चच्चा टिप्पू सिंह ने फ़िर बदला टेंपलेट : खर्चा कुछ नही।
10/04/2009
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आज रविवार को चच्चा टिप्पूसिंह की टिप टिप.......
तो आज सबसे पहले बात करें चिट्ठाचर्चा पर रवि रतलामी साहब के आलेख की।
मसिजीवी लंबे समय से हिन्दी ब्लॉग रिपोर्टर पर हिन्दी चिट्ठों की चर्चा अंग्रेज़ी में करते रहे थे. परंतु मामला कुछ जमा नहीं लगता है इसीलिए 2008 में 200 से अधिक पोस्टें आईं, तो 2009 में आंकड़ा दर्जन भर पर बमुश्किल पहुँच रहा है. इसका जोड़ घटाना – याने कि इनके पाठकों व पहुँच के बारे में यदि कभी खुलासा करें तो वो लगता है कि वाकई दिलचस्प होगा. मसिजीवी ने टिप्पणियों की चर्चा का एक नया, नायाब खयाल भी पेश किया था, मगर वो भी बहुत जम नहीं पाया (शायद?). और हाल ही में टिप्पणियों की चर्चा का एक और नया अवतार आया है.
सबसे पहले तो रवि रतलामी जी आपको टिप्पू चच्चा का सलाम पहुंचे। आपका रचनाकार टिप्पू चच्चा का पसंदीदा ब्लाग है। शायद ही कोई दूसरा ब्लाग आज रचनाकार की कोटि का हो। ब्लाग नैतिकता का पालन करने मे आपके जितना समर्थ ब्लागर भी आज शायद ही कोई दूसरा हो। इन्ही वजह से टिप्पू चच्चा आपकी तहेदिल से कद्र करता है। और आज पहली बार मालूम पडा कि आप अब भी इस मंच के चर्चाकार हैं। और यही मेरी ताजुब करने की वजह भी।
आज इस मंच से अन्य लोगों का जिस तरह से मखौल उडाया जाता है, जिस तरह लोगों को बेइज्जत किया जाता है, और वो भी नये नये नौसिखियों द्वारा । यह एक हैरानी की बात है कि आप जैसे उच्च ब्लाग नैतिकता का पालन करने वाले लोग अब भी इससे जुडे हुये हैं।
पर चूंकी आपने टिप्पू चच्चा के बारे मे भी लिखा है अत: आपको उत्तर देना भी आवश्यक लग रहा है मुझे। रतलामी साहब आपने टिप्पू चच्चा को जिस तरह नया अवतार घोषित किया है उसको हम समझ नही पा रहा हूं कि यह हमारी तारीफ़ है या व्यंग? अगर यह आपका व्यंग है तो टिप्पू चच्चा को आपका चेलेंज कबूल है। और अगर यह तारीफ़ है तो टिप्पू चच्चा अपने आपको इसके काबिल नही समझता।
पर क्या आप हमें एक बात का जवाब देंगे कि जब हमने कभी भी किसी के खिलाफ़ कुछ नही लिखा, ब्लाग जगत में इतनी जूतमपैजार पिछले दिनों चली उसके बाद भी आप हमारी पिछली पोस्ट पढ कर देखें कि हमने एक शब्द भी किसी के खिलाफ़ नही लिखा। हम ना तो कहीं टिप्पणी करते हैं, बस सिर्फ़ टिप्पणीयां पढने के शौकीन हैं तो कई बार दिलचस्प टिप्पणियों को पढते पढते ख्याल आया कि इन्हे ही टिप्पणी चर्चा शीर्षक से क्युं ना एक ब्लाग पर छापा जाये? और बस यहीं से मगरुर बच्चे को लगा कि यह तो उसके अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण हो रहा है।
हम तो शांतिपुर्वक स्वस्थ टिप्पणीयों का एक प्रदर्शन इस ब्लाग के माध्यम से करना चाहते थे। लेकिन इन्होने टिप्पणि चर्चा को भी इनकी चिट्ठाचर्चा का कंपीटीटर मान कर टिप्पू चच्चा को भी अन्य लोगों जैसा समझ लिया। और होगये शुरु हमारी ऐसी तैसी करने में। हमको ये हलकट पना नाकाबिले बर्दाश्त है। अनूप शुक्ल जी की भाषा मे हम हत्थे से उखड चुके हैं और चच्चा का हत्था बैठाना इन मगरूर को बहुत महंगा पडेगा।
यानि चच्चा टिप्पू सिंह किसी भी तरह की इनकी गुटबाजी मे यकीन नही रखता, बावजूद इसके इस मगरुर बच्चे ने चच्चा को चिट्ठाचर्चा पर क्यों घसीटा? और यह कहते हुये मखोल उडाया कि टिपणी चर्चा तो भूली बिसरी बात हो चुकी....और इसके बाद सब आकर चच्चा टिप्पू को ही समझाते हैं कि वो बच्चा है। अब अगर वो बच्चा है तो आप चर्चाकार लोगों पर पत्थर मारे? क्यों वो टिप्पू पर पत्थर ऊछालता है? टिप्पू चच्चा क्या उस की कलम से लिखते हैं? जो चच्चा टिप्पूसिंह को दिवंगत कहेगा?
और यह भी आप अच्छी तरह जानते होंगे कि पिछले कुछ समय से इस मंच पर सिर्फ़ महिलाओं और शरीफ़ लोगों पर कीचड ऊछालने का काम कितनी आराम से किया जा रहा है? मेरी समझ से ब्लाग नैतिकता का जिस तरह से यहां उल्लंघन हुआ? क्या वो आपकी दृष्टी मे सही हुआ? अगर आप इसे सार्वजनिक मंच मानते हैं तो आपको इस बात का जवाब देना होगा और हमें यह पूछने का हक है। जब तक हमको जवाब नही मिलता तब तक टिप्पू चच्चा का गांधीवादी विरोध चलता रहेगा यानि टेंपलेट बदलता रहेगा। और यह हमारा अपमान हम भूल नही पायेंगे।
हमे ये बेअदबी पसंद नही है। हम अपनी शान मे गुस्ताखी पसंद नही करते। हम गांधीवादी तरीके से अपना विरोध दिनो दिन और मुखर करते जायेंगे। और जिस रोज हमसे माफ़ी मांग ली जायेगी, उस दिन चच्चा ये ब्लाग बंद कर देगा, यह आपका ब्लागजगत बहुत संकीर्ण मानसिकता वाले लोगों का है. चच्चा टिप्पू सिंह जैसे लोग यहां फ़िट नही हो सकते।
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आईये अब कुछ टिप्पणियों की बात करें............चिट्ठाचर्चा पर उडनतश्तरी
Udan Tashtari Says:
Posted on October 04, 2009 8:46 AM
टेम्पलेट देख इस चर्चा के नकली होने का अहसास हुआ..यूँ कोई लिहाफ बदलता है कोई भला!
मन खिन्न हुआ रोज बदलाव से..कोई डर है क्या? लगत्ता तो है!!
उडनश्तरी साहब, डर यहां मौजूद है। इनको तो अब चच्चा के दस रुपये रोज खर्च करवाने का बहाना मिल गया। पर चच्चा दस तो क्या रोज सौ रुपये भी खर्च करेगा पर माफ़ी मांगे जाने तक टेंपलेट रोज बदलेगा। अब चच्चा के पास रोहित जैसा होनहार बालक है।
चिट्ठा चर्चा पर ही...
cmpershad Says:
Posted on October 04, 2009 11:59 AM
"पोस्ट होते चिट्ठों के बीच हो रही चर्चाएँ नगण्य सी ही हैं."
चर्चाएं और बढे़ पर आशा यही है कि देखा-देखी की बजाय कुछ ओरिजिनल हो। जिन चिट्ठों पर अन्य ने चर्चा न की होंउन्हे दूसरे चर्चा का विषय बनाएं। प्रायः यह देखा गया है कि उन्हीं चिट्ठों की चर्चा होती है जिन पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। तुर्रा यह कि भाषा की शालीनता भी दांव पर लगी हुई है॥
* अरविंद मिश्र जी कहते हैं कि "मगर यह भोपू कभी बाएँ कभी दायें.." यह तो चाकलेट खर्च कराने के तरीके हैं:)
आप चिंता ना करें. रोहित अब बिना चाकलेट ही टेंपलेट बदलने को राजी होगया है। वैसे डेयरी मिल्क वालों ने उनका जिक्र किये जाने से खुश होकर एक कंटेनर चाकलेट मुफ़्त भिजवा दी हैं। चाहें तो आप भी आनंद ऊठायें।
चिट्ठाचर्चा पर ही......
अजय कुमार झा Says:
Posted on October 04, 2009 12:35 PM
मैं तो शुरू से ही कहता आ रहा हूं कि चाहे बात ऐग्रीगेटर्स की हो या चर्चा की..जब दिनों दिन ब्लोगस की संख्या बढ रही है ....तो देर सवेर अधिक विकल्पों की जरूरत तो पडेगी ही..और ये खुशी की बात है कि..विकल्प बढ भी रहे हैं....
प्रसाद जी शायद आपका कहना सही है....मगर इस विषय में सिर्फ़ दो बातें कहनी है...चर्चा तो आमतौर पर उसी की होगी न जो अच्छा होगा....सिर्फ़ चर्चाकार की नज़र में नहीं...बल्कि आम पाठकों की नज़र में भी....अब ये मत पूछियेगा कि इसे तय कर्ने के क्या पैमाने हैं...सबके अलग अलग ...मेरे भी हैं.....दूसरी ये कि...कौन कहता है कि आप उसी चिट्ठे को बार बार पढें...जिस चर्चा में जो नया मिलता है ...उसी को अपना प्रसाद दे दिजीये.....
बकिया चाकलेट खर्च करवाने वाली बात से हम सहमत हैं......मगर इसी बहाने किसी बच्चे को चाकलेट तो मिल ही रही है न.....
आप भी का चाकलेट का बात करने लग पडे हैं? कोनू कमी है का चाकलेट का? आईये आप सब लोगन का लिये हमको डेयरी मिल्क कंपनी वाला एक कंटेनर भिजवाय दिया है चाकलेट का। आईये सब लोग खाईये।
टिप्पणी चर्चा की पीछली पोस्ट पर....
Udan Tashtari Says:
Posted on October 2, 2009 2:49 PM
लोग कहीं ये ना समझ ले कि चच्चा कहीं सचमुचे तो दिवंगत नही हो गये...
-शुभ शुभ बोलो, चच्चा!! मन बैठने लगता है.
रोहित तो होनहार लगता है. अच्छा टेम्पलेट लगाया है.
झा जी को शेर दिली की बधाई. :)
आप काहे चिंता करते हैं जी? चच्चा बिना बदला चुकाये दिवंगत कैसे हो जायेंगे? अगर यमराज आये भी त हम कह देंगे कि भैया थोडा दिन बाद आना..अभी हमको जरा मगरुर बच्चा से हिसाब किताब करना बकिया है। और रोहित तो जिनियस हैईये है। कोनू शक है का अब भी?
अब का हुआ कि ई मगरुरवा त आज फ़िर टेंपलेट बदल दिहिस. त आज फ़िर रविवार रहा। तो हम बुलवा लिये रोहित को। ऊ बोला चच्चा आप कहो तो हम तुरंते इस मगरुरवा का टेंपलेट html copy करके डाल देते हैं, टाईम आधा मिनट लगेगा। हम बोला - खबरदार नकल कापी का बात किया तो...तरीका से करो।
त रोहित ने डाऊनलोड कर दिया और बोला - चच्चा आपका कंप्युटरवा मा सारा औजार नही है, ई मा कोरेल ड्रा लगेगा सो हम अभी क्रिकेट मैच खेलने जात हैं...तब वापसी मा सीडी मा ऊ लेते आयेंगे..तब हैडर पर भोंगा भी बिठा देंगे।
हम बोला - बचुआ जियो। जा क्रिकेट खेल और एक ओवर दस सिक्सर मार। और ई एक पूरा कंटेनर चाकलेट बुलवाया है खूब खाओ। त रोहित बोला - चच्चा ई तो हम नही ना खायेंगे। काहे से कि इससे दांत खराबे हो जाता है। ऐसा हमार बाबूजी कहे रहिन। त अबसे हम बिना चाकलेट लिये ही आपका टेंपलेट बदल दिया करेंगे।
हम बोले - वाह..बचुआ वाह...जल्दी एक ओवर मा दस सिक्सर मार के आ। और क्या पता शाम तक मगरुरवा का टेंपलेटवा भी बदल सकत है तो डायरेक्ट नया वाला ही लगा देना।
हम अपने वादे पर डटे रहेंगे..जब भी मगरुर बदलेगा टेंपलेट हम भी बदलेंगे। अब तो दस रुपये की चाकलेट भि नही लगेगी।
हमारा यह प्रयास कैसा लगा? वोट अवश्य देकर जायें.....हमने पिछले टेंप्लेट मे आपसे वोट मांगे थे। मगरुर ने तो अपना रिजल्ट नही बताया पर हम बता देते हैं अपना - आपमे से ८५ % ने ७५ से १०० प्रतिशत और १५ % ने ५० से ७५ प्रतिशत पर वोट दिया। बहुत शुक्रिया जनाब आपका।
अब चच्चा टिप्पू सिंह की टिप टिप कबूल किजिये। जल्दी ही आपसे फ़िर मुलाकत होगी।
अन्याय के आगे नही झुकेंगे। सर कट जाये मगर सम्मान नही खोयेंगे।
चच्चा टेम्पलेट तो बहुत बढ़िया जम रहा है बालक रोहित वाकई होनहार है |
अच्छी टेम्पलेट बदल टिप्पणी चर्चा !
चच्चा! अब क्या कहू आपसे..... टीप्पणी चर्चा का कल का टेम्पलेट बडा ही अच्छा लगा था..... इसी पसन्द के चक्कर मे मैने भी वो ही टेम्पलेट का आवरण ओढ लिया था....... अब आज फ़िर नया टेम्पलेट ? सुन्दर तो है चच्चा! पसन्द भी आया......धन्यावाद!
हम ना तो कहीं टिप्पणी करते हैं, बस सिर्फ़ टिप्पणीयां पढने के शौकीन हैं तो कई बार दिलचस्प टिप्पणियों को पढते पढते ख्याल आया कि इन्हे ही टिप्पणी चर्चा शीर्षक से क्युं ना एक ब्लाग पर छापा जाये? और बस यहीं से मगरुर बच्चे को लगा कि यह तो उसके अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण हो रहा है।
चच्चा आप की उपरोक्त बात से यह सिद्ध होता है कि आप सही हो। लेकिन यहां आपकी सुनने वाला कोई नही है। यहां तो इनके ही ढोल और इनके ही मंजीरे और ये ही उनको कूटने वाले हैं। उपर उपर सब इनके साथ हैं और अंदर से सब आपके साथ हैं। आप डटे रहना, आपका गांधीवादी तरीका और ब्लाग नैतिकता के नियम पसंद आये।
टिप्पू चर्चा संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।
जय टिप्पू चच्चा की।
अरे वाह आप को देख चच्चा हमरो मन रोज रोज टेम्पलेट बदलने का हो रिया है !!
पहले तो हम रोजे बदलते रहें हैं आपन टेम्पलेट !!!!
लिए लेव फिर से बधाई!!
"मिड डे मील ....... पढ़ाई-लिखाई सब साढ़े बाइस !!"
अन्याय के आगे नही झुकेंगे। सर कट जाये मगर सम्मान नही खोयेंगे।
सही है ।
:)
lage raho munna bhai!!!!
कलेवर अच्छा है , अब कितने दिन तक यह चलेगा :)
बहुत बढिया चच्चा, दोनों मे से कोई भी हार मत मानना.
रामराम.
कई बिन्दुओं पर आप सहमत होने को बाध्य करते हैं ।
लगे रहिये चच्चा, भतीजे आपके साथ आ ही जायेंगे ।
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