ये भी तो ससुरा पेटीपैक माल ही है.

9/06/2009 Leave a Comment

आज की रविवारी टिप्पणि चर्चा मे चच्चा टिप्पूसिंह की आप सबको टिप टिप....।

किसी भी भाई बहन को अगर उनके चिठ्ठे से टिपणियां यहां शामिल किये जाने पर ऐतराज हो तो यहां टिपणि बाक्स अपने चिठ्ठे का लिंक छोड दें, आईंदा उनके चिठ्ठे से कोई लिंक या टिपणी नही उठाई जायेगी। यह सिर्फ़ और सिर्फ़ टिपणियों को प्रोत्साहित करने के लिये एक स्वस्थ कोशीश है। आशा है आप सभी बुजुर्गों और नौजवानों का भरपूर सहयोग मिलेगा और आप एक स्वस्थ मनोरंजन यहां पा सकेंगे।

कल की चर्चा झा जी ने की थी। आज की हम कर देते हैं। आपको झा जी टिप्पणी चर्चा पसंद आई। तो इस कार्यक्रम को सफ़ल बनाने के लिये जोश बढाते रहिये और भी बढिया टिप्पणी चर्चा आप को पढने को मिलेगी। हमको आज थोडी बहुत टिप्पणीय़ां मिली हैं जिनको आपकी नजर कर रहे हैं।
‘‘जहर वेदना के पिये जा रहे हैं’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

आनन्द वर्धन ओझा ने कहा…
शास्त्री जी,
आपकी हिंदी-चिंता प्रभावित तो करती ही है, भारतवासियों को भी पुनर्विचार की प्रेरणा देती है !
चुनावों में हिन्दी ध्वजा गाड़ते हैं,
संसद में अंग्रेजियत झाड़ते हैं,
ये सन्ताप माँ को दिये जा रहे हैं।...
जाने इस संताप से कब मुक्ति मिलेगी उन्हें... सचमुच, माता की छाती पर 'मम्मी' स्वर है !
आभार !! आ.

September 6, 2009 2:33 PM

चाँद-तारा प्रहेलिका
इस पोस्ट से दो टिप्पणियां टिप्पू जी को पसंद आई हैं : दोनों आपकी नजर हैं।
अजय कुमार झा ने कहा…
प्रहेलिका ...का विवेक भाई...ई नया नया पहेली ...अब ई प्रहेली...ई जरूर पहेली की सहेली होगी...चांद तारा वाली....देखिये हमरे हिसाब से तो चांद का कौनो भरोसा नहीं रह गया है अब..कहिंयो जा सकता है....फ़िज़ा के पास भी ...आउर अपनी घरवाली के पास भी...नाम हमरा नहीं पता है....हां तारा बाबू...फ़िल्लम ताल के बाद कहीं दिखे नहीं..कौनो धारावाहिक में काम कर रहे हैं....हो गया ...ओतना मोश्किल नहीं था....प्रहेलिका...

September 6, 2009 9:39 AM

अल्पना वर्मा ने कहा…
१-आसमान में चाँद के बिल्कुल पास एक तारा है । आपको बताना है कि अब क्या होगा ?
-कुछ नहीं होगा कवितायेँ और ग़ज़ल लिखी जाएँगी..एक गीत तो लिखा ही गया था--फिल्म के लिए-चाँद के पास जो सितारा है वो सितारा हसीं लगता है.

-वैसे अच्छा है चाँद को बातें करने के लिए कोई तो पास मिला..नहींतो बेचारा तनहा रहता है..

२-क्या चाँद और तारा साथ-साथ रहेगें ?
या फिर इनमें से कोई एक, दूसरे को पीछे छोड़ जाएगा ?
पीछे छोड़ जाएगा तो छोड़कर किधर जाएगा ?
जैसा होगा वैसा क्यों होगा ?
--देखीए Vivek ji-आप को ऐसे प्रश्न नहीं करने चाहिये..आकाश भी नाराज़ हो जायेगा.क्योंकि ऐसे प्रश्न चाँद और तारे की निजता का उलंघन हैं..इस लिए हमें भी जवाब नहीं देने हैं.२१ वि सदी है उन्हें भी स्वतंत्रता है जहाँ दिल करे जाएँ.

September 6, 2009 10:11 AM

ब्रोकोली खाइए, ब्रोकोली उगाइए... अब वैज्ञानिक भी बता रहे इसके गुण

राज भाटिय़ा said...
आशोक जी , आप ने बहुत अच्छी काम की बात बताई, हम यहां इसे बहुत खाते है, यह हरी गोभी जेसी नही होती जेसा कि रस्तोगी जी ने लिखा है, लेकिन जो चित्र आप ने दिया वो बिलकुल सही है, इसे बनाने का तरीका अलग है, जिसे हम भारतीयो को यह स्वाद नही लगती, जेसा कि अल्पना जी ने लिखा, वो सही बात है, लेकिन एक दो बार खाने के बाद खुद वा खुद स्वाद लगती है,
लेकिन एक ओर आसान तरीका जो सब भारतीयो को स्वाद लगेगी, आप इसे सरसॊ के सांग की तरह बनाये, बिलकुल वेसे ही फ़िर देखे केसे नही खाते.
बस यह है ही गुणॊ की खान जेसा कि आप ने लिखा है, हम इसे पिज्जा बगेरा मै भी बनाते है,

September 6, 2009 12:49 AM

यदि पोस्ट लिखते ही यमराज प्राण लेने आ जांय तो ? उपर से यमराज टिप्पणी भी करें !!!!

Udan Tashtari said...
गजब भयो रामा अजब भयो रे!!

ये भी तो ससुरा पेटीपैक माल ही है. :)

September 06, 2009

ताऊ पहेली -३८ की विजेता सुश्री प्रेमलता पांडे

संजय बेंगाणी
September 6, 2009 12:05 PM

उड़न तशतरी से आश्चर्यमय टिप्पणी पा कर धन्य हो गया. बहुत प्रसन्नता हो रही है. विश्वास तो मुझे भी ना हो रह्या है. मगर महाराज गधे भी कभी कभी भूल से घोड़ों से आगे निकल जाते है :)

टिप्पनिवेस्टमेण्ट
सतीश पंचम said...
समीर जी खांचीनुमा कुर्सी पर बैठे 'गोदयंत्र' को गोद में रखे जरूर है लेकिन देख कहीं और रहे हैं :)

इसे कहते हैं 'खांची' पर बैठा 'खांटी ब्लॉगर' :)

ऐसा हो नहीं सकता
वाणी गीत said...
देखा और सुना था पहले भी ...बहुत सुथर
तू मेरा है मैं जानू ...मैं तेरा हो नहीं पाऊं ..ऐसा हो नहीं सकता ..
अच्छी जबरदस्ती है ...!!

September 5, 2009 6:06 PM

हम्ररे मा साब...होनोलूलू से आये हैं...
बी एस पाबला said...
बहुत खूब! लपेट कर देना इसी को कहते हैं शायद? :-)

मैं खुद के बारे में कह सकता हूँ कि जितना हमारे शिक्षकों ने दिया वह अनमोल है। वे आज जहाँ भी हों, प्रणाम
September 5, 2009 6:30 PM

ओए मेने सिम बदल लिया
जी.के. अवधिया said...
6 September, 2009 9:38 AM
हा हा हा, चुड़ैल कम से कम अपनी बहन को विधवा तो नहीं करेगी।

ग्रुप ई-मेल भेजने वाले साथियो, कहीं ऐसा न हो की जीमेल अकाउंट डिसेबल हो जाए
नरेश सिह राठौङ said...
इस बारे मे मुझे भी ज्यादा जानकारी नही थी । आपने बता कर बहुत अच्छा किया वैसे मै ग्रुप मेल कभी नही करता हू । इस प्रकार की मेल कई बार फोरवार्ड रिक्वेस्ट के सथ मिलती है कि आप भी इस मेल को ज्यादा लोगो को मेल करे और भगवान का आशिर्वाद प्राप्त करे या गरीब बच्चो की मदद के लिये इसे अन्य लोगो को भेजे ।

कैसे कैसे शिक्षक?
ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey said...
काश हमें भी जौहरी सर मिले होते तो हम भी हीरा बन गये होते! :)

September 6, 2009 3:40 AM


और अब चच्चा टिप्पूसिंह की आप सबको टिप टिप....।

11 comments »

  • Udan Tashtari said:  

    बहुत जबरदस्त टिप टिप टिप्पणी चर्चा रहीं..चुन चुन के लाये. बधाई.

  • Udan Tashtari said:  

    चच्चा टिप्पूसिंह को हमारी भी टिप टिप!! :)

  • Anonymous said:  

    बढ़िया!
    इसी बहाने अनपढ़े ब्लॉग लिंक भी मिले :-)

  • ताऊ रामपुरिया said:  

    टिप्पूसिंह जी को टिप टिप, बढिया टिप टिप प्रयास. शुभकामनाएं.

    रामराम.

  • Arvind Mishra said:  

    अरे यह कब शुरू हुआ !

  • चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said:  

    मुर्गे की तरह टिप-टिप टिप्पणियां चुगते रहें और यहां बिनते रहें। बढिया ब्लाग के लिए बधाई....चच्चा टिपूसिंह जी:) पर ध्यान रहे कोई टिपू सुल्तान तलवार लेकर न आ जाए:)

  • Gyan Dutt Pandey said:  

    टिप्पणियां दमदार चुनी हैं चच्चा टिप्पूसिंह ने!

  • स्वप्न मञ्जूषा said:  

    ए हुजूर,
    बहुते सुथर चिटठा है भाई
    अब तो टिपियाने में भी जे बा की न मन लाग राहा है भाई..

  • स्वप्न मञ्जूषा said:  

    औ इ जे टीपू सिंग हैं खाली नामे के टीपू हैं कि टिपियेबो भी करते हैं काहे कि हमरा चिटठा पर प्रकटे तो हैं बाकि टिपियाये नाही न हैं
    टिपियाओ टीपू महाराज मोरी
    ब्लागखियन प्यासी रे....

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