उम्र बढ़ती गई अनुभवों के ख्बाव सजते रहे :चच्चा टिप्पू सिंह
बच्चा लोग ..कैसन हैं आप लोग? आज हम आपको थोडी सी यानि कि मुठ्ठी भर टिप टिप करके ई टिप्पणी चर्चा सुनवा रहे हैं…तो सुनो अऊर बताय्व कि कैसन लगी ई चर्चा.
पहेली का निष्कर्ष : स्त्री/पुरुष विमर्श
Arvind Mishra ने कहा… उदासी मिटाना,
और सबको हँसाना
निवेदन मैं सबसे किये जा रहा हूँ...
अरे अरे छटंकी सी कविता और भाव में टंकी का इशारा ,रुकिए जरा मेरा जवाब भी तो लेते जाईये !
मैं ४ लेकर तीन उसे दे दूंगा और वह उसमें से भी १ मुझे दे देगी ! मेरी पत्नी और प्रेयसी दोनों क्षीण काया है न !12/14/2009 03:27:00 अपराह्न
सुनीता शानू ने कहा… समीर भाई मै तो पतिदेव को ही पहले खिलाती हूँ, और वो कभी-कभी तो अपनी धुन में सारा खा जायेंगे, या कभी मालूम हुआ की इतना ही बचा है तो अपना हिस्सा भी मुझे हिदायत देते हुए खिला देंगे कि ढँग से खाया करो, या बाँट कर भी खा सकते हैं...
और सुनाईये कैसे हैं आप?12/14/2009 07:32:00 अपराह्न
जी.के. अवधिया ने कहा… "बाधाएं जीवन की
खड़ी हैं निरंतर
सामने
अवरोधक बनकर
जिन्हें एक पार करना है
एक कुशल धावक की तरह
पहुंचना है विजय रेखा तक
तृप्ति
तभी ही संभव है."
अति सुन्दर!१४ दिसम्बर २००९ ८:३३ AM
मां अदा चैतन्य कीर्ति महाराज साहिबा जी आश्रम के महिला प्रभाग की महा-प्रबंधक घोषित
वाणी गीत said... माँ अदा चैतन्य कीर्ति जी ,
आश्रम में पदवी पाक अपनी इस शिष्या को मत भूल जाईयेगा ...
बस आपकी कृपा दृष्टि बनी रहे ....जीवन सफल हुआ ही मानो ...!!December 13, 2009 9:19 PM
RAJ SINH said... क्या बात है नीरज भाई ,
गुरु पंकज की दरख्वास्त पर ,एकाध शेर का तड़का भाभीजी के नाम का तो होना ही चाहिए था . खैर तिलकराज जी ने वह कमी तो कुछ पूरी की ( फीस मिलनी चाहिए उन्हें )
मेरी तरफ से कुछ ''''''''''''''''
तुम तो नीरज फुहार क्या बनते
बात भाभी में है ज़माने की
आप दोनों की जोड़ी हंसती मुस्कराती सदा सलामत रहे . मिष्टी बिटिया को स्नेहDecember 15, 2009 3:16 AM
अफ़ज़ल गुरु की फ़ांसी का मज़ाक और २००१ के हमले का आंखो देखा हाल.
अल्पना वर्मा said...
इस घटना के आप चश्मदीद गवाह रहे इसीलिए यह आप के मानस पटल पर हमेशा अंकित रहेगी.
कल इस घटना में शहीद हुए जवानो को श्रद्धनजली देने के लिए सांसदो का ना पहुँचना बेहद दुखद और शर्मनाक था.कैसे इतनी आसानी से
शहीदों को सांसदो ने भुला दिया?सिर्फ़ गिनती के ही नेता वहाँ पहुँचे थे.
--------
--अफ़ज़ल गुरु को फाँसी नहीं दी गयी तो यह उन शहीदों का अपमान होगा और न्याय का मखोल.
----------------December 13, 2009 9:22 PM
कुंडली देखकर किसी व्यक्ति के विभिन्न पहलुओं की स्थिति या भविष्य का अनुमान हम कैसे लगाते हैं ??
दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi ने कहा… भाव तो समझ आए। एक के बाद एक आते हैं क्रमानुसार। पर यह कभी समझ नहीं आया कि पहले भाव से शारीरिक स्थिति ही क्यों देखी जाती है? उस से आर्थिक या पारिवारिक स्थिति क्यों नहीं देखी जाती। किसी भी भाव से किसी खास स्थिति को देखने का आधार क्या है। किसी ने यूँ ही निर्धारित कर दिया और फिर सब भेड़ चाल की तरह उस के पीछे चल पड़े या उस का कोई ठोस आधार है?
एक सवाल और मेष राशि का स्वामी मंगल ही क्यों है. वृष का शुक्र ही क्यों और मिथुन का बुध ही क्यों कर्क का चंद्रमा और सिंह का सूर्य क्यों? यह किसने निर्धारित किया? और इस का आधार क्या है?१४ दिसम्बर २००९ ८:१४ PM
Meenu Khare says:
December 15, 2009 9:08 PMबहुत अच्छी पोस्ट लिखी है हिमांशु जी. यह सोहर पहली बार आकाशवाणी बीकानेर से अपने रेडियो प्रसारण के दौरान मैने गाया था और जैसे ही गाया आँखें भर आई. हिरनी के दुख को लोकभाषा में ऐसे मढ़ा गया है कि हर हृदय का डफ़ बज उठता है.इस मार्मिक पोस्ट के लिए बधाई.
संजय बेंगाणी said... पहले तो यह बताओ सस्ता जहर मिल कहाँ गया जो रोटी की जगह आदमी ने खा लिया? भूखों मरने की नौबत आ गई है.
पता नहीं मशीन कहाँ से वोट उगलती है? :(December 14, 2009 12:05 AM
संजीव तिवारी .. Sanjeeva Tiwari ने कहा… समाचार पत्रों व टीवी आदि में इस संबंध में समाचार प्रकाशित होनें चाहिए सीधे रेल मंत्री से उन्हें सवाल भी पूछनी चाहिए. हम और आप जो कर सकते हैं वह यही है. विरोध के स्वरों को जीवंत रखना.
१४ दिसम्बर २००९ ९:५१ PM
ब्रेड बँटवारा और स्त्री /पुरुष विमर्श.......घुघूती बासूती
डा० अमर कुमार ने कहा…
मेरे यहाँ रखा हुआ बॅन अब तक अपनी ताज़गी खो चुका है ।
निरा भुरभुरा हो रैया है, यह तो !
मुझसे बॅन का चूरा तो नहीं खाया जायेगा ।
अब क्या किया जाये,
कोई और गणित ?1:25 अपराह्न
ऍम शो मिष्टी महफ़िल/ जिसमे आप अपनी रचना भेज सकते है !!!
पी.सी.गोदियाल said... मुरारी भाई , मैंने तो उस दिन आपकी उस सूचना को सच में एक मजाक समझ लिया था ! आगे से सीरिअसली लूंगा !
14 December 2009 12:06 AM
पं.डी.के.शर्मा"वत्स" said... भई मौदगिल जी, आज तो रचना की तारीफ वास्तै शब्द की कोणी मिल रहे.....
एकदम जोरदार्!!!15/12/09 17:16
साप्ताहिक संन्यास,बाबा झाउआनन्द,और बोध कथा
ललित शर्मा ने कहा… आप न काहु काम के डार पात फ़ल फ़ूल, औरन को रोकत फ़िरे रहिमन पेड़ बबूल ई संसार है कभी-कभी क्षणिक श्मशान बैराग भी हो जाता है। ई कांटा फ़ूल का दोस्ती ही अईसा है भैया। आभार
१५ दिसम्बर २००९ ५:०८ PM
मेरी इन आँखों में बसे सारे ख्बाब तुम ले जाओ
निर्मला कपिला ने कहा… मेरी दुनिया में तुमको लौट कर आना ही नहीं है
सारे ख़त लौटा दो आकर अपने जबाब ले जाओ.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें15/12/09 09:27
उम्र की सांझ का, बीहड़ अकेलापन
महफूज़ अली said... वृद्धों की यह पीड़ा मैं समझ सकता हूँ..... आपने इनकी पीड़ा को बहुत मार्मिकता से दिखाया है...... और आपकी यह कविता दिल को छू गई..... यह देख कर बहुत अच्छा लगा कि आपने कविता लिखी...... पहली बार कविता लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई.....
14/12/09 8:04 AM
चलता फिरता मोबाइल डी. जे. ( संगीत यंत्र )
शरद कोकास said... on December 15, 2009 4:37 PM जाने कितने बैंड्बाजे वालों के पेट पर लात मारी है इस डी जे ने और विवाहस्थल पर इसके चलते तो आपस मे बात तक नही कर पाते है.. सिर्फ शोर ..संगीत नदारद ।
खुशदीप सहगल, 15 December 2009 11:57 AM द्विवेदी सर,
कितना अच्छा हो ब्लॉगिंग को लोकाचारी बनाने के लिए सभी ब्लॉगर इस कविता को आत्मसात कर लें...एक-दूसरे की टांग खिंचाई बंद कर टीम की तरह आगे बढ़ें...
जय हिंद...
अभिषेक ओझा said... मेरे एक मित्र हैं उन्होंने हॉस्टल में मेरे डब्बे पर करीब मेरे ५०० बार चलाई होगी ये फिल्म :)
December 15, 2009 4:07 PM
लीजिये हाजिर है : हिन्दी में LinkWithin टाइटल (रिलेटेड पोस्ट विजेट) जी हाँ हिंदी में !
Ashok Pandey said:
बहुत अच्छी जानकारी। हमारे खेती-बाड़ी ब्लॉग में यह विजेट हमेशा एक ही पोस्ट दिखाता है...उसके लिए भी कोई समाधान होगा तो जरूर बताइएगा।
चले जैसे हवाएं सनन सनन ....तो फ़िर रिमझिम क्यूँ न गिरे सावन.....
Mithilesh dubey said... क्या बात है क्या बात है , भाई अब बहुत जलन हो रही है सभी कलाकार एक ही घर में हाँ , ये तो नाईसांफी है । आवाज के तो क्या कहने बहुत खूब , अभी ज्यादा नहीं कहूँगा बाद आता हूँ, फीर बात होती है ।
December 14, 2009 8:28 PM
सीरियल ब्लास्ट का दूसरा धमाका पाबला जी के नाम
राजीव तनेजा ने कहा… गुड!..इसे कहते हैँ...सधे हाथों द्वारा किया जाने वाला नियंत्रित डिमालीशन(ब्लॉगजगत की कमियों का)
१५ दिसम्बर २००९ ९:०७ AM
स्वामी ललितानंद महाराज प्रवचनमाला भाग - 3- शब्दै मारा गिर पड़ा
खुशदीप सहगल said... बाबा जी,
कड़की ज़्यादा हो गई है, सोच रहा हूं आपका अपने शहर में एक कथा-वाचन कार्यक्रम करा के दो-चार पैसे ही कमा लूं...घोड़ा, तमंचा, रामपुरी सब तैयार रखूंगा...ज़रा किसी ने शुभ काम में टंगड़ी अड़ाने की कोशिश की नहीं कि वहीं
कलटी कर देंगे...
जय हिंद...December 14, 2009 10:32 PM
'अदा' said... सही पूछो तो सरकार के पास कीमतों के बारे में जो भी जानकारी आती है वो थोक बाज़ार या होलसेल इंडेक्स पर ही टिकी होती है...यानि रीटेल कीमतों की सही स्थिति जानने के लिए सरकार के पास सिस्टम ही नहीं है...और आपका-हमारा थोक से नहीं सिर्फ रीटेल कीमतों से ही वास्ता होता है...इस थोक और रीटेल के बीच ही महंगाई की सारी जड़ छुपी हुई है...
खुशदीप जी,
आपने सही नब्ज़ पकड़ी है.....देश के नेताओं को बात ही समझ में नहीं आती....और आये भी कैसे एक तो गोरी ऊपर से वेट्रेस ...दीमाग तो होता ही नहीं है....
और बाकि कसर उनके रिश्तेदार पूरी कर दे रही हैं...बहुराष्ट्रीय कंपनियों ....मतलब की एक करेला ऊपर से नीम चढ़ा....
हमेशा की तरह..जबरदस्त लिखा है जनाब आपने....अब तो तारीफ करने के लिए भी शब्द ढूंढना पड़ता है ...कभी कभी थोडा कम अच्छा भी तो लिखा कीजिये न हुजुर.....हा हा हाDecember 15, 2009 8:52 AM
ऐसी की तैसी उन सबकी ....ये नया नया जोश है अभी!
हिमांशु । Himanshu said... अदभुत ! मैं तो आपके इन किस्सों में आनन्द इसलिये पाता हूँ कि इनको प्रस्तुत करने का अंदाज विलक्षण है । बहुत कुछ सीखा जा सकता है इस प्रस्तुति के अंदाज से । हास्य-बोध का तो कहना ही क्या !
हाँ, इस तरह अ-निमंत्रित भोजनादि के कार्यक्रमों में हिस्सा लेना गेट-क्रैश कहलाता है, यह भी नहीं जानता था । कभी किया नहीं न ! -शायद इसीलिये ।14 December 2009 20:09
पी.सी.गोदियाल, December 15, 2009 9:53 AM हा-हा , ऊपर से पांच-सात सौ रूपये सिलेंडर पर भी खर्च कर डाले, इसे कहते है कंगाली में आटा गीला !
ताऊ पहेली - 52 :विजेता श्री काजलकुमार
मीत Monday, December 14, 2009 11:50:00 AM
सलाम है ऐसे योद्धा को...
सच तो ये है की ऐसे योद्धाओ की क़ुरबानी आज बेकार होती जा रही है, यह देश आज आज़ाद होते हुए भी गुलाम सा लगता है...
मीत
Udan Tashtari said... उफ्फ!! बड़ी कातिल हैं यें क्षणिकायें तो..ऐसे गजब भाव!!
पर न जगाना
उन उलझनों को
जिनको थपथपा
के मैंने सुलाया है अभी !
क्या बात है..हमें तो हमारे विल्स कार्ड याद हो आये...बहुत सुन्दर. और लाईये!!!7:54 PM
भारतीय संस्कृ्ति का महान प्रतीक चिन्ह-----स्वस्तिक(a symbol of life and preservation )
प्रवीण शाह 15 December 2009 9:38 PM
.
आदरणीय पंडित 'वत्स' जी,
आप भी नई नई चीजें खोज लाते हैं।
एक नया शब्द 'बोविस' आपके आलेख में पढ़ा, जानने की जिज्ञासा हुई कि यह है क्या चीज...
सबसे पहले तोयहां पर देखिये कितना 'बोविस' है कहां पर...
"जानिए की किस चिन्ह में कितनी ऊर्जा समाई है।
भारतीय स्वस्तिक - 1,00,0000 बोविस। यदि इसे उल्टा बना दिया जाए तो यह प्रतिकूल ऊर्जा को इसी अनुपात में बढ़ाता है।इसी स्वस्तिक को थोड़ा टेड़ा बना देने पर इसकी ऊर्जा मात्र 1,000 बोविस रह जाती है। ऊँ के ऊर्जा क्षेत्र में 70,000 बोविस की ऊर्जा होती है। वहीं चर्च के क्रास में 11,000 बोविस ऊर्जा होती है। चर्च में बजने वाली घंटियों में भी 11,000 बोविस की ऊर्जा होती है।
मस्जिद में औसतन 12,000 बोविस की ऊर्जा होती है। तिब्बत के मंदिरों में ऊर्जा का स्तर 14,000 बोविस रहता है। बुद्ध के स्तूप में 12,000 बोविस ऊर्जा मापी गई है। तिब्बत वासियों की पूजा के समय घुमाया जाने वाला चक्र 12,000 से 14,000 बोविस ऊर्जा का निर्माण करता है।
इजिप्ट में ‘आई’ सिंबल प्रतीक चिंह में 9,000 बोविस ऊर्जा बताई जाती है। रूस में पवित्र माने जाने वाले ‘की’ (चाबी) के चिंह में भी 9,000 बोविस ऊर्जा है। इसी तरह लाल रंग के फूलों में ऊर्जा की मात्रा 65,00 से 72,00 बोविस ऊर्जा है।"
अजय कुमार झा, December 15, 2009 1:25 PM हमारी दिल्ली में आए वो मेहमान बनके ,
न मिले निकल गए , अनजान बनके ॥
बहुत नाइंसाफ़ी है जी ....हम बहुत नाराज हैं आपसे जाईये कुट्टी ....नहीं नहीं .....अबके तो कुट्टा करना पडेगा ....चलिए आप खूब घूमी फ़िरी ..हमे इसी बात की खुशी है
Udan Tashtari said... अरे यार आदि....ये क्या कर रहे हो...पापा को पसीने न छूटें इस ठंड में तो क्या फायदा तुम्हारी बदमाशी का...ऐसी हालत कर डालो कि तुम्हारे बदले पापा चिल्लायें...मम्मी..मम्मी!!! :)
December 15, 2009 6:40 PM
खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (144) : आयोजक उडनतश्तरी
श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी said... जय हो.
भक्तों को बाबा का बहुत आशीष.
बाबा के आश्रम पधार कर आशीर्वाद ले लो...
नोट:
. पहेली में भी जीतने के लिए आश्रम में हवन करवाया जाता है.
. हमारी कोई ब्रान्च नहीं है.
. नकलचियों से सावधान.
. ब्लॉगजगत के एकमात्र सर्टीफाईड एवं रिक्गनाईज्ड बाबा.
-सबका कल्याण हो!!
सूचना:
-बाबा प्रॉडक्टस के लिए आश्रम पधारें-
कुंभ की विशेष छूट
बेहद सस्ते दामों पर
महा सेल-महा सेल-महा सेल
नोट:
ऐसा मौका फिर १२ साल बाद आयेगा.15 December 2009 18:18
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said... बेचैन होकर रह गई दिल की उमंगें,
खफा हो गई अब रातों की नींद है,
सोचकर बताना हमें, हमने लगाए
अँधेरे गले, तजकर उजारे किसलिए ?
बहुत बढ़िया!
महफूज अली ने दो लोगों को
फोन करके बुलाया तो था!
हुलिया बिगड़ गया दोनों महाशय जी का!December 15, 2009 6:00 AM
महेन्द्र मिश्र said... उम्र बढ़ती गयी इश्क चढ़ता गया
ख्वाब सजते रहे दिन गुजरता गया
बहुत सुन्दर
उम्र गुजरती गई पड़ाव दर पड़ाव आते रहे
उम्र बढ़ती गई अनुभवों के ख्बाव सजते रहेDecember 15, 2009 7:28 AM
हां त बच्चा लोग अब चच्चा की टिप टिप ले ल्यो..एक बात अऊर आप लोगन से कहना चाह रहे हैं कि एक ठॊ बात आप लोग जरुर ध्यान रखिये कि जैसन कुत्तव्वा का पूछंडी कभी भी सीधा नाही हुई सकत है उसी तरह कुछ मनई भी ऐसन ही होत हैं..सारी उम्र सीख पढके भी ढोर के ढोर रहत हैं। ऊ लोगों का का बात करने? छोडो ऊ सब बातों को..अऊर आप लोगो को जो भी टिप्पणि वगैरह का खबर देने का रहे ऊ सब हमेशा की तरह चच्चा को मेल करते रहना। अऊर हमार आईटम डांसरवा गुरु-चेलवा विडीयो मुख्य पेज पर जाकर जरुर देखना । अऊर बताना कैसन लगा? तो अब टिप टिप…जल्दी ई हम फ़िर मिलुंगा।
चच्चा! आपका चर्चा बढिया रहा।
लड़ो,भिड़ो,संघर्ष करो, घुटने टेक देने से जीत नही होती
तनि तबियत का ख्याल रखें। आभार
चच्चा! आपका चर्चा बढिया रहा।
आईटम डांस चौचक!!
और टिप्पणियाँ तो एक से एक सन्नाट..मजा आ गया!
चच्चा चर्चा तो एकेदम फर्स्ट्क्लास रही....बाकी आपका कहना बिल्कुल सही है कि कुत्ते की पूँछ 12 साल बाद भी टेढी की टेढी ही रहेगी :)
ओर हाँ, वो आईडम डांस वाला भीडियो तो चल ही नहीं रहा...कोई खराबी-वराबी तो नहीं आ गई ?
धंन्य है धन्य है .. आज तो भरपूर चर्चा रहा .. धन्य है धन्य है ।
चचा जी,
बढियां रही टिपण्णी चर्चा आपकी...
धन्यवाद...
इ आइटम डांस तो खतरनाक है भाई....
बढ़िया चर्चा ! आइटम डांस का तो कहना ही क्या ? बड़ा मजेदार है !
रोचक, मनमोहक और विस्तृत चर्चा।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
nice
बेहतरीन। बधाई।
झन्नाटेदार टिप्पणी चर्चा -जमाये रखिये चच्चा मगर सेहत का फिक्र रहे !
इत्ती सारी टिप्पणियों पर नज़र?! मैं तो हांफने लग गया :-)
बी एस पाबला
मुट्ठी बड़ी है चचा आपकी ! बहुत समा जाता है इसमें । निकले थे मुट्ठी भर चर्चा करने- कर गये अँकवारी भर !
खूबसूरत चर्चा । आभार ।
बहुत खूब चचा, आभार आपका !
पत्थरों में से हीरे चुन-चुन कर लाए हो आज तो!
बहुत गजब का कवरेज है चच्चा. आपका भिडियो बहुत मनोरंजक लगा.
रामराम.
मान गये चच्चा! हर टिप्पणी पर नजर रखते हैं आप!
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आदरणीय चच्चा,
बहुत ही खूबसूरत चर्चा,
आभार आपका इस नाचीज पर भी नजरें इनायत करने का...
धन्यवाद।
चच्चा बहुत गजब का चर्चा किये हो। आईटम डांसरवा लोग का विडियो जिनको नही दिख रहा हो वो यहां से क्लिक करके देख सकते हैं.
हम दुई का डांस क्लिक करिये और गुरु चेला का डांस और नाक कान का खींचातानी देखिये।
जय हो चच्चा टिप्पूसिंह जी की जय। महाराज बडा गजब का विडियो लाये हो। मजा आगया देख कर। बहुत ही सटीक है। जय हो।
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