प्रथम टिपणी चर्चा
6/04/2009
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राज भाटिय़ाJune 3, 2009 10:23 PM
मैने यह सब इन आंखो से देखा, बाप को हराम जादे कहते सुना, मां को कुतिया पागल कहते सुना,लेकिन इन हराम जादे, ओर कुतिया पागल की ज्यादाद पर ऎश करते करते इन लोगो को शर्म भी नही आती, पता नही क्यो मेरे हाथ रुक से गये, दिल मै तो था, ऎसे सभी कमीनो को अपने हाथो से मार दुं, ओर इसे मै पाप भी नही समझता,
लेकिन हम यह क्यो भुल जाते है कि हम भी लाईन मै लगे है, जो हम आज वो रहे है कल हमारे बच्चे हमे व्याज समेत हमे लोटयेगे, वो यह सब देख रहे है, हम अपने मां बाप का भविष्य थे, हमारा भाविष्या हमारे यह बच्चे ही है, ओर नाग का बच्चा कभी हिरण नही बन सकता, यानि कल हमारा किया जरुर हमारे सामने आयेगा.
कुश भाई धन्यवाद
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woyaadein said...
परिचयनामा तो काफ़ी पसंद आया....शास्त्री जी की गुरुकुल से भाग जाने वाली शरारत ने तो हंसा-हंसा कर लोट-पोट कर दिया...
ताऊ जी को अपनी अगली पहेली का विषय भी मिल गया......सुल्ताना डाकू का किला....क्यूँ ठीक कहा ना ?? साक्षात्कार के दौरान किले का नाम सुनकर ताऊ जी की उत्सुकता देखी थी मैंने....बस फ़िर क्या, ताऊ जी पहुँच गए होंगे किले पर फोटो खींचने के लिए.....हा हा :-)
साभार---------------------------------------------------
हम में से कितने श्रवण कुमार के माता पिता बनना चाहेंगे?
श्रवण कुमार का पिता बनने का तो सवाल ही नही उठाता क्योंकी मैने विवाह ही नही किया है,लेकिन मां(पिता जी अब रहे नही)के लिये जरूर श्रवण कुमार बनने की कोशिश करूंगा।वैसे बचपन मे बहुत शैतान होने के कारण हर साल होली मे मुझे एक ही टाईटल दिया जाता था वो था श्रवण कुमार्।
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हिमांशु । Himanshu said...
खतरे तो हैं ही यह,पर इनसे बेखबर बस लिखे जा रहे हैं । आखिर मन की लिख रहे हैं, कामना हमेशा यही रहती है - अभी कुछ और डूबो मन ।
June 4, 2009 6:05 AM
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पाँच पुरुषों की कामिनियाँदिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi, June 3, 2009 5:24 PM महाभारत को इतिहास मानेंगे तो बहुत गड़बड़ होगी। वहाँ पुरातन भारत के पद चिन्ह अवश्य हैं। मुझे तो लगता है जैसा लिंग अनुपात है उस में यह मजबूरी न बन जाए।----------------------------------------------------
Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" said...
हमें ब्लाग लेखन के माध्यम से कुछ सार्थक करने हेतु प्रयासरत होना चाहिए, न कि सिर्फ भी बेफालतू की भीड इक्कठी करने के प्रयास करते रहें.......
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आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...
एक बात पूछना रह गया था कि ये रामप्यारी ताऊ वाली है या शाश्त्री जी की अलग है? या दोनों की अलग अलग रामप्यारियां हैं.?:).. आभार
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अगली खेप आज शाम के बाद पढ सकते हैं.
काफी पढ़ा होगा आपने इन्हें सहेजने के पहले । वस्तुतः टिप्पणी चर्चा का उद्देश्य भी महनीय ही है । धन्यवाद ।
सराहनीय प्रयास है, नियमितता बनी रहे तो लोकप्रियता अवश्य बढेगी
-"वीनस केसरी"
आप अपना कार्य जारी रखें...मैं विश्वास दिलाता हूँ की बहुत जल्दी ही ये अपने पूरे शबाब पर होगा....वैसे भी विशिष्ट स्वाद है इस ब्लॉग का..सो जाहिर है की देर सवेर सबको पसंद आयेगा ही....
अरे भई देखिये हमें आज जैसे ही पता चला कि हमारी टिप्पणी को आपके ब्लॉग पर संजोया गया है, हम हाज़िर हो गए......देखकर काफी अच्छा लगा.....
इस नए और अनोखे चिट्ठे के साथ आपका ब्लॉगजगत में हार्दिक अभिनन्दन.....और भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनायें.....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
क्या हुआ फिर टिप्पणी चर्चा का ?