चचा टिप्पणी वाले के यहां समीरलालजी ने दुखड़ानुमा रोया है !
चच्चा टिप्पू सिंह की आज की टिप्पणी चर्चा मे टिप टिप कबूल करें….।
वैसे तो आज रोहित बचुआ का दिन था आज ब्लाग चर्चा करने का….. पर का करें ई बचुआ लोगन का मारे सभी लोग दुखी रहत हैं। अब इनका इच्छा हुआ त करेंगे नाही इच्छा हुआ त नाही करेंगे। बाल हठ बहुते खराब चीज है। जो भी बालहठ का चक्कर में फ़ंसा ऊ त गया काम से। यानि बाल हठ अच्छा अच्छा का मिट्टी खराब करवाया है..आप त सब समझते ही हैं….अच्छा भला लोगन का ई बच्चा लोग मिट्टी खराब कराये हैं और अब भी करवा रहे हैं…फ़िर चच्चा टिप्पणी वाले ( बकौल अनूप शुक्ल ) कौन खेत का मूली है? अब देखते हैं ई रोहित बचुआ भी कहीं उनके मगरुर बच्चा लोगन जैसा चच्चा की मिट्टी ना खराब करवा दे?
हम अब ज्यादा बोलते हैं तो लोगन को बुरा लगता है…सो अब हम कछु बोले बगैर ही आज का खडा टिप्पणी चर्चा आपकी सेवा मा प्रस्तुत कर रहा हूं।
सीजर-ब्रूटस संवाद बजरिये सहजता की बांसुरी की बांसुरी बजाते हुये अनूप शुक्ल ने फ़रमाया …..
समीरलालजी की चर्चा सबसे शुरु में इसलिये करनी पड़ी काहे से कि चचा टिप्पणी वाले के यहां समीरलालजी ने दुखड़ानुमा रोया है कि लोग् उनके लिखे कि चर्चा नहीं करते। क्या दिन आ गये हैं। कोई चर्चा नहीं करता और उनके जैसे अदने लेखक को सबको बताना पड़ रहा है। लाहौल-ब्लाग-कूवत।
लिंक देखें- ये क्या हो रहा है?-हम मौन साधे हैं आप हल्ला मचा रहे हैं।
इस कथन पर उडनतश्तरी की टिप्पणी देखिये…. जो की आज की टिप्पणी आफ़ द डे है।
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उपरोक्त टिप्पणि पर चच्चा कहिन कि – दीन दुखियों…आवो चच्चा के दरबार मे आवो..तुमको सब परेशानियों और दादागिरी से हम मुक्ति दिलाऊंगा.
अब आगे की टिप्पणीयां नीचे देखिये….।
ब्लॉगिंग में सब अच्छा हो रहा है...मे ……
राजीव तनेजा said... खुशदीप जी..आप सही कहा कि इस समय हिन्दी ब्लॉगजत में जैसे एक दंगल चल रहा है कि देखें कौन?...कैसे? ...किसको? ....कहाँ पटखनी देता है?... आज सुबह एक जगह पर अपनी समझ के मुताबिक कमैंट भी कर दिया था लेकिन कुछ ब्लॉगरज़ को मेरा लिखा पसन्द नहीं आया और उन्होंने इसे जाहिर भी किया।...सबके अपने-अपने विचार हैँ...क्या कहा जा सकता है?...मेरे हिसाब से तो दुनिया के सभी धर्म श्रेष्ठ हैँ...उनमें कोई भी...किसी से भी... किसी भी तरह से कमतर नहीं है।... देखा जाए तो किसी भी धर्म को अपनाना या ना अपनाना हर व्यक्ति विशेष के अपने विवेक पर निर्भर करता है...इसे किसी भी तरह से जबरन दूसरे पर थोपना या अपने धर्म को दूसरे से बेहतर बताना गल्त है। | एकादशानन..में..
गौतम राजरिशी said... मैम को प्रणाम है..कल आपका नंबर फ्लैश हुआ था तीन-चार बार मोबाइल के स्क्रीन पर। मन कुछ अजीब-सा हो रखा है, तो किसी का फोन रिसिव नहीं कर रहा था। आशा है, आप समझेंगी। दर्द में सुधार है, मन को ठीक होने में वक्त लगेगा तनिक...
October 8, 2009 9:28 PM |
अब आगे चलते हैं।
कार्टून:- लेगा लंगोटी से और पंगा..में….
अजय कुमार झा said... हांय गोया ये तो नया ही एंगल निकाला नेताजी ने..वाह काजल भाई वाह.. October 9, 2009 9:03 AM | जो बीत गयी सो बात गयी .....में…हिमांशु । Himanshu said... "मदिरालय का आँगन देखो , |
किस रिश्ते से उस बालिका को जनकपुत्री बताते हैं(चर्चा हिन्दी चिट्ठो की ) … में…..
पंकज मिश्र जी! | फुरसतिया जी ने सही कहा यह चिट्ठाकारी तो निन्यानवे का फेर है.......और हम पड़े 99 के चक्कर में ?में….
मास्साब इस 99 के फ़ेर मे हम भी कई दिन अटके रहे।अब तो सौ हो गये।बधाई हो मगर स्वामी जी द्वारा लिखी गई कहानी याद रखना सौ फ़िर एक सौ एक फ़िर सुख शांति फ़ुर्र।बहुत बढिया मास्साब क्या करें इसके सिवाय चारा भी नही है। |
और आगे बढिये….
प्रसिद्ध चार मे एक हिन्दी ब्लोग जगत के चर्चित ब्लोगर का चित्र है-नाममें…
" hmm ek to taau raampuriya ji lag rhe hain ha ha " |
अब आगे बढते हैं…..
फुरसतिया जी ने सही कहा यह चिट्ठाकारी तो निन्यानवे का फेर है.......और हम पड़े 99 के चक्कर में ?में…
अरे मास्साब ये तो बहुत ही आसान है। अपना ब्लॉग डीलिट कर दीजिए और निकल जाइए इस ९९ के चक्कर से। हा हा। मगर फिर आप हमको याद आया करेंगे तो हम सब किससे बातें करेंगे ? इसीलिए ...... | कुछ किस्से गांव के भोले भाले ताऊओं के.. में…
ताऊ भी कितना बोला है...जरुर अपना वाला होगा-अरे, वही रामप्यारी वाला. मन्ने तो पक्का डाउट उसी का है. :) |
समीर लाल, राज भाटिया, ताऊ और बादशाह अकबर…. में…
डॉ टी एस दराल said... क्या बात है ताऊ. October 7, 2009 8:00 PM |
समीर लाल, राज भाटिया, ताऊ और बादशाह अकबर में…
राज भाटिय़ा said... अरे ताऊ सारी पोल पट्टी मत खोल , ओर चुपचाप नोकरि कर लो, ओर खुंटे पर तो मजा आ गया, साली के व्याह मै गये थे, दुसरी सालियो ने तो खुब सेवा की होगी, घणे लड्डु खा लिये लगता है, ओर हां ताउ आज तो आप ने करवा चोथ का व्र्त भी रखा होगा.. October 7, 2009 8:25 PM |
इसके बाद आपको लिये चलते हैं कुछ और ब्लाग्स पर….
दान दो किन्तु ग्रहीता को साथ में सम्मान भी दो!..में..
दानी में इतनी शिष्टता तो होनी ही चाहिए कि ग्रहीता का सम्मान भी बना रहे। | दान दो किन्तु ग्रहीता को साथ में सम्मान भी दो!..में..
सही कहा आपने हर देने वाला व्यक्ति यह सोच ले तो फिर फटे पुराने कपडे न दे पायेगा |
कमाल है, हर साल पर्यावरण दिवस मनाते हैं...फ़िर ये बाढ क्यों....?में…
अरे राजीव भाई, जयाप्रदा ने और कुछ नहीं सामने से आज़म खां को आते देख लिया था... | GULDASTE - E - SHAYARI
Nirmla Kapila said... बबली जी आपको भी बहुत बहुत मुबारक धन्यवाद इस शेर के लिये October 7, 2009 9:02 PM ------------------------------------------------2. नीरज गोस्वामी said... सुन्दर अभिव्यक्ति...वाह October 8, 2009 4:53 AM |
और अब ये क्या हो रहा है? पर नीचे की चार टिप्पणीयों का ब्लाक देखें…..
'आज हमको यहाँ, इंसान की जरुरत है..' |
समीर जी आज आपने भी इस मुद्दे पर लिख दिया मतलब कि वाकई मामला बहुत गंभीर हो चुका है। आपका इतना लिखने से ही सबको समझ जाना चाहिये। अगर घर के बुजुर्ग दुखी हैं मतलब मामला बहुत गंभीर है। |
अच्छा जी कविता क्या है ये तो बता दिया सबको आपने..और क्या खूब बताया...मगर ये नहीं बताया कि कविता कौन है.....? कहिये खोलें आपकी पोल..वो होस्टल के पीछे ..उसके पप्पा की कोठी...वो विल्सकार्ड फ़ेंक फ़ेंक कर आप उसे पढवाया करते थे...देखा हमने पकड लिया न समीर भाई.. |
समीर जी पता नही यह लोग क्या सिद्ध करना चाहते है, क्यो खाम्खां की बहस खडी करना चाहते है,दिल दुखी हो जाता है, अरे किसी ने भी नही देख उस ऊपर वाले को, सब मानते है उसे, उस तक जाने का रास्ता सब का अलग अलग है, ओर जिस ने उसे पा लिया.... उसे इस दुनिया से कोई लगाव नही रहा. उसे पाने के लिये पहले हमे इंसान बनाना पडेगा... मै तो सोच रहा हुं कुछ दिनो के लिये यहां से दुर रहे, क्योकि अच्छा नही लगता कोई खुदा को बुरा कहे या भगवान को बात तो एक ही है |
अब दो ठो टिप्पणियां सलीम भाई पांचो ऊंगलियां समान नही होती,जो जिस काम की हो उससे वही काम लिजिये दूसरा नही
सिर्फ एक बात - |
बेंगाणी जी की इस बात से सहमत, शुऐब, यूनुस, महफ़ूज़ जैसे कई मुस्लिम ब्लागर मित्र भी हैं और स्नेह पात्र भी… खामख्वाह सिर्फ़ दो "झिलाऊ" लोगों की वजह से ब्लॉगिंग में व्यर्थ की बहस चल पड़ी है… क्यों इन्हें TRP (नकारात्मक ही सही) देने पर तुले हैं… अवधिया जी जैसा कह रहे हैं, इनका बहिष्कार क्यों नहीं करते… |
लो जी, हमारा रोहित बचुआ ने आकर हमारी ये चर्चा भी पूरी करवा ही दी। आपको इसमे कोनू बात ठीक लगी..यानि अच्छा बुरा कुछ तो लगा होगा? जरुर बताईये..जिससे हम आगे सुधार कर सकेंगे….
और हम अपने ध्येय वाक्य पर अब भी कायम हूं…हमारा सत्याग्रह जारी रहेगा…..याद रखिये…दूसरे पर जुल्म करना…जुल्म करने वालों की मदद करना..और किसी शरीफ़, और खासकर महिलाओं का हंसी ठट्ठा उडाना कानूनन और नैतिक रुप से गुनाह है। ईश्वर उनको सदबुद्धि दे और हमको इस सत्याग्रह को जारी रखने का होसला दे।
तो अब चच्चा टिप्पू सिंह की तरफ़ से टिप टिप……..
अन्याय के आगे नही झुकेंगे। सर कट जाये मगर सम्मान नही खोयेंगे।
चच्चा आपको टिप टिप ,
अब का बताये सुबहिये से चिट्ठा चर्चा परतरह तरह के कलेवर देख कर दंग रह गए थे सोच रहे थे किससे पूछे कि कैसे ये बनाया गया है अब दुबारा आप और भी तरह तरह से रंग बिरंगी चर्चा कर दिए अब आप ही बता दो ना का लगाते हो इसमे जो रंगीन हो जाता है .
२- चचा मेहरबान तो गधा पहलवान नहीं तो मेरी का बिसात कि हमारे चर्चा की चर्चा हो !
यह टिप्पणियों का रंग-बिरंगा वर्गीकरण तो मनभावन है ही, उनका चयन और संयोजन भी बेहतर है ।
चच्चा का आभार ।
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा
चच्चा कोई माने या न माने..सच यही है कि अब इस कलेवर और संकलन के बाद इस आकर्षक और सुंदर चर्चा से अधिक अच्छी कोई चर्चा नहीं बन पा रही है...जय हो चच्चा आपकी...और हां
न सर कटेगा न जायेगा सम्मान,
अब वे चुप बैठे हैं,जो किया करते थे अपमान..
चच्चा आप ग्रेट हो...और समीर जी की चर्चा हो न हो..वे तो दिल में उतर जाते हैं सीधे उडनतशतरी बन के...
जमे रहिये चच्चा नही तो खा जायेगें सब कच्चा !
सुंदर चर्चा!
बढ़िया रही चर्चा ! चच्चा आपके देखा देखि हमने भी यही टेम्पलेट लगा लिया है |
जिएँ चच्चा क्या ब्बात है! अरे हमको तो आज ही पता चला कि कोई टिप्पणी चर्चा भी हुआ करती है बिना खर्चा। मज़ा आ गया जी। बिल्कुल जारी रहे। तमाम भतीजे सपोर्ट में हैं आपके।
बहुत सही है चच्चा!! जमाये रहिये माहोल और बनाये रहिये यही दबदबा! जिन्दाबाद!
अरे चचा जान..आप तो हमरा फोटू भी चिपिया दिए अपनी चर्चा में...बहुत-बहुत धन्यवाद
चच्चा! सभी को खिला दिया गच्चा!
चच्चा! हमारे चिठ्ठे SELECTION & COLLECTION की चर्चा हेतु आभार। हिन्दी ब्लोग जगत मे क्रान्ति की इस मशाल के जलते रहना नितान्त आवश्यक है
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हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
द फोटू गैलेरी
महाप्रेम
माई ब्लोग
SELECTION & COLLECTION
तेवर भी हैं और कलेवर भी...शब्दों में धार,दिखने में जानदार...
क्यों न पढ़ें सब बार-बार...
जय हिंद...
चच्चा ये तो बहुत लाजवाब चर्चा है जमा ही ली आपने आखिर दूकानदारी? वाकई बडा अनूठा विषय और उतना ही अनूठा अंदाज है आपका.
रामराम.
are baap re !!
Mejar Sahib ko ham funiyaye the iho ihaan bata diye ?
chaliye kauno baat nahi ham isi baat par tipiya diye...
लाजवाब चर्चा है भाई ये भी ..........