चच्चा को tippukidak@gmail.com पर मेल कर सकते हैं!
हां त बच्चा लोग…हम आगया हुं. अबहीं हमरे लौटने का कोनू विचार नाही था पर का करें? बहुते लोग हमको इमेल करके लिखे रहे कि चच्चा जबसे आप गये हो इहां का माहोल बहुते जियादा बिगड गया है। तो का करुं? हम आपको टिप टिप करने और हाल चाल लेने चला आया हूं।
हम आते ही खुशदीप का ब्लागवा देखा रहा…उहां त उही कहावत चरितार्थ हुई गई कि ससुर कुत्ते की पूंछ को दस बरस भोंगली मा रखा अऊर बाहर निकाला त टेढी की टेढी…..खुशदीप बचुआ का ब्लाग हम पढता रहता हुं …..बहुते सार्थक अऊर अच्छा लिखते हैं…पर उहां पर ई मगरुरवा ने अपनी औकात दिखा दी। पहले उहां
मियां जी..जरा सुनो! said... @ खुशदीप
पिछले कुछ दिनों से यह देखने मे आरहा है कि तुम आत्ममुग्ध हुये जारहे हो। जो कि तुम्हारे जैसे उदयीमान ब्लागर के लिये अच्छा नही है। मेरी इस टिप्पणी से तुमको बुरा भी लगेगा और झटका भी लगेगा. फ़िर भी हम तो सच बोलने की वजह से ही बुरे बने हैं आज तक। हमको कोई फ़र्क नही पडता। अब तो यहां ये सब आत्ममुग्धता देखते हुये ५ वर्ष से ज्यादा का समय हो चुका है। यहां सब बरसाती नदी नालों जैसे आये और चले गये।
अब असली बात
तुम पिछले कुछ दिनों से रोज इस बात पर खुद की पीठ ठोक रहे हो और तुम्हारे यहां आने वाले लोग ठॊक भी जाते हैं कि ब्लागवुड शब्द तुमने इजाद किया है. जबकि कुछ पुराने ब्लागर भी तुमको इस बात पर दाद दिये जारहे हैं जबकि वो जानते हैं कि यह सही नही है. मतलब तुमको चढा रहे हैं चने के झाड पर। इन्होनें कईयों को चढाया और उतारा है अब लगता है नंबर तुम्हारा है।
इस संबंध मे मुझे दो बाते कहनी हैं और जो पुराने या तथाकथित वरिष्ठ या गरिष्ठ ब्लागर जिनकी यहां टिप्पणीयां मौजूद हैं वो भी सुन लें।
१. यह कि तुम्हारा शब्द ब्लागवुड गलत है| असली शब्द होगा "ब्लागीवुड"जैसे की मुंबई का बालीवुड, अमेरिका का हालीवुड, कोलकाता का टालीवुड और पाकिस्तान (लाहोर) के लिये लालीवुड होता है| जरा सोचो..अगर बालीवुड को बालवुड, हालीवुड को हाल्वुड, टालीवुड को टालवुड और लालीवुड को लालवुड कहा जाये, तो कैसा लगेगा? ऐसा ही तुम्हारा ब्लागवुड शब्द लगता है. अत: यह शब्द ब्लागवुड नही बल्कि ब्लागीवुड होगा।
२. अब तुमको असली झटका लगेगा । ब्लागीवुड शब्द का इस्तेमाल शायद सबसे पहले कुश जी ने किया था| अत: इस शब्द का जनक वो ही है आप नही। और यह बात यहां जितने भी गरिष्ठ ब्लागर हैं उन्हें अच्छी तरह पता है।
और अगर तुमको या तुम्हारे समर्थकों को मेरी बात गलत लग रही हो तो जरा गूगल सर्च मे ब्लागीवुड शब्द हिंदी मे डालकर सर्च करना। तुमको पता चल जायेगा कि यह शब्द तुम्हारे ब्लाग लेखन में पैदा होने के बहुत वर्षों पहले से इस्तेमाल होता आरहा है।
वैसे हम आजकल कुछ बोलते नही है। क्युंकि आजकल सब चमचागिरी का राज चल रहा है। पर रोज रोज तुम जैसे लोगों का यह आत्मप्रचार सहन नही होता इसलिये असली बात कहे बिना रहा भी नही गया।
सच्ची बात कहने मे मिर्ची लगती ही है, तो लगे हमारी बला से।
January 23, 2010 10:53 AM
अब देखे वाली बात ये है कि ये ससुर मियांजी कौन हैं? नाही पहचाने का? त अब पहले कछु टिप्पणी अऊर देखा जाई…
![[meenakumari.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgs8x6llGziFQWQ4wAdzUmsonCbcQz0qBwmn04AdUfX2rk7ekXY4H-y4ZHoHuvqg-wDsWWzykyUjYCD-MBG2VOASeWB3oIenuh6MWDKX5BHoGIUr8G89nSlohEI9jxQxCLloI7YOodsvdA/s220/meenakumari.jpg)
'अदा' said... @ मियाँ जी...जरा सुनो...
वैसे तो जो कुछ आपने खुशदीप जी से कहा है उसका जवाब वही देंगे....की वो कितने आत्ममुग्ध है या कितने बरसाती नदी है...
मैं इस लिए जवाब देने आई हूँ...क्यूंकि मैंने भी 'ब्लागवुड' शब्द को पसंद किया था....मुझे तो वैसे भी ५ महीने ही हुए हैं ब्लॉग्गिंग करते हुए इसलिए ना तो मैं गरिष्ठ हूँ ना वरिष्ठ ना ही विशिष्ठ...फिर भी मुझे' ब्लागवुड' शब्द 'ब्लागीवुड' से ज्यादा पसंद आया..हालांकि इसकी व्युत्पत्ति के बारे में मुझे अभी-अभी आपसे ही पता चला...खुशदीप जी के शब्द हो पढ़ते साथ अपने आप ही मन में 'ब्लागीवुड' आ गया था...क्यूंकि..बॉलीवुड , लालीवुड, hollywood इनसब की जानकारी हमें भी है...और सभी नाम hollywood की तर्ज़ पर बने है....कॉपी ही है...कौन सी ओरिगिनल बात है इसमें....कम से कम ब्लागवुड तो ओरिगिनल है....
अपनी अपनी पसंद है ..
आप कहते हैं की आप ५ साल से ब्लॉग्गिंग कर रहे हैं फिर भी आपके प्रोफाइल में कुछ नज़र नहीं आया....और इतने वरिष्ठ, गरिष्ठ विशिष्ठ होते हुए भी आपको यह बात छुप कर कहनी पड़ी..
हैरान हूँ...!!
January 23, 2010 12:12 PM
अब एकरा बाद मा फ़िर मियां जी आये अऊर कहन लगे….
मियां जी..जरा सुनो! said... @ अदा जी, समस्त वरिष्ठ एवम गरिष्ठ ब्लागर गण,
हमने तो पहले ही रहा था कि सही बात पर सबको मिर्ची लगेगी। सो तुरंते लग गई। आप लोग जो सही बात है उसको स्वीकारने की बजाये उल्टा हमें ही आंखे दिखा रहे हैं? ई त कोनू सही बात नाही बा।
और मिर्ची तो सही बात पर ही लगती है सो लग गई। अब हमे कुच्छौ नाही कहना है, जो हकीकत है वो है। अब आप नया नया लोग हैं तो आपसे क्या कहें? आप तो समझते हैं कि दुनियां वही है जेतना आपको दिखाई पडता है तो क्या दुनिया एतना छोटा होजायेगा?
हम तो एके बात कहुंगा कि ब्लाग्वुड गलत शब्द है अऊर ई कोनू खुशदीप का इजाद नाही बा।
January 23, 2010 12:37 PM
अब ईका बाद मा महफ़ूज बचुआ ने भी काफ़ी कछु बुरा भला मियां जी को कहा….पर ससुर मियां जी ठहरे बेशर्म…फ़िर मुंहजोरी करते हुये आ धमके…अऊर उल्टे चोर को कोतवाल को डांटे ऊ हिसाब मां महफ़ूज अऊर खुशदीप बचुआ को आंखे दिखाने लगे…
मियां जी..जरा सुनो! said... हम तो पहले ही कहे रहे कि सही बात पर मिर्ची लगेगी त लग गई..आप अऊर आपके चम्मच छुरीयां बाहर आगये। अब पोस्टवा लिख कर कौन सी बात सही कर लोगे? सत्य त सदा सत्य ही रहेगा मियां?
का महफ़ूज मियां? तुहार adrenalin hormone कछु जियादेई बढ गईल का?
अऊर हां खुशदीप मियां...पोस्टवा सिर्फ़ तुमको ही नाही सबको लिखनी आती है...समझे कि नाही?
January 23, 2010 1:26 PM
अऊर इत्ता सुनके तो महफ़ूज बचुआ गुस्से से बिलबिला ऊठे अऊर एक ठो फ़िर गोली चलाया….
![[clip_image003.jpeg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg9Fli3CjlpOT5BC7DRg-FpVLBHF5W8_yaU6WVwOw8vMwO8FE5mbhug2QlBjAvkJGF0V7gx45ZTJ2w3ghd3Nw6ervN3JhJOCPdySMF3v_wAo6aLhldBVUAKNlWzGsnsHoyeG5YCEv2eHIU/s220/clip_image003.jpeg)
महफूज़ अली said... @ मियां जी..जरा सुनो!
बहुत बेशर्म इंसान हो.... अपनी पैदाइश आख़िर साबित कर ही दी ना? गलत नहीं कहा था... SON OF A VIRGIN MOTHER...
मियां जी... कुछ बोलने से पहले सोच लेना... IP Address पता कर के ...घर खोज लेना बहुत आसान काम है... घर खोज लिया तो रात में तीन बजे घर में घुस कर मारूंगा.... ब्लॉग पर तीन लोगों का IP address पता कर के लोगों को बताया हूँ.... यकीन ना हो तो जाकिर अली'रजनीश" और मिश्र जी से पूछ लो.... मैंने IP Address पता कर लिया तो बहुत मुश्किल में आ जाओगे.... तुमने अभी अदा जी और खुशदीप जी को उल्टा सीधा लिखा है... अब और बोलोगे... तो पछताने के अलावा कोई चारा नहीं होगा....
मैं वैसे भी ओल राउनडर हूँ.... तुम मेरा कुछ भी नहीं उखाड़ पाओगे... मिर्ची तो मैं ऐसी जगह तुम्हारे ठूसूंगा ... कि बुढौती/जवानी सब खराब हो जाएगी.... मुझे जानने वालों से पूछ लो...
January 23, 2010 1:49 PM
और भैया…इहां महफ़ूज बचुआ की तरकीब काम कर गई अऊर गुस्से मा कारा चश्मा अऊर टी शर्ट टांग कर असली मियां जी यानि कि मगरुरवा आया अऊर उकी बात का समर्थन मां ना कछु रामराम..ना कछु श्याम श्याम किया अऊर लिंक टिका कर चलता बना…जरा देखा जाये…

कुश said... http://chitthacharcha.blogspot.com/2008/10/blog-post_2006.html
January 23, 2010 3:02 PM
अब इहां मियांजी की पोल त खुल ही चुकी थी. तब खुशदीप बचुआ ने लिखा कि….

खुशदीप सहगल said... @कुश जी,
आपने सिर्फ लिंक देकर छोड़ दिया...बाकी एक भी शब्द नहीं लिखा...मुझे याद पड़ता है तो आप पिछले पांच महीने में सिर्फ एक बार मेरी किसी पोस्ट में कमेंट करने आए थे...आज...मियां जी...ज़रा सुनो!!! के जन्म लेने के साथ आप फिर अचानक अवतरित हो गए...कहीं इस नवजात शिशु से आपका कोई संबंध तो
नहीं...
जय हिंद...
January 23, 2010 3:50 PM
अऊर इस बात मगरुरवा कुशवा भडक गया ई सोचकर कि अब पोल खुल चुकी है अऊर अपनी मगरुरी दिखाते हुये टीप मारा…
कुश said... @खुशदीप जी
मैंने अपने कमेन्ट के ऊपर आपका कमेन्ट पढ़ा नहीं था.. अगर पढ़ लिया होता तो कमेन्ट ही नहीं करता.. गलती थी जो यहाँ पर कमेन्ट किया.. जो लोग कान बंद करके बैठते है उन्हें आप कुछ समझा नहीं सकते.. आपको आपका शब्द मुबारक..
और हाँ अपनी बात कहने के लिए मुझे बेनामी बनने की जरुरत भी नहीं.. गलती के लिए माफ़ी यहाँ दोबारा आ गया..
January 23, 2010 6:07 PM
अब हम कहता हूं आप सब लोगन से कि ई मगरुरवा का तमाशा त देखो कि कितनी मगरुरी दिखात है? का रे मगरुरवा? तुझको कौन बुलाने गया रहा? तू खुद तेरी मर्जी से मियांजी बनके आया….खुदे लिंक देके कहत रहा कि ब्लागवुड तूने ही रचा है…कल को ई भी कहेगा कि ई ब्लागर भी तूने ही बनाया….मगरुरवा कछु त शर्म करो….तोहरे मा कौडी की अक्ल नाही अऊर नबाव बनने का सपने देखत हो?
इहां एक बात ध्यान देने वाली अऊर रही की सब जगह अपनी टांग घुसाने वाले शुकुल जी महराज अपना चेलवा के समर्थन मा आगे नाही आये? का हुआ शुकुल जी महराज? का डोमेन का गम मे रहे का?
हां त अब ई तो रहा एक एपिसोड्वा अऊर दूसर एपिसोड रहा डोमेनवा का। अब हम का बतायें भाई? हम बोलूंगा त सबको बुरा लगेगा. पर का कहें… अब आयें है त …बोलना तो पडेगा ही ना…त बोल रहे हैं…लोग सब मार तमाम पोस्टवा ठेले जा रहे हैं ..सब बडका…लोग भी …अब लिखने का कोनू सामान नाही दिखा त यही लिख डारे….
शुकुल जी महराज ने एक ठो चर्चा की रही "गणतंत्र ठिठुरते हुये हाथों की तालियों पर टिका है" अऊर एक ठॊ पोस्ट भी लिखवा डाली। शुकुल जी ने उहां बडा नेक दिली दिखाते हुये फ़रमाया…
हमेशा की तरह आगे भी चिट्ठाचर्चा से जुड़े किसी भी मसले पर कोई भी निर्णय साथी चर्चाकारों की आमसहमति से ही होगा। लेकिन इस चिट्ठाचर्चा.कॉम नाम से जुड़ा कोई भी नैतिक/सामाजिक अधिकार का रोना हम नहीं रोयेंगे। कानूनी/व्यवसायिक अधिकार तो बनते ही नहीं। चिट्ठाचर्चा.कॉम जिसके नाम से लिया गया वह हमसे बाद की पीढ़ी का है। अपने से छोटों की उन्नति की किसी भी राह में रोड़ा बनकर हम अपनी नजर में छोटे नहीं होना चाहेंगे।
त शुकुल जी हम ई पूछना चाह रहा हूं कि जब आपको कोनू तकलीफ़ ही नाही है त काहे अपने वरिष्ठ अऊर गरिष्ठ लोगन से पोस्टवा लिखाय कर माहोल बिगाड रहे हैं? आप ई समज
लिजिये कि इहां का माहोल खराब करने मे आप एक नम्बर के जिम्मेदार हैं अऊर आपके ई चेले चमचे दूसर नम्बर पर….
अऊर बच्चा लोगो ई भी देखा जाये कि शुकुल जी महराज शरीफ़ बन रहे हैं अऊर एक ब्लागर इहां इसी पोस्टवा पर टिपटिपा कर सरे आम डोमेन बुक करवाने वालों को चोर ऊठाईगिरे और दोयम दर्जे का बता रहे हैं … अऊर शुकुल जी को बडका एक नंबर का शरीफ़….अब ई त आप लोगों को ही तय करना पडॆगा कि कौन शरीफ़ अऊर कौन चोर?
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ज्ञानदत्त पाण्डेय Gyandutt Pandey ने कहा… वाह, चिठ्ठाचर्चा का नाम हडपने की होड़ है! नाम हड़पने का काम तो दोयम दर्जे के लोग किया करते हैं। प्रथम दर्जे के लोग तो खुद ब्राण्ड बनाते हैं।
खैर, जमाना शायद चरित्र का नहीं, व्यक्तित्व का है!
January 27, 2010 3:56 PM
तो हम पूछा चाहते हैं ज्ञानदत्त पांडेय से..
१. आप कौन सी होड की बात करते हैं? आपने कितने नाम बुक करवाये? या आप ई कहना चाहते हैं कि ई डोमेनवा किसी ने शुकुल जी की आंख मे मिर्ची झौंक कर लूट लिया क्या?
२. आप कहते हैं कि हडपने का काम तो दोयम दर्जे के लोग किया करते हैं….त ई बताईये कि आप उन लोगों को दोयम कहना चाह रहे हैं जिन्होने यह डोमेन रजिस्टर्ड करवाया? क्या आप जानते हैं कि आप सीधे सीधे गाली दे रहे हैं? अऊर ई भी जानत होंगे कि डोमेन हडपा नही जाता बल्कि उपलब्धता पर मिलता है. काहे आप लोगों को गुमराह कर रहे हैं?
३. आपका फ़रमाना है कि प्रथम दर्जे के लोग तो ब्रांड बनाते हैं. तो आप क्या ई कहना चाह रहे हैं कि शुकुलजी अऊर मगरुरवा ने लोगों की इज्जत खराब करके ..उनकी मौज लेके ये ब्रांड बनाया है? अऊर क्या इस ब्रांड की यही औकात है कि ये सडक पर पडा हुआ मिल रहा है? जरा किसी ब्रांड को आप खरीद कर तो बताईये. जो डोमेन लिया गया है उसकी औकात ये है कि जैसे सडक पर पडा हुआ मिल रहा हो. अब भी उस से संबंधित ब्रांड तमाम सडक पर बिखरे माल जैसा उपलब्ध है।
हम कहता हूं कि जब एतना ही ब्रांडेड माल रहा त क्युं नाही संभाल कर रखा? क्या आप अपना तिजोरी को सडक पर खुला छोड देंगे अऊर ई उम्मीद करेंगे कि दूसरा नेक नियती अऊर पुरातन के नाम पर कोई उसको उठायेगा नही?
आप सीधे सीधे गाली देरहे हैं….अऊर ई भी समझ लिजिये कि आदमी को सब बात समझ कर कोनू बात कहे का चाही…ई नाही कि शुकुल जी महराज रो दिये आपका पास आकर अऊर आप तुरंते आकर बंदूक मार दिये…सब इज्जतदार लोगों को चोर-अऊर दोयम कहके…ई सब आपको शोभा नाही देत बा…….लोगों को गाली देना बंद किजिये…और शुकुल जी को कहिये कि अगर सामान एतना ही कीमती है त संभाल कर रखें…अऊर बेफ़ालतू का रोना गाना बंद करें……
त बच्चा लोग अब आज का टिप टिप खत्म …अऊर हम जल्दी ही फ़िर आऊंगा….
शुकुल जी महराज…हमरे खिलाफ़ कुशवा वाली टिप्पणी हटाई जाये…वर्ना हमरा सत्याग्रह जारी रहेगा…अब अऊर तेज मुहीम करुंगा.