना पहनकर आ रहा है । मेरा नाम जोकर फिर हिट हो गई है और जिस फिल्म से प्रेरित होकर वह बनी थी चार्ली चेपलिन की लाइमलाइट वह तो शुरू से हिट थी । आज ब्लैक जैसी कला फिल्मे भी पॉपुलर हो रही है । यह पॉपुलर कल्ट अब नये रूप मे प्रस्तुत है ।अब कोई भी असफलता से घबराकर आत्महत्या नही करता ।
यदि इन सारी बातों को हम हिन्दी ब्लॉगिंग पर लागू करें तो इतनी निराशा की स्थिति नहीं है । सभी तरह का लेखन यहाँ हो रहा है गम्भीर भी सरल भी ,गम्भीरता मे सरलता और सरलता मे गम्भीरता लिये हुए भी । हम कितने ब्लॉग रोज़ देख पाते हैं ? शायद 10% भी नहीं । हर एक की अपनी क्षमता और सीमा होती है । सो जिससे जितना होता है निर्वाह करता है । इसलिये आप दोनों की ही बात सही है इसमे कोई विवाद नहीं होना चाहिये । एक बड़े कवि ने कहा है जो रचेगा सो बचेगा । ऐसा साहित्य जगत मे भी होता आया है । मंच पर धूम मचाने वाले या मंच लूट ले जाने वाले कितने लोगों के नाम आपको याद है । एक बार शैल चतुर्वेदी यहाँ आये भास्कर के दफ्तर में बैठकर रो दिये कि मुझे कोई कवि नही समझता , फिर लोकप्रियता के लिये वे धारावाहिकों मे काम करने लगे । आज उन्हे न कोई कवि के रूप मे जानता है न कलाकार के रूप मे ।प्रिंट मीडिया मे भी यही होता है कुछ लोग चर्चित हो जाते है कुछ गुमनाम रह जाते है ।लेकिन समय सबकी पहचान करता है । तात्पर्य यह कि हमे अपना काम करते रहना है यह दुनिया क्षणभंगुर जो है (कट- कट- कट्.. मै तो उपदेश् करने लगा) तो भैया ऐसा है कि इस पर सब विद्वत्जन चर्चा करते रहे । आप लोगों ने चर्चा की , मज़ा आया अगर चुपचाप रज़ाई ओढ़ लेते तो हमे इसके सार के रूप मे यह चमकती हुई रेडियम की घड़ी कैसे दिखाई देती ।
टिप्पणी की टिप टिप् :-आज नरक चतुर्दशी के इस पावन अवसर पर सुगन्धित उबटन से अवश्य नहायें । कम से कम बाहर का मैल तो निकल ही जाये ।
अब आगे बढा जाये तनि…
दीपावली की शाम, और मेरे ब्लोग्गिंग के दो वर्ष पूरे ..यानि डबल बधाई..
आपकी मंदाकनी(राज कपूर वाली या फिर दाउद वाली नहीं) का इंतज़ार रहेगा
बाअदब...बामुलाहिज़ा...होशियार...
द्वितीय कक्षा में अच्छे नम्बरों से उतीर्ण होने पर आपको तीसरी कक्षा में प्रमोट किया जाता है।
October 16, 2009 10:38 P
अऊर आगे चलिये ….
गई मेरी भैंस पानी में ….
पर ई पता नाहि ना चला कि ताऊ इसी भैंसिया से बात करता है या कोई दूसरी से?
अजय कुमार झा said... बहुत दूर दूर से डुबो कर मारा है भैंसिया को..लगता है आप भाभी से छुप छुपा कर लिख जाते हो। 10:08 AM, October 17, 2009 |
अविनाश वाचस्पति said... मदर डेयरी छोड़ो 10:28 PM, October 17, 200 |
इसका बाद ……
तुम्हारी आंखें आंखों मे देखते हुये…
ललित शर्मा ने कहा…
कहीं और आँख लग गयी थी,इसलिए तुम्हारी खुबसुरत आँखों की तरफ़ ध्यान नही गया, आज फ़ुरसत मे देखा तो लगा वाकई में खुबसूरत है,"तुम्हारी आँखें"
दीवाली की राम-राम
October 18, 2009 9:17 AM
अभी तो बहुत सारी टिप्पणियां बाकी हैं…..
हाय मै क्या करूं... किस किस को दिखाऊ
लो जी, भाटिया जी ...ताऊ के रहते आप ये सारी दुनिया से पूछ रहे हैं? लोग क्या सोचेंगे कि डाक्टर ताऊनाथ के घर मे रहते ये ठीक नही कर पा रहे? | साईड मिरर-एक लघु कथा
Harkirat Haqeer ने कहा… ओये होए ....ये साईड मिरर भी .....!!! 10/18/2009 02:07:00 अपराह्न |
साईड मिरर-एक लघु कथा
डा० अमर कुमार ने कहा…
10/15/2009 11:47:00 अपराह्न | "कठुवाए हुए एहसास ~~"
Ekta said... खरीदने-बेचने से परे है ये लोग फिर भी October 18, 2009 8:57 AM |
अब आगे चलते हैं…….
मेरी अमित हैं वासनायें .... (गीतांजलि का भावानुवाद )
Ye shayad teesri anudit rachna hogi Himanshu ji akhilam madhuram se saabhar :) jo main padh raha hoon....
| चांदी के सिक्कों की चमक तो हर अमवस्या को दीवाली की तरह जगमगा सकती है
जी.के. अवधिया said... सच में ये ऊपरवाले का सिस्टम बड़ा ही विचित्र है। ऐसा क्यों है कि एक बच्चा तो करोड़पति के घर जन्मता है तो दूसरा झोपड़पट्टी में। सौभाग्य और दुर्भाग्य तो वहीं से शुरू हो जाता है। |
हूँ मर ज्या सूं जद थारौ कांई हुसी :ताऊ बुझागर
| कभी ताऊ अपनी मेड-इन-जर्मन लठ की हुल्ल पट्टी देते हुऍ दिखाई देते है, कभी नटवरलाल तो कभी चाणक्य रुप में (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )
Pankaj Babu, |
बाबू बडा या पीएचडी थीसिस्!! संगीता पुरी Says: सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं , प्रशासन में हर क्षेत्र की यही दशा है .. जो वकील है , वह मानव संसाधन विकास मंत्री बनता है .. जिसने कभी कोयला नहीं देखा , वह कोयला मंत्री है .. और तो और गया नगर निगम में चिकित्सा पदाधिकारी एक इंजीनियर थे .. हमारा भारत इसलिए महान है !! | यह मिनी पोस्ट महज दीवाली जगाने के लिए है !
आप को 'जागरण' की बधाई। |
गांवों में सिर्फ थोडी बिजली की कमी ही दिक्कत पैदा करती है बाकि गांव में आजकल सभी सुविधाएँ उपलब्ध है और जो कुछ कमी है वह पास के शहर से पूरी की जा सकती है | जातिगत धुर्विकरण भी गांव में कितना भी क्यों न हो इज्जत सबको शहर से बढ़िया मिलती है | मेरी निगाह में तो गांव में रहने का मजा ही निराला है | मै तो गांव की प्रष्ट भूमि का आदमी हूँ रिटायर्मेंट लेने के बाद सीधा गांव जा कर ही रहूँगा | सुविधा के लिए दो डेस्कटॉप रखूँगा एक खेत वाले घर में और एक गांव की हवेली में | वही से बैठकर इत्मिनान से ब्लॉग लिखा करूँगा | | गोपू बना 'हनुमान'...खुशदीप
M VERMA said... गोपू तो खैर लौट ही आया है, उससे तो मिल ही लेंगे. जरा उस रामलीला वाले का हाल अपने त्रिकालदर्शी नेत्रो से देखकर बता दे तो धन्य हो जाऊँगा. |
आओ गड्ढा सजाएँ
वाणी गीत ने कहा… अरविन्दजी सच ही कह रहे थे आपके आलसी भाव के तिरोहित होने की सूचना देकर...दीपावली पर भी गड्ढे भरने की चिंता में हैं ...लम्बे आलस के बाद इतनी स्फूर्ति ...!! October 18, 2009 5:01 AM
| ताऊ किसी दूसरे पर तोहमत नही लगाता-अपनी खिल्ली उडाकर ही हास्य के रुप मे व्यंग करता है-रामपुरिया जी
आज की बारात के दूल्हा ताऊजी की जय हो। ताऊ कई शताब्दियों के क्यूट कोलाज लग रहे हैं। अच्छा किया कि रामप्यारी साथ नहीं आईं वर्ना फ़िर ताऊ को कौन देखता/सुनता/पढ़ता।
|
अऊर अब अंत मा ….आपके ब्लॉग ने छुआ 500 पोस्ट्स का आँकड़ा: बधाई………
इस दीपावली में प्यार के ऐसे दीए जलाए |
500वीं पोस्ट की उज्जवल बधाई! |
जबरदस्त उपलब्धि वो भी इतने कम समय में. |
अऊर अब चच्चा की टिप टिप…आप लोगों के इमेल हमको मिल रहे हैं…अऊर आपकी बात हम ध्यान से सुन रहा हूं। आप मेल करते रहिये। आपका सहयोग का लिये बहुते आभार आप लोगन का….चच्चा टिप्पुसिंह की टिप टिप…
चच्चा!! ये सही है कि कोई महिला ब्लॉगर आगे आयें और इस कार्य में हाथ बटायें..
बहुत सही टिप्पणी चर्चा..दिवाली की मिठाई तो खिलाओ चच्चा..कि टिप टिप से काम चलायें. :)
ये शरद कोकास को क्या हो गया है ? टिप्पणी लिखते समय भूल गये कि टिप्पणी लिख रहे हैं पोस्ट नहीं ... ।
टिप्पणी चर्चा -- और फिर टिप्पणियो पर टिप्पणियाँ
टिप्पणी चर्चा मे किये गये टिप्पणियो पर भी चर्चा करेंगे?
टिप्पणियों का चयन भी उम्दा और टिप्पणियों पर टिप्पू सिंह का टिप्पणियां भी उम्दा..सुबह-सुबह ही जलेबी-पकौड़ी और चाय मिल जाती है, चचा के यहाँ...
जय हो चच्चा टिप्पू सिंह
का बात है आज ता रतिए पोस्ट ठेल दिए चच्ची घर में नहीं घुसने दी का ?
चच्चा टिप-टिप चर्चा के साथ दिवाले के मौके पर बढ़िया फुल्झडियां छोड़ दिए हो |
शुभाकामनाएं |
चच्चा,
ई भैंसिया नहा-धो करि का कैट-वॉक की तैयारी करिबा...
जय हिंद...
लगता है चच्चा ..आपने तो ताऊ की भैंस को ही पानी मे घुसेड दिया? चच्चा जरा रहम करो, हमारे पास इस भैंस और लठ्ठ के सिवा कुछ नही है.:)
चच्चा टिप्पूसिंह की जय हो. बहुत लाजवाब टिप्पणी चर्चा किया चच्चा.
रामराम.
टिप्पणियों की भी चर्चा होती है??
इस बात से अनभिग्य थी अब तक!
यह अपने आप में एक अलग तरह की रोचक चर्चा है.
लाजवाब-ले जवाब,दे जवाब्।
पहले तो मेरी टिप्पणी को चर्चा में शामिल करने का धन्यवाद ..
आगे
..बहुत कम लोगों को इस मंच की जानकारी है प्रचार -प्रसार में लग जाइये कई लिखने वाले/वालियां मिल जाएंगी..अगर मुझमे जिम्मेवारिया उठाने की क्षमता होती तब जरुर चर्चा करती ..पर मैं ब्लोगिंग में बहुत अनियमित हूँ .
सार्थक टिप्पनिओं की चर्चा करें नामो पर न जाएँ विषयवस्तु से मतलब रख कर निस्पक्ष चर्चा करें ..इस मंच के नामकरण को सार्थक करें ..शुभकामनायें .
लवली
लाजवाब टिप्पणी चर्चा । टिप्पणियों का चयन और प्रस्तुतिकरण बेहतर है । लवजी की टिप्पणी मूल्यवान है । खयाल करें । आभार ।
अरे वाह चच्चा बहुत बढ़िया टिप्पणी की टीप टिप चल रही है, सृजनात्मक कार्य है। चर्चा अच्छी बन पड़ी है।
टिप्पणी चर्चा अब अपना जलवा बिखेरने लगी है...
बढिया!!
nice
चच्चा हम तो आपकी आज्ञा के इंतजार में थे..आउर ई ससुरा इंटरनेटवा भी तनिक डगमगाय रहा था...मुदा अब आप हरी झंडी दिखा दिये हैं..त देखिये एक ठो लेडिस हां लेडीज नहीं..जल्दीए पेश करते हैं..मजा न आ जाए तो कहियेगा...बस देखते जाईये...बकिया सब धमाल चल रहा है।
अरे वाह चचा...हमरी टिप्पणी...हमरी पोस्ट...अऊर हमरा टाईटल भी...बहुत-बहुत धनबाद(बिहार वाला नाहीं रे बबुआ)...
अरे हाँ!...फोटू छापने के लिए लिए एक ठौ अऊर धनबाद
@ खुशदीप
और नहीं तो का....
खाली पतरकियन के कैट-वाक् करे का हक है का महराज...
भैसन के नसीब में इ सुख नइखे का ...हो ,,,???
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