चच्चा टिप्पू का बदला टेंपलेट : कीमत सिर्फ़ एक चाकलेट
10/02/2009
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गांधी जयंती पर चच्चा टिप्पू सिंह की टिप ..टिप...अब बात करें आज की टिप्पणी चर्चा की। तो सबसे पहले लेते हैं
हिंदी ब्लागिंग में प्रदुषण का लेवल बढा में अनूप शुक्ल फ़रमाते हैं -
अनूप शुक्ल ने कहा…
बड़ी पीड़ा दाईनी पोस्ट है। इसी बहाने अरविन्द मिश्र जी की भी पीड़ा सामने आ गयी। वैसे आप चच्चा जैसे दहाड़ू ब्लागर को दीन-हीन बताकर कहीं उनका अपना तो नहीं कर रहे टाईगर भाई! कहीं चच्चा इस बात पर भी न हत्थे से उखड़ जायें!
श्रीमान अगर आप समझते हैं कि अपने मान सम्मान का कचरा करने वालों के खिलाफ़ आवाज ऊठाना दहाडू बनना है तो आप समझ लिजिये कि हम दहाडू ही हैं.
वैसे हमने आज तक किसी के खिलाफ़ भी कोई असंवैधानिक भाषा का प्रयोग नही किया. इसके बावजूद हमें भूली बिसरी बातें बडी मगरुरता से आपके ही मंच पर कहा गया। तो आपने क्या किया? क्या अपनी बेइज्जती को सार्वजनिक और प्रजातांत्रिक रुप से जनता के सामने रखना गुनाह है? अगर आपकी निगाह में यह गुनाह है तो हम यह गुनाह हजार बार करेंगे और गांधीवादी तरीके से करते रहेंगे, जब तक की क्षमा याचना नही की जाती.
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अब आते हैं कुश की मगरुरता पर.... आपने पिछली पोस्ट पर टिप्पणि की थी.. और हर किसी को यही कहते रहे कि ये तो उस वाले चर्चा ब्लाग के लिये थी जो कभी का बंद हो चुका.. आपके लिये नही. तो तुम्हारे हिसाब से ब्लाग तो चच्चा टिप्पूसिंह का ही भूली बिसरी बाते बनकर बंद हुआ था ना?
श्रीमान अभी तुम चच्चा टिप्पू सिंह से टकराये हो...आज तक तुम अबलाओं और शरीफ़ लोगों की इज्जत से खेलते रहे...पर चच्चा टिप्पू सिंह तुम जैसो को अपनी इज्जत से नही खेलने देगा. यह हमारा प्रण है.
पिछली पोस्ट पर तुम्हारी टिप्पणि यह थी.....
कुश said...
This post has been removed by the author.
माफ़ करना सज्जनों....यह टिप्पणी कुश ने बाद मे आकर डीलीट कर दी. हमारे पास मेल में वह टिप्पणी मौजूद है...हम चाहें तो उसे अभी की अभी पब्लिश यहां कर सकते हैं...पर चच्चा टिप्पू सिंह ब्लाग नैतिकता का पुर्ण पालन करता है।
टिप्पणी मिटाने का अधिकार इस लिये दिया गया है कि बाद मे आप अपनी टिप्पणी अलग करने का मूड बना सकते हैं...तो हम इस बात की कदर करते हैं और अगर वो नही चाहता तो हम उसे बिल्कुल सार्जवनिक नही करेंगे....अगर मिटाने के बाद हमने मेल से सार्वजनिक कर दी तो येह तो इसके जैसा चरित्र हनन का ही काम होगया. जो कि चच्चा किसी कीमत पर नही करेगा. और ये मत समझना की चच्चा सिर्फ़ झूल देरहा है और टिप्पणि चच्चा के पास नही है. अगर पंच लोगों का हुक्म आयेगा तो छाप भी देंगे।
किसी को दो लप्पड मारना अच्छा पर किसी का मान सम्मान खराब करना बहुत बडा पाप है और बातों के घाव नही भरा करते। हमारे दिल पर जो छुरियां चल रही हैं वो हम ही जानते हैं. हम इतनी उम्र के होगये पर इतनी हिम्मत किसी नामाकुळ की नही हुई कि चच्चा से युं बातें कर सके. अत: हम अपना पंचनामा पूरा होते ही यह ब्लाग बंद कर देंगे....पर अपना बदला पूरा करके। उसके पहले हरगिज नहीं।
हम आज गांधी जयंती के अवसर पर बिल्कुल गांधी वादी तरीके से अपना सत्याग्रह जारी रखेंगे...न्याय मिलने तक। जब तक हमारा विरोध जारी रहेगा....किसी भी कीमत पर हम अपना मान सम्मान नही लूटवायेंगे...यह हमारा प्रण है.
अब एक टिप्पणी यह भी ....
cmpershad said...
चच्चा- यानी बुज़ुर्गवार! घर का कोई बच्चा अगर कोई बेअदबी करें तो घर छोड़ कर जाया नहीं जाता। और बुज़ुर्गवार! आपने शायद बहुत अधिक उत्तेजना में यह चर्चा लिखी है। शायद आज लिखते तो उसकी भाषा और तेवर कुछ और होते- बुज़ुर्गाना:) वहां तो साफ यह कहा गया है कि टेम्प्लेट पर किसी का कापीराइट नहीं होता और आप फिर भी धमका रहे हैं कि आप वहां का हर टेम्प्लेट कापी करेंगे। इस बुजुर्ग ब्लागर के नाते आपसे विनती है चच्चा कि गुस्सा थूक दें और अपना हस्ता-खेलता काम जारी रखें:)
October 1, 2009 1:05 AM
श्रीमान cmpershad साहब..माफ़ किजियेगा, हम आंग्ल भाषा नही जानते इसलिये आपका नाम समझ नही पा रहे हैं..क्या ही अच्छा हो अगर आप अपना नाम मातृभाषा मे लिखें तो हमे भी आपका नाम लेकर संबोधित करने का सौभाग्य मिले। सिर्फ़ और सिर्फ़ एक निवेदन है अन्यथा ना लें...हमने तो आपसे निवेदन भर किया है।
अब आपने हमें समझाईश दी है कि घर के बच्चे की बेअदबी से घर नही छोडा जाता...तो हम अपनी भावनाएं आप द्वारा समझे जाने पर आपको धन्यवाद देते हैं कि चलो आपने ये तो माना की इस मगरुर बच्चे ने चच्चा की शान मे गुस्ताखी तो की है।
और अगर वो बच्चा ही है और इतना ही नासमझ है तो उसके घर वालों को पत्थर क्युं नही मारता ? हम पडौसियों पर ही क्युं पत्थर फ़ेंकता है?
आगे आपने कहा कि हमने यह पोस्ट उतेजना मे लिखी है और उसको धमका रहे हैं। तो श्रीमान यह तो आप सरासर एक मगरुर बच्चे की गल्तियों पर पर्दा डाल रहे हैं यानि कि मियां आप उसको साफ़ साफ़ बिगाडने के मूड मे हैं. इससे पहले कि वो पूरा का पूरा बिगड जाये , आप उसके भविष्य पर ध्यान दिजिये।
और रही धमकाने की बात तो अगर गांधीवादी तरीके से अपने सम्मान की रक्षा करना भी आपको धमकी लगता है तो आप भी बातों से बुजुर्गवार ही लगते हैं , ऐसे मे आपको कुछ जवाब देना भी चच्चा की धृष्टता ही कही जायेगी, इसलिये इस बात का जवाब आप ही सोचें।
रही बात टेंपलेट बदलने की तो यह भी हमारा गांधीवादी तरीका ही है। हम टेंपलेट की तो बात क्या ? यह ब्लाग ही इस पंचनामे के बाद बंद कर देंगे।
इन सबके बावजूद भी आप सिर्फ़ पक्षपात ही करना चाहते हैं तो किजिये। वो भी आपका अधिकार है।
टिप्पणि करना..फ़िर मिटाना..क्या ये परिपक्वता है? आप ही बताईये।
और इसके बाद भी हम उसकी टिप्पणी सार्वजनिक नही कर रहे हैं...तो फ़िर भी आप चच्चा को ही दोषी ठहरायेंगे?
आपकी मर्जी cmpershad साहब। हम आपको क्या कहें? पर हम बेइज्जती तो सहन नही करेंगे।
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इसके बाद पिछली पोस्ट की एक टिप्पणी और लेते हैं आज चच्चा ज्यादा नही लिख पायेगा क्योंकि चच्चा बुखार से परेशान है ...यह पोस्ट भी इस लिये लिख दी कि लोग कहीं ये ना समझ ले कि चच्चा कहीं सचमुचे तो दिवंगत नही होगये...
एक शेर दिल नौजवान सामने सीना ठोक कर आया और वो हैं अजय कुमार झा जी....
अजय कुमार झा said.....जियो मेरे शेर..चच्चा को कोई बराबरी का आज मिला है। लगता है चच्चा की विरासत को संभालने वाला कोई तो शेरदिल सामने आया। शाबास झा जी..आपने दिल खुश कर दिया चच्चा का।
चचा अपने रजिस्टर्ड भतीजे का प्रणाम स्वीकार करें...पोस्ट तो मैं सुबह ही पढ चुका था....मगर थोडा रुक कर अपनी टीप देना चाहता था....अब काम की बात...पहले दबाव की...जब मैंने आपका ये प्रयास सबसे पहली बार देखा था...तभी समझ गया था ..कि एकदम मौलिक विचार है...नीयत के बारे में सिर्फ़ इतना..कि जाकी रही भावना जैसी..प्रभु मूरत तिन देखहिं तैसी....सो तत्काल आपसे आग्रह किया कि चचा..हमें भी शामिल किया जाये....आपने भी फ़ौरन हमें मौका दिया...तो जहां तक दबाव की बात है...तो शायद लोग जानते नहीं हैं...अपना चरित्र कुछ स्पंज़ की तरह है...दबाव में और भी दोगुने वेग से प्रबल हो उठता है.....सो अब तो भतीज़ा जम गया.....टेम्पलेट वेम्पलेट तो आप ही जानो...इतना अब तय कर लिया है ...कि इसे भूले बिसरे गीत कहने वालों को अगले एक महीने में ही...इस गीत को इतना कर्णप्रिय बना कर दिखा देंगे....कि सब कह उठेंगे....वाह ये हुई न बात...ये वादा रहा.....
चचा एक किस्सा याद आ रहा है....बचपन में पढा था....
ध्यानचंद को किसी मैच में विरोधी टीम के खिलाडी ने हाकी से मार दिया...उनका सर फ़ूट गया....बाद में खलने उतरे ध्यानचंद ..ने विरोधी टीम को पूरे उन्नीस गोल से हराया...और जाते जाते उस खिलाडी को कहा..यदि मारते नहीं तो सिर्फ़ चार या पांच गोल से हारते.....
तो अभी तो सिर्फ़ इतना ही...अभी मेरे सक्रिय न होने का कारण थोडा तकनीकी था...मेल करके बताउंगा.....बस बकिया फ़िर कभी....
October 1, 2009 7:36 AM
झा जी हम आपको यकीन दिलाते हैं कि चच्चा के साथ रह कर आपको कभी शर्मिंदगी नही ऊठानी पडेगी। बल्कि आपको फ़ख्र होगा। हमको तो आप जैसे नौजवानों की आवश्यकता है.. जो भी चच्चा के विचारों से साम्यता रखते हों उनका स्वागत है।
हम तो आपको निम्न सलाह देंगे..उनका पालन किजिये और फ़िर देखिये आपको कितनी तसल्ली और शुकुन मिलता है। आप किसी की इज्जत खराब करके तो अपने आकाओं के दुलारे हो सकते हैं और चच्चा के नियमों पर चल कर आप जन जन के दुलारे हो जायेंगे।
चच्चा टिप्पू सिंह के ब्लाग नियम
किसी की भी मगरुरता से खिल्ली मत उडावो।
भूलकर भी किसी महिला ब्लागर का मखौल मत उडावो।
खाली सनसनी फ़ैलाने के लिये किसी भी ब्लागर का नाम मत ऊछालो।
किसी से भी जल कर उसके बारे मे कुछ मत लिखो।
दूसरे की इज्जत भी अपनी जितनी ही प्यारी समझो।
अगर आपको लगता है कि किसी की खिल्ली आप ऊडाये जिससे की सबको आनंद आयेगा तो आप पुर्व मे उसकी परमिशन ले लिजिये बिना परमिशन किसी भी हालत मे तेज चैनल बनने का प्रयास नही करें।
खोजी पत्रकारिता के नाम पर किसी का दिल ना दुखाये..ये आपका काम नही है। आप ब्लाग नैतिकता का पालन करें।
अगर आपने इतनी बातों का पालन किया है और इसके बावजूद कोई आपके मान सम्मान के साथ खिलवाड करता है तो उसको एक मौका क्षमा याचना के लिये दो। बतर्ज गांधीजी कि एक गाल पर लप्पड खाकर दूसरा आगे करदो..यानि दूसरा मौका दो..संभलने का...और दुसरे के बाद गांधीजी ने कुछ नही कहा है। यानि की अपनी बेइज्जती कभी सहन मत करो चाहे ब्लागिंग छोडनी पडे या दुनियां..पूरा पंचनामा करने तक डटे रहो..जैसे हम डटे रहेंगे...और इस बेइज्जती को हर पोस्ट मे याद करते रहेंगे।
जो भी लोग हमारे विचारों से सहमत हों वो हमारे साथ आयें....स्वागत है उनका...
अब कहानी टेंपलेट की...
चच्चा ने अपने वादे के मुताबिक टेंपलेट बदल दिया है। आपको टेंपलेट कितना पसंद आया? जरुर वोट किजियेगा । अब आपको यह भी बतादें कि यह टेंपलेट किसने बदला?
हमारे पडौस के फ़्लेट में मि. श्रीवास्तव रहते हैं उनका बालक रोहित जो कि १२ वीं कक्षा का विद्यार्थी है। उसने हमे कहा था कि चच्चा टिप्पू आपको जब भी टेंपलेट बदलवाना हो बता देना। उस होनहार ने यह काम हमारे सामने किया सिर्फ़ साढे तीन मिनट में । और हमने उसको एक दस रुपये वाली डेयरी मिल्क की चाकलेट दी । यानि हमको इसकी लागत आई सिर्फ़ दस रुपये।
हम अपने वादे पर डटे रहेंगे..जब भी मगरुर बदलेगा टेंपलेट हम भी बदलेंगे। दस रुपये इज्जत से बडे तो नही हैं?
हमारा यह प्रयास कैसा लगा? वोट अवश्य देकर जायें.....चच्चा टिप्पू सिंह की टिप टिप..जल्दी ही फ़िर मिलेंगे...
अन्याय के आगे नही झुकेंगे। सर कट जाये मगर सम्मान नही खोयेंगे।
नोट --- इस पोस्ट को सुबह करीब दस बजे अपडेट किया गया है।
लोग कहीं ये ना समझ ले कि चच्चा कहीं सचमुचे तो दिवंगत नही हो गये...
-शुभ शुभ बोलो, चच्चा!! मन बैठने लगता है.
रोहित तो होनहार लगता है. अच्छा टेम्पलेट लगाया है.
झा जी को शेर दिली की बधाई. :)
लोग कहीं ये ना समझ ले कि चच्चा कहीं सचमुचे तो दिवंगत नही हो गये...
ऐसा नहीं होगा न....
और टेम्पलेट तो और खूबसूरत हो गया अब..
आपके ब्लॉग नियम बड़े उत्कृष्ट हैं ! हम तो उन्हीं पर ठहर गये हैं, और याद कर रहे हैं उन्हें ।
टेम्प्लेट का क्या ? वो तो बदलती ही रहेगी !
चच्चा टेम्पलेट बढ़िया है |
उम्मीद करता हूँ वह बच्चा कुछ दिनों बाद अपना काम आऊटसोर्स करने लगेगा :-)
बी एस पाबला
चच्चा के ब्लाग नियम सर माथे !
चच्चा आपको टिप टिप ,
भाई रोहित का तो जवाब नहीं इतने जल्दी टेम्पलेट बदल दिया . और हां आपने पोस्ट करके हमको शांति प्रदान कर दी वैसे मुझे ऐसा लग रहा था कि आप की तबियत खराब हो गयी है .
only a fool will not be able to make out what is going on !!!!!
जहाँ लोग पल में अपना ईमान बदल लेते हैं तो वहां अगर आपने ब्लाग का टैम्पलेट बदल लिया तो कोई गुनाह थोडे ही हो गया:))
टिप्पणी चर्चा और टैम्पलेट दोनों ही बढिया लगे!!!!
चच्चा को इस बच्चे का भी प्रणाम ।
"किसी की भी मगरुरता से खिल्ली मत उडावो।"
मैंने तो बड़ी नम्रता से टिप्पणी की थी पर.......... क्षमा प्रार्थी हूं कि भूले से यहां चला आया:)
@ भूल से चला आया :)
सज्जन आप कही तो एपी चित्तः चर्चा समझ कर नहीं आ गए थे टेम्पलेट देखकर आगे से आना ये टिप्पणी चर्चा ही है
चच्चा टिप्पू सिंहजी! चच्चा आप भी बडे जानदार आदमी लगते है. बालक रोहित साढे तीन मिनट मे टेम्पलेट बदल दिया एक दस रुपये वाली डेयरी मिल्क की चाकलेट दी । यानि आपको इसकी लागत आई सिर्फ़ दस रुपये। चच्चा बालक होशियार निकाला. टेम्पलेट पसन्द आया. बधाई.
चच्चा टिप्पू सिंह के ब्लाग नियम भी मजेदार है....
हिन्दी ब्लोगिग मे प्रदुषण का लेवल बढा
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
ओनली एंड लोनली ... फ़ूल कैन गेट अस अंडरस्टैंड ......व्हाट इज गोईंग औन......
ई हिंग्रेजी मा है ...हिंदी में हम बाद में समझायेंगे....देखियेगा कतना झट से समझ में आयेगा..
चाचा आप सही कह रहे हो मै डाउनलोड किया टेम्पलेट और लगाया सिर्फ २ मिनट का काम है आप ने तो एकदम सही जानकारी दिया .
अगर किसी और को डाउनलोड करना हो तो यहाँ क्लिक करे . और टेम्पलेट लगाए .
जय टिप्पू चचा की !!
आपके ब्लोगिंग के नियम पसंद आये. यही तो शराफ़त और संस्कार हैं ब्लोगिंग के लिये.
चच्चा की जय !
ब्लॉगिंग नियम सिर आँखों पर,
पर मैं दूसरे लप्पड़ के लिये अपना गाल नहीं देने वाला,
पहला लप्पड़ पड़ते ही सामने वाले का हाथ मरोड़ दूँगा ।
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